देहरादून : उत्तराखंड वन विभाग द्वारा पिछले डेढ़ साल से की जा रही कोशिशें अब रंग लाने जा रही हैं. राजाजी नेशनल पार्क का पश्चिमी इलाका फिर से एक बार बाघों से आबाद होने जा रहा है. आपकों बता दें कि यहां कभी बाघों की अच्छी खासी संख्या हुआ करती थी, लेकिन बढ़ती मानव गतिविधियों के कारण यहां से बाघ गायब हो गए. उत्तराखंड वन विभाग ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से छह बाघों को शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है.
कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या
उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों की संख्या के लिहाज से सुखद अनुभव करवाता है. पूरे देश मे घनत्व के लिहाज से यहां सबसे ज्यादा बाघों की मौजूदगी है, लेकिन कई बार यही आनंद देने वाला अनुभव पीड़ादायक हो जाता है. दरअसल, कॉर्बेट में क्षमता से ज्यादा बाघ आपसी संघर्ष, मानव संघर्ष समेत दूसरी कई परेशानियां खड़ी कर देते हैं.
बाघों के आपसी संघर्ष और मानव संघर्ष की संभावना
नतीजतन कॉर्बेट में बाघों के आपसी संघर्ष और मानव संघर्ष की संभावना बढ़ गई है. यही नहीं, बाघों के लिए खाने की कमी और पार्क क्षेत्र से बाहर जाकर सड़क दुर्घटना जैसे मामले भी बढ़ने की संभावना रहती है. बहरहाल इन तमाम परेशानियों का समाधान बाघों की संख्या यहां से कम करना है. पिछले डेढ़ साल से यही प्रयास किए जा रहे हैं.
छह बाघ राजाजी नेशनल पार्क में होंगे शिफ्ट
राजाजी नेशनल पार्क बेहद बड़ा होने के चलते यहां बाघों के फलने फूलने की अपार संभावनाएं हैं. खासतौर पर इसका पश्चिमी इलाका तो बाघों के लिए ही मुफीद माना जाता है. एक समय था, जब यहां काफी बाघ थे, लेकिन मानव गतिविधियां बढ़ने से अब यहां महज दो बाघिन ही बची हैं. यहां के बड़े क्षेत्रफल को देखते हुए अब विभाग छह बाघों को यहां एक-एक करके शिफ्ट करने जा रहा है.
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आपसी संघर्ष में कई बाघों की गई जाने
कॉर्बेट में पिछले पांच सालों में आपसी संघर्ष में करीब नौ बाघ, छह तेंदुए और 13 हाथी जान गंवा चुके हैं. यह बाघों की ज्यादा संख्या होने के कारण हो रहा है. बाघों के दबाव कम होने से यहां खाने की बेहतर स्थिति और संघर्ष की घटनाओं को कम किया जा सकेगा. बता दें कि जहां बाघ होते हैं, वहां जंगल स्वस्थ रहता है. वैसे एक से डेढ़ महीने में बाघ को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.