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जानें, कैसे थ्रीट ग्रुप कोरोना वैक्सीन के विकास को कर रहे लक्षित

कोरोना वायरस से पुरी दुनिया जूझ रही है. इसका फायदा साइबर हैकर्स भी उठा रहे हैं. इसी बीच यह भी जानकारी मिली है कि कोरोना महामारी से निबटने के लिए जो देश वैक्सीन बना रहे हैं, उन्हें साइबर हैकर्स द्वारा लक्षित किया जा रहा है.

जानें, कैस थ्रीट ग्रुप कोरोना वैक्सीन विकास को कर रहे