ब्रह्मपुर : तिरुपति बालाजी मंदिर के सेवारत पुजारी मदन मोहन ने ब्रह्मपुर की सौम्या को अपनी जीवनसंगिनी चुना, जो कि शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं. इतना ही नहीं उनके परिवार ने कन्यापक्ष से किसी प्रकार का दहेज भी नहीं लिया. दोनों का विवाह ओडिशा के ब्रह्मपुर में संपन्न हुआ.
गौरतलब है कि सौम्या ने ब्रेन मलेरिया से प्रभावित होने के बाद साल 2007 में अपनी आंखें खो दी थीं. सौम्या के परिवार वाले हमेशा से ही उसके भविष्य और शादी को लेकर परेशान रहते थे.
हालांकि, कौन कल्पना कर सकता था कि उसकी शादी का प्रस्ताव जी वेंकटसिमाद्री के बेटे मदन और तिरुपति बालाजी मंदिर के एक सेवारत पुजारी से आएगा.
बिना किसी हिचकिचाहट के, दोनों परिवारों ने शादी के लिए अपनी सहमति दे दी.
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दूसरी ओर मोहन को पूरा भरोसा है कि भगवान वेंकटेश्वर के आशीर्वाद से सौम्या की आंखें जल्द ही वापस आ जाएंगी और उसे एक नई जिंदगी मिल जाएगी.
आज के समय में लड़की के गुणों और शैक्षिक योग्यता के आधार पर ही विवाह सुनिश्चित किया जाता है. ऐसे में शारीरिक रूप से अक्षम लड़की को अपना जीवन साथी चुनने के मदन मोहन के फैसले ने सभी को एक आदर्श विवाह का संदेश दिया है.