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तृणमूल कांग्रेस के बागी राजीव बनर्जी से मिले पीके, मनाने की हुई कोशिश - पार्थ चटर्जी

तृणमूल कांग्रेस में बगावत का दौर जारी है. एक के बाद एक पार्टी के बड़े नेता बागी हो रहे हैं. ताजा मामला राजीव बनर्जी का है. इसी बीच प्रशांत किशोर ने आज नकटाल में पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी के घर पर राजीव बनर्जी के साथ बैठक की. पढ़ें रिपोर्ट.

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तृणमूल कांग्रेस में बगावत
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Published : Dec 13, 2020, 4:52 PM IST

कोलकाता : प्रशांत किशोर ने आज नकटाल में पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी के घर पर राजीव बनर्जी के साथ बैठक की. उन्होंने करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की. बाद में, राजीव ने कहा कि चर्चा हुई है. आने वाले दिनों में और भी कुछ होगा. अगर कोई शिकायत है, तो मैं पार्टी को सूचित करूंगा. कुछ दिनों से राजीव बनर्जी की स्थिति को लेकर तृणमूल कांग्रेस में कई तरह की अटकलें लगाईं जा रही थीं. पार्टी पहले ही शुवेंदु अधिकारी के कारण शर्मिंदा हो चुकी है. राजीव बनर्जी की कुछ टिप्पणियों ने अटकलों को और हवा दी. पूर्व सिंचाई मंत्री के समर्थन में कई पोस्टर लगाकर राजीव ने खुलकर पार्टी को चुनौती दी.

पार्टी के भीतर ही आवाजें उठने लगीं

राजीव का मुद्दा और अधिक इसलिए गंभीर हो गया कि पार्टी के भीतर ही आवाजें उठने लगीं कि क्यों राजीव जैसा नेता सार्वजनिक रूप से अपना मुंह खोल रहा है. शुवेंदु के बाद अगर राजीव तृणमूल छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं, तो तृणमूल को नुकसान होगा. चुनावों से पहले इससे भाजपा को बढ़त मिलेगी. इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि राजीव जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने पर समस्या और भी बदतर हो जाएंगी.

महासचिव पार्थ चटर्जी ने हस्तक्षेप किया

शुवेंदु के मामले में सौगत को जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि, इसने समस्या को बढ़ा दिया. इसलिए राजीव मुद्दे पर पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. महासचिव पार्थ चटर्जी ने खुद मामले में हस्तक्षेप किया. पार्थ के साथ राजीव के संबंध भी काफी अच्छे हैं. पार्थ चटर्जी ने सब कुछ ठीक करने के बाद आज राजीव को अपने घर पर बुलाया. हालांकि, कोई भी पक्ष डेढ़ घंटे की बैठक के दौरान सीधे तौर पर चर्चा नहीं करना चाहता था.

कोलकाता : प्रशांत किशोर ने आज नकटाल में पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी के घर पर राजीव बनर्जी के साथ बैठक की. उन्होंने करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की. बाद में, राजीव ने कहा कि चर्चा हुई है. आने वाले दिनों में और भी कुछ होगा. अगर कोई शिकायत है, तो मैं पार्टी को सूचित करूंगा. कुछ दिनों से राजीव बनर्जी की स्थिति को लेकर तृणमूल कांग्रेस में कई तरह की अटकलें लगाईं जा रही थीं. पार्टी पहले ही शुवेंदु अधिकारी के कारण शर्मिंदा हो चुकी है. राजीव बनर्जी की कुछ टिप्पणियों ने अटकलों को और हवा दी. पूर्व सिंचाई मंत्री के समर्थन में कई पोस्टर लगाकर राजीव ने खुलकर पार्टी को चुनौती दी.

पार्टी के भीतर ही आवाजें उठने लगीं

राजीव का मुद्दा और अधिक इसलिए गंभीर हो गया कि पार्टी के भीतर ही आवाजें उठने लगीं कि क्यों राजीव जैसा नेता सार्वजनिक रूप से अपना मुंह खोल रहा है. शुवेंदु के बाद अगर राजीव तृणमूल छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं, तो तृणमूल को नुकसान होगा. चुनावों से पहले इससे भाजपा को बढ़त मिलेगी. इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि राजीव जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने पर समस्या और भी बदतर हो जाएंगी.

महासचिव पार्थ चटर्जी ने हस्तक्षेप किया

शुवेंदु के मामले में सौगत को जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि, इसने समस्या को बढ़ा दिया. इसलिए राजीव मुद्दे पर पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. महासचिव पार्थ चटर्जी ने खुद मामले में हस्तक्षेप किया. पार्थ के साथ राजीव के संबंध भी काफी अच्छे हैं. पार्थ चटर्जी ने सब कुछ ठीक करने के बाद आज राजीव को अपने घर पर बुलाया. हालांकि, कोई भी पक्ष डेढ़ घंटे की बैठक के दौरान सीधे तौर पर चर्चा नहीं करना चाहता था.

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