प्रयागराज : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां एक वितरण शिविर में वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरण वितरित किए. इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'तीर्थराज प्रयागराज में आकर हमेशा ही एक अलग पवित्रता और ऊर्जा का एहसास होता है. पिछले साल फरवरी में मैं कुम्भ के दौरान इस पवित्र धरती पर आया था, तब संगम में स्नान करके और उसके साथ-साथ मुझे एक और सौभाग्य मिला था.'
इसके बाद पीएम मोदी बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास भी करेंगे. करीब 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का बुंदेलखंड के विकास में अहम योगदान होगा. इससे चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जनपद लाभान्वित होंगे. यही नहीं बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से डिफेंस कॉरिडोर में निवेश करने वाली कंपनियों को भी बड़ा लाभ होगा.
जानें संबोधन के दौरान पीएम ने क्या कहा-
- दिव्यांगों की आकांक्षाओं को पूरा करने को प्रतिबद्ध मोदी सरकार. असिस्टेंट टू डिसेबल्ड पर्सन्स स्कीम के तहत 2009-10 से 2013-14 के बीच 378 करोड़ रुपये के फंड का उपयोग किया गया, जबकि 2014-15 से 2019-2020 के बीच 917 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल किया गया.
- तीर्थराज प्रयागराज में आकर हमेशा ही एक अलग पवित्रता और ऊर्जा का एहसास होता है. पिछले साल फरवरी में मैं कुम्भ के दौरान इस पवित्र धरती पर आया था. तब संगम में स्नान करके और उसके साथ-साथ मुझे एक और शौभाग्य मिला था.
- वह सफाई कर्मचारी जो ऐतिहासिक कुम्भ की पवित्रता बढ़ा रहे थें और जिनके परिश्रम और पुरुषार्थ के कारण पूरे विश्व में प्रयागराज के इस कुम्भ की स्वच्छता की चर्चा हुई.
- पूरी दुनिया में प्रयागराज की एक नई पहचान बनी. कुम्भ में एक नई परंपरा नजर आई और उसे सफल करने वाले उन सफाई कर्मचारियों के चरण धोने का और मुझे इस महान सिद्धि को पाने वाले उन सफाई कर्मचारियों को नमन करने का अवसर मिला था.
- आज भी कुछ ऐसा ही सौभाग्य मुझे मां गंगा के तट पर प्राप्त हुआ है. प्रधानसेवक के तौर पर मुझे हजारों दिव्यांगजनों, वरिष्ठ जनों की सेवा करने का अवसर मिला है. थोड़ी देर पहले यहां करीब 27,000 साथियों को उपकरण दिए गए हैं.
- हमारे यहां कहा जाता है- स्वस्ति: प्रजाभ्यः परिपालयंतां. न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः! यानि सरकार का ये दायित्व है कि हर व्यक्ति का भला हो, हर व्यक्ति को न्याय मिले. यही सोच तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र का भी आधार है.
- आपके प्रधान सेवक के तौर पर, मुझे हजारों दिव्यांग-जनों और बुजुर्गों, वरिष्ठ जनों की सेवा करने का अभी अवसर मिला है. थोड़ी देर पहले यहां करीब 27 हजार साथियों को उपकरण दिए गए हैं.
- किसी को ट्रायसाइकिल मिली, किसी को सुनने की मशीन मिली और व्हीलचेयर मिली है. यहां इस समाजिक अधिकारिता शिविर में अनेक रिकॉर्ड भी बन रहे हैं.
- यह उपकरण आपके जीवन से मुश्किलें कम करने में कुछ मदद करेंगे. मैं मानता हूं कि ये उपकरण आपके बुलंद हौसलों के सहयोगी भर हैं. आपकी असली शक्ति तो आपका धैर्य है, आपका सामर्थ्य है, आपका मानस है.
- आपने हर चुनौती को चुनौती दी है, आपने मुश्किलों को मात दिया है। आपका जीवन अगर कोई बारीकी से देखे तो हर पल, हर डगर, हर किसी के लिए प्रेरणा का कारण है.
