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रामपुर के आखिरी नवाब का बेशकीमती सिंहासन गायब - thrones disappeared uttar pradesh

उत्तर प्रदेश के रामपुर सियासत के आखिरी नवाब रजा अली खान का सिंहासन गायब हो गया है. इसका खुलासा संपत्ति की मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान हुआ.

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रामपुर के आखिरी नवाब का बेशकीमती सिंहासन गायब
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Published : Aug 31, 2020, 12:56 PM IST

रामपुर : उत्तर प्रदेश में रियासत रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खान की संपत्ति के बंटवारे का मुकदमा वर्षों से अदालत में लंबित था, जिसमें दशकों बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उनकी संपत्ति के मूल्यांकन का आदेश दिया है. नवाब की चल अचल संपत्ति के मूल्यांकन के लिए जिला जज द्वारा कमेटियां गठित की गई हैं. ऐसे में उनकी चल अचल संपत्ति का मूल्यांकन किया जा रहा है. इसी दौरान यह मालूम चला कि नवाब का सिंहासन, जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हुए थे, वह गायब है.

बेटे ने दी जानकारी
मुकदमे के पक्षकार और नवाब रजा अली खान के पुत्र नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने नवाब के सिंहासन के गायब होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसकी कीमत उन पक्षकारों से वसूली जाएगी, जिनके कब्जे में नवाब का महल खास बाग पैलेस था. इसकी तस्वीरों और प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इसका मूल्यांकन पांच करोड़ रुपए आंका गया है.

नवाब का सिंहासन गायब

नवाब के थे दो सिंहासन
नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने बताया कि ऐसा था कि दो थ्रोंस (सिंहासन) होते थे, एक हामिद मंजिल में दरबार हॉल में रहता था, जहां दरबार बैठा करता तो नवाब उस पर बैठते थे. वह चांदी का सिंहासन था. दूसरा रंग महल में रहता था, जो शीशे का था, जिसे क्रिस्टल थ्रोन कहते थे.

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नवाब का सिंहासन.

नवाब काजिम अली खान ने बताया कि जब 1949 में मर्जर हुआ तो दोनों थ्रोन खासबाग लाए गए. एक थ्रोन जो चांदी का था, जो खास बाग में दरबार हॉल है, वहां रखा गया था. जो क्रिस्टल थ्रोन है, उसे ब्लू रूम में रखा गया था. ब्लू रूम वह कमरा था, जहां ज्यादातर शीशे का और चांदी का फर्नीचर रहता था. उन्होंने बताया कि थ्रोन जो था, उसके साथ एक फुल स्टूल भी था, जो क्रिस्टल का था और दो क्रिस्टल की बड़ी-बड़ी कुर्सियां थीं. यह चार का सेट था, जो साथ ही रहता था. साल 1949 में वह दोनों यहां लाए गए.

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खास बाग पैलेस.

1982 के बाद सिंहासन गायब
नावेद मियां ने बताया कि नवाब रजा अली खान के इंतकाल के बाद सन 1982 तक यह दोनों सिंहासन खास बाग में मौजूद थे. जो क्रिस्टल का थ्रोन था, उसे ब्लू रूम से लाकर खास बाग के दरबार हॉल में रख दिया. जो चांदी का थ्रोन था, वह गायब हो गया. यह सारी चीजें 1982 के बाद हुई.

ये भी पढ़ें: रामपुर नवाब के करोड़ों रुपये की इमारत की कीमत शून्य!

नवाब काजिम अली खान ने बताया कि मुर्तजा अली खान के इंतकाल के बाद आफताब जमानी बेगम और उनके दोनों बच्चे थे, जिनकी निगरानी में यह सारा था. उसी टाइम चांदी का थ्रोन गायब हो गया, बेच दिया गया, बेटी के घर में गया या गोवा बेटे के घर में गया, मुझे नहीं मालूम कहां है या बेच दिया गया, लेकिन उसकी जगह क्रिस्टल का थ्रोन लाकर दरबार हॉल में रख दिया गया. 1992 में वह भी गायब हो गया. इसके मायने 10 साल के दरमियान वह सारी चीजें गायब कर दी गईं. यदि सिंहासन बेचे नहीं गए हैं तो वो उनको पेश करें.

