ETV Bharat / bharat

जानिए, क्या है हैप्पीनेस क्लास, जिसका दौरा करेंगी मेलानिया ट्रंप

author img

By

Published : Feb 22, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 5:21 AM IST

जिस हैप्पीनेस की क्लास में 25 फरवरी को अमेरिका की प्रथम महिला आने वाली हैं, उसकी एक क्लास में ईटीवी भारत की टीम पहुंची, जहां हमने बच्चों व शिक्षकों से इसे लेकर उनका अनुभव जानने की कोशिश की.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार ने 2018 में दिल्ली में हैप्पीनेस क्लास की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य था कि बच्चों में नैतिक मूल्यों को स्थापित किया जाए, उन्हें जीवन जीने का सकारात्मक तरीका बताया जाए. तब से अब तक दिल्ली ही नहीं, देश और दुनियाभर में हैप्पीनेस क्लास की चर्चा हुई. कई दूसरे राज्यों के मंत्री और बड़ी सामाजिक शख्सियतों ने इस क्लास को आकर देखा.

हैप्पीनेस क्लास में ईटीवी भारत
अब अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी और अमेरिका की पहली महिला मेलानिया ट्रंप भी हैप्पीनेस क्लास देखने के लिए आने वाली हैं. उनकी यात्रा से पहले ईटीवी भारत वेस्ट विनोद नगर के सरकारी स्कूल में पहुंचा, जहां लंबे समय से हैप्पीनेस की क्लास लगती है. यहां जब हम पहुंचे तो पांचवी कक्षा में हैप्पीनेस की क्लास चल रही थी, जहां टीचर आस्था सहगल बच्चों को कहानियां सुना रहीं थीं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सबसे पहले माइंडफुलनेस करते हैं
ईटीवी भारत से बातचीत में आस्था सहगल ने बताया कि हम सबसे पहले दो-तीन मिनट का माइंडफुलनेस कराते हैं, जिसमें बच्चे आंख बंद करके शांत बैठते हैं और सकारात्मक बातें सोचते हैं. उसके बाद इससे जुड़ी अन्य गतिविधियां शुरू करते हैं, कहानियां सुनाते हैं और उन कहानियों से संबंधित बच्चों के जीवन से जुड़ी घटनाओं के बारे में पूछते हैं.

जीवन जीने का सही तरीका जरूरी
स्कूल की उप प्रधानाध्यापक इंदु शर्मा ने बताया कि इसका बहुत सकारात्मक असर दिखा है. आठवीं क्लास तक वह उम्र होती है, जब हम बच्चों मैं नैतिक मूल्य भर सकते हैं और उसी उद्देश्य से यह क्लास शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि पहले परीक्षा में कम मार्क्स आने पर बच्चे हतोत्साहित हो जाते थे, लेकिन अब इसके जरिए हम उन्हें प्रेरित करते हैं कि जीवन में मार्क्स ही सब कुछ नहीं है, जीवन जीने का सही तरीका जरूरी है.

बदल रही बच्चों की सोच
स्कूल में पढ़ने वाली अलीशा ने बताया कि जब हैप्पीनेस क्लास नहीं होती थी, उस समय उसे बहुत गुस्सा आता था, अब बहुत अच्छा फील होता है. वह घर जाकर अच्छे से खेलती है और अपने दोस्तों से भी इसका अनुभव साझा करती है. वहीं, एक दूसरी बच्ची का कहना था कि एक बार उसने मम्मी द्वारा जली रोटी बनाने पर खाने से मना कर दिया था, लेकिन जब क्लास में जली रोटी वाली कहानी सुनी तो बहुत बुरा लगा और यह फील हुआ कि मम्मी बहुत मेहनत से रोटी बनाती हैं.

25 फरवरी को आएंगी मेलानिया
ऐसी कहानियां बच्चों में सकारात्मक बदलाव ला रही है. बच्चों के साथ-साथ टीचर्स भी इससे प्रभावित हो रहे हैं और साथ ही देश दुनिया में इसकी गूंज भी सुनाई देने लगी है. 25 फरवरी को हैप्पीनेस क्लास की पहचान एक नए रूप में सामने आएगी, जब अमेरिका की पहली महिला मेलानिया ट्रंप ऐसी ही किसी हैप्पीनेस क्लास में होंगी और बच्चों से इसे लेकर मुखातिब होंगी.

नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार ने 2018 में दिल्ली में हैप्पीनेस क्लास की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य था कि बच्चों में नैतिक मूल्यों को स्थापित किया जाए, उन्हें जीवन जीने का सकारात्मक तरीका बताया जाए. तब से अब तक दिल्ली ही नहीं, देश और दुनियाभर में हैप्पीनेस क्लास की चर्चा हुई. कई दूसरे राज्यों के मंत्री और बड़ी सामाजिक शख्सियतों ने इस क्लास को आकर देखा.

हैप्पीनेस क्लास में ईटीवी भारत
अब अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी और अमेरिका की पहली महिला मेलानिया ट्रंप भी हैप्पीनेस क्लास देखने के लिए आने वाली हैं. उनकी यात्रा से पहले ईटीवी भारत वेस्ट विनोद नगर के सरकारी स्कूल में पहुंचा, जहां लंबे समय से हैप्पीनेस की क्लास लगती है. यहां जब हम पहुंचे तो पांचवी कक्षा में हैप्पीनेस की क्लास चल रही थी, जहां टीचर आस्था सहगल बच्चों को कहानियां सुना रहीं थीं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सबसे पहले माइंडफुलनेस करते हैं
ईटीवी भारत से बातचीत में आस्था सहगल ने बताया कि हम सबसे पहले दो-तीन मिनट का माइंडफुलनेस कराते हैं, जिसमें बच्चे आंख बंद करके शांत बैठते हैं और सकारात्मक बातें सोचते हैं. उसके बाद इससे जुड़ी अन्य गतिविधियां शुरू करते हैं, कहानियां सुनाते हैं और उन कहानियों से संबंधित बच्चों के जीवन से जुड़ी घटनाओं के बारे में पूछते हैं.

जीवन जीने का सही तरीका जरूरी
स्कूल की उप प्रधानाध्यापक इंदु शर्मा ने बताया कि इसका बहुत सकारात्मक असर दिखा है. आठवीं क्लास तक वह उम्र होती है, जब हम बच्चों मैं नैतिक मूल्य भर सकते हैं और उसी उद्देश्य से यह क्लास शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि पहले परीक्षा में कम मार्क्स आने पर बच्चे हतोत्साहित हो जाते थे, लेकिन अब इसके जरिए हम उन्हें प्रेरित करते हैं कि जीवन में मार्क्स ही सब कुछ नहीं है, जीवन जीने का सही तरीका जरूरी है.

बदल रही बच्चों की सोच
स्कूल में पढ़ने वाली अलीशा ने बताया कि जब हैप्पीनेस क्लास नहीं होती थी, उस समय उसे बहुत गुस्सा आता था, अब बहुत अच्छा फील होता है. वह घर जाकर अच्छे से खेलती है और अपने दोस्तों से भी इसका अनुभव साझा करती है. वहीं, एक दूसरी बच्ची का कहना था कि एक बार उसने मम्मी द्वारा जली रोटी बनाने पर खाने से मना कर दिया था, लेकिन जब क्लास में जली रोटी वाली कहानी सुनी तो बहुत बुरा लगा और यह फील हुआ कि मम्मी बहुत मेहनत से रोटी बनाती हैं.

25 फरवरी को आएंगी मेलानिया
ऐसी कहानियां बच्चों में सकारात्मक बदलाव ला रही है. बच्चों के साथ-साथ टीचर्स भी इससे प्रभावित हो रहे हैं और साथ ही देश दुनिया में इसकी गूंज भी सुनाई देने लगी है. 25 फरवरी को हैप्पीनेस क्लास की पहचान एक नए रूप में सामने आएगी, जब अमेरिका की पहली महिला मेलानिया ट्रंप ऐसी ही किसी हैप्पीनेस क्लास में होंगी और बच्चों से इसे लेकर मुखातिब होंगी.

Last Updated : Mar 2, 2020, 5:21 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.