- वरिष्ठजन, दिव्यांगजन, आदिवासी, दलित-पीड़ित, कोई भी व्यक्ति हो, सभी 130 करोड़ भारतीयों के हितों की रक्षा करना, उनकी सेवा करना, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. दिव्यांगजनों की तकलीफ को समझकर जिस तरह इस सरकार ने काम किया है, उतना पहले कभी नहीं किया गया.
- हमारी सरकार समाज के हर व्यक्ति के विकास के लिए, उसके जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है. 130 करोड़ भारतीयों के हितों की रक्षा करना, उनकी सेवा करना, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
- पहले की सरकारों के समय, इस तरह के कैंप बहुत ही कम लगा करते थे और इस तरह के मेगा कैंप तो गिनती के होते थे. बीते 5 साल में हमारी सरकार ने देश के अलग-अलग इलाकों में करीब 9,000 कैंप लगवाए हैं.
- पिछली सरकार के पाँच साल में जहां दिव्यांगजनों को 380 करोड़ रुपए से भी कम के उपकरण बांटे गए, वहीं हमारी सरकार ने 900 करोड़ रुपए से ज्यादा के उपकरण बांटे हैं. यानी करीब-करीब ढाई गुना.
- बीते 4-5 वर्षों में देश की सैकड़ों इमारतें, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य बनाई जा चुकी हैं. जो बची हुई हैं उन्हें भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़ा जा रहा है.
- आप वो समय भी याद करिए जब आपको सरकारी दफ्तरों, बस स्टैंड, अस्पताल, कोर्ट, कचहरी हर जगह जाने में दिक्कत होती थी. कुछ जगहों पर अलग रैंप बन जाता था, बाकी जगहों पर बहुत मुश्किल होती थी.
- यह हमारी ही सरकार है जिसने सुगम्य भारत अभियान चलाकर देश भर की बड़ी सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए सुगम्य बनाने का संकल्प किया.
- एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर अलग-अलग भाषा होने पर भी दिव्यांगों को दिक्कतें होती थीं.पहले यह सोचा ही नहीं किया गया कि दिव्यांगों के लिए एक कॉमन साइन लैंग्वेज हो. हमारी सरकार ने इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की है.
- यह हमारी ही सरकार है जिसने पहली बार दिव्यांगजनों के अधिकारों को स्पष्ट करने वाला कानून लागू किया. इस कानून का एक बहुत बड़ा लाभ यह हुआ है कि पहले दिव्यांगों की जो सात अलग-अलग तरह की कैटेगरी होती थी, उसे बढ़ाकर 21 कर दिया गया.
- दिव्यांगों पर अगर कोई अत्याचार करता है, उन्हें परेशान करता है, तो इससे जुड़े नियमों को सख्त किया है. दिव्यांगों की नियुक्ति के लिए विशेष अभियान चलाए. सरकारी नौकरियों में दिव्यांगों के लिए आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया है.
- उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए भी उनका आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
- नए भारत के निर्माण में हर दिव्यांग युवा, दिव्यांग बच्चे की उचित भागीदारी आवश्यक है. चाहे वह उद्योग हों, सेवा का क्षेत्र हो या फिर खेल का मैदान, दिव्यांगों के कौशल को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है.
- सीनियर सिटिजन्स के जीवन से इस परेशानी को कम करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. गरीब वरिष्ठ नागरिकों को भी जरूरी उपकरण मिलें, इसके लिए हमारी सरकार ने 3 साल पहले ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ शुरू की थी.
प्रयागराज के नाम होगा एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड
संगमनगरी की पावन धरती पर बनाए गए सभी पंडालों में कुल 60 हजार से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था है, जहां पीएम मोदी दिव्यांगों का मान बढ़ाने के साथ ही एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया. पहली बार 26,791 दिव्यांगों और बुजुर्गों को उपकरण बांटकर विश्व रिकॉर्ड प्रयागराज के नाम किया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिव्यांगों के साथ मन की बात भी करेंगे.