रामपुर : उत्तर प्रदेश में रियासत रामपुर के आखिरी नवाब रजा अली खान की संपत्ति के बंटवारे का मुकदमा वर्षों से अदालत में लंबित था, जिसमें दशकों बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उनकी संपत्ति के मूल्यांकन का आदेश दिया है. नवाब की चल अचल संपत्ति के मूल्यांकन के लिए जिला जज द्वारा कमेटियां गठित की गई हैं. ऐसे में उनकी चल अचल संपत्ति का मूल्यांकन किया जा रहा है. इसी दौरान यह मालूम चला कि नवाब का सिंहासन, जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हुए थे, वह गायब है.

बेटे ने दी जानकारी
मुकदमे के पक्षकार और नवाब रजा अली खान के पुत्र नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने नवाब के सिंहासन के गायब होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसकी कीमत उन पक्षकारों से वसूली जाएगी, जिनके कब्जे में नवाब का महल खास बाग पैलेस था. इसकी तस्वीरों और प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इसका मूल्यांकन पांच करोड़ रुपए आंका गया है.

नवाब का सिंहासन गायब

नवाब के थे दो सिंहासन
नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने बताया कि ऐसा था कि दो थ्रोंस (सिंहासन) होते थे, एक हामिद मंजिल में दरबार हॉल में रहता था, जहां दरबार बैठा करता तो नवाब उस पर बैठते थे. वह चांदी का सिंहासन था. दूसरा रंग महल में रहता था, जो शीशे का था, जिसे क्रिस्टल थ्रोन कहते थे.

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नवाब का सिंहासन.

नवाब काजिम अली खान ने बताया कि जब 1949 में मर्जर हुआ तो दोनों थ्रोन खासबाग लाए गए. एक थ्रोन जो चांदी का था, जो खास बाग में दरबार हॉल है, वहां रखा गया था. जो क्रिस्टल थ्रोन है, उसे ब्लू रूम में रखा गया था. ब्लू रूम वह कमरा था, जहां ज्यादातर शीशे का और चांदी का फर्नीचर रहता था. उन्होंने बताया कि थ्रोन जो था, उसके साथ एक फुल स्टूल भी था, जो क्रिस्टल का था और दो क्रिस्टल की बड़ी-बड़ी कुर्सियां थीं. यह चार का सेट था, जो साथ ही रहता था. साल 1949 में वह दोनों यहां लाए गए.

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खास बाग पैलेस.

1982 के बाद सिंहासन गायब
नावेद मियां ने बताया कि नवाब रजा अली खान के इंतकाल के बाद सन 1982 तक यह दोनों सिंहासन खास बाग में मौजूद थे. जो क्रिस्टल का थ्रोन था, उसे ब्लू रूम से लाकर खास बाग के दरबार हॉल में रख दिया. जो चांदी का थ्रोन था, वह गायब हो गया. यह सारी चीजें 1982 के बाद हुई.

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नवाब काजिम अली खान ने बताया कि मुर्तजा अली खान के इंतकाल के बाद आफताब जमानी बेगम और उनके दोनों बच्चे थे, जिनकी निगरानी में यह सारा था. उसी टाइम चांदी का थ्रोन गायब हो गया, बेच दिया गया, बेटी के घर में गया या गोवा बेटे के घर में गया, मुझे नहीं मालूम कहां है या बेच दिया गया, लेकिन उसकी जगह क्रिस्टल का थ्रोन लाकर दरबार हॉल में रख दिया गया. 1992 में वह भी गायब हो गया. इसके मायने 10 साल के दरमियान वह सारी चीजें गायब कर दी गईं. यदि सिंहासन बेचे नहीं गए हैं तो वो उनको पेश करें.

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