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ओडिशा : मयूरभंज जिले में आदिवासियों की आजीविका पर वज्रपात

रोज कमाने खाने वालों के लिए यह लॉकडाउन किसी वज्रपात की तरह टूटा है. ओडिशा के मयूरभंज जिले में आजीविका के लिए स्थानीय लोग जंगल से महोगनी फूल या विलो इकट्ठा करते हैं और बेचते हैं, लेकिन अब उनका कारोबार खतरे में हैं. लॉकडाउन के कारण व्यापारी भी गांव में नहीं आते और ग्रामीण बिक्री के लिए बाजार नहीं जा सकते. जानें विस्तार से...

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Apr 22, 2020, 9:18 PM IST

Updated : Apr 23, 2020, 9:44 AM IST

मयूरभंज : ओडिशा का मयूरभंज एक आदिवासी बहुल जिला है. यहां आजीविका के लिए स्थानीय लोग जंगल से महोगनी फूल या विलो इकट्ठा करते हैं और बेचते हैं, लेकिन अब यह कारोबार खतरे में हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण तालाबंदी से इन सभी क्रियाकलाप पर रोक लग गई है. सभी के लिए घर से बाहर निकलने पर रोक है.

ऐसी मुश्किल स्थिति में मयूरभंज जिले का वन उत्पाद बेचने वाली महिलाएं अब जंगल से महोगनी के फूल और विलो के पत्तों को इकट्ठा कर अपने घरों में रख रही हैं. लॉकडाउन के कारण व्यापारी भी गांव में नहीं आते और ग्रामीण बिक्री के लिए बाजार नहीं जा सकते.

दूसरी ओर विलो के पत्तों की कोई मांग नहीं है क्योंकि दुकानें बंद हैं. महिलाएं चिंतित हैं कि वे अपने ऋण कैसे चुकाएंगी, जो उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लिया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले में जंगलों के वन उत्पाद पर आश्रित आबादी सबसे चुनौतिपूर्ण जीवन काट रही है. सरकार द्वारा इनकी समस्याओं को हल करने की उम्मीद है.

मयूरभंज : ओडिशा का मयूरभंज एक आदिवासी बहुल जिला है. यहां आजीविका के लिए स्थानीय लोग जंगल से महोगनी फूल या विलो इकट्ठा करते हैं और बेचते हैं, लेकिन अब यह कारोबार खतरे में हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण तालाबंदी से इन सभी क्रियाकलाप पर रोक लग गई है. सभी के लिए घर से बाहर निकलने पर रोक है.

ऐसी मुश्किल स्थिति में मयूरभंज जिले का वन उत्पाद बेचने वाली महिलाएं अब जंगल से महोगनी के फूल और विलो के पत्तों को इकट्ठा कर अपने घरों में रख रही हैं. लॉकडाउन के कारण व्यापारी भी गांव में नहीं आते और ग्रामीण बिक्री के लिए बाजार नहीं जा सकते.

दूसरी ओर विलो के पत्तों की कोई मांग नहीं है क्योंकि दुकानें बंद हैं. महिलाएं चिंतित हैं कि वे अपने ऋण कैसे चुकाएंगी, जो उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लिया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले में जंगलों के वन उत्पाद पर आश्रित आबादी सबसे चुनौतिपूर्ण जीवन काट रही है. सरकार द्वारा इनकी समस्याओं को हल करने की उम्मीद है.

Last Updated : Apr 23, 2020, 9:44 AM IST
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