कोलकाता : पश्चिम बंगाल में भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित पानीटंकी गांव के व्यापारियों ने नेपाली नागरिकों को कोई भी भारतीय उत्पाद नहीं बेचने का फैसला किया है. हाल ही में नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाकर एक विवादास्पद संशोधन पारित किया था.
पानीटंकी समिति में 1,210 दुकानें हैं. सभी ने यह फैसला लिया है कि नेपाली नागरिकों को कोई भी भारतीय उत्पाद नहीं बेचा जाएगा.
इस बारे में पानीटंकी बाबोसयी समिति के सचिव दीपक चक्रवर्ती ने कहा कि हम नेपाल की वर्षों से मदद कर रहे थे. नेपाली सरकार ने भारत के क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाया है. इस कारण तनाव पैदा हो गया है.
उन्होंने कहा कि हमने फैसला किया है कि हम उनके साथ व्यापार नहीं करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर भारत के क्षेत्रों को नेपाल के नक्शे से नहीं हटा जाता है तो, हम उन्हें कुछ भी निर्यात नहीं करेंगे.
वहीं मार्केट कमेटी के एक सदस्य संतोष सिंह ने कहा कि भूकंप के दौरान हमने उन्हें दवाएं और भोजन पहुंचाया था. नेपाल की सरकार को एक बार फिर से सोचना चाहिए. उन्हें चीन के दबाव के कारण भारत को नहीं छोड़ना चाहिए.
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बाजार के एक व्यापारी प्रकाश चौधरी ने कहा कि हमारे लिए भारत पहले है, हम व्यापार बाद में कर सकते हैं. सरकारों को मतभेदों को सुलझाना चाहिए. जब तक नेपाल अपना फैसला वापस नहीं ले लेता, तब तक हम नेपाल को माल का निर्यात नहीं करेंगे.
गौर हो कि पिछले सप्ताह नेपाल ने एक संविधान संशोधन के माध्यम से देश के राजनीतिक मानचित्र को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया पूरी की. इस नए संशोधन में नेपाल ने भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्र को अपनी भूमि में शामिल कर लिया है.