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कर्नाटक : हाईकोर्ट ने भर्ती में ट्रांसजेंडरों को शामिल न करने पर मांगा जवाब

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि राज्य रिजर्व पुलिस बलों की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों को अनुमति क्यों नहीं दी गई. राज्य सरकार ने हाल ही में रिजर्व पुलिस बल में 2,672 पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना के अनुसार, केवल पुरुष और महिला उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं. ट्रांसजेंडर के लिए आवेदन करने का कोई प्रावधान नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 2, 2020, 5:19 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है कि राज्य रिजर्व पुलिस बलों की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों को आवेदन करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई. मुख्य न्यायाधीश ए.एस. ओका ने एक जनहित याचिक (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया.

मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा कि रिजर्व कॉर्प्स और बैंड की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित क्यों नहीं की गईं? इसके बाद अदालत ने इस मामले में सुनवाई 21 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि सभी सरकारी नियुक्तियों में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित की जानी चाहिए.

पढ़ें : परीक्षा में शामिल नहीं होने के विकल्प पर विचार करे आईसीएआई : उच्चतम न्यायालय

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने हाल ही में रिजर्व पुलिस बल में 2,672 पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना के अनुसार, केवल पुरुष और महिला उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं. ट्रांसजेंडर के लिए आवेदन करने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही उनके लिए सीट आरक्षित है.

सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ एक एनजीओ ने उच्च न्यायालय में पीआईएल दायर की है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. पीआईएल में मांग की है कि अदालत राज्य सरकार को रिजर्व पुलिस बल की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित करने और आवेदन करने का प्रावधान करने का निर्देश दे.

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है कि राज्य रिजर्व पुलिस बलों की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों को आवेदन करने की अनुमति क्यों नहीं दी गई. मुख्य न्यायाधीश ए.एस. ओका ने एक जनहित याचिक (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया.

मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा कि रिजर्व कॉर्प्स और बैंड की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित क्यों नहीं की गईं? इसके बाद अदालत ने इस मामले में सुनवाई 21 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि सभी सरकारी नियुक्तियों में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित की जानी चाहिए.

पढ़ें : परीक्षा में शामिल नहीं होने के विकल्प पर विचार करे आईसीएआई : उच्चतम न्यायालय

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने हाल ही में रिजर्व पुलिस बल में 2,672 पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी. अधिसूचना के अनुसार, केवल पुरुष और महिला उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं. ट्रांसजेंडर के लिए आवेदन करने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही उनके लिए सीट आरक्षित है.

सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ एक एनजीओ ने उच्च न्यायालय में पीआईएल दायर की है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. पीआईएल में मांग की है कि अदालत राज्य सरकार को रिजर्व पुलिस बल की नियुक्ति में ट्रांसजेंडरों के लिए सीटें आरक्षित करने और आवेदन करने का प्रावधान करने का निर्देश दे.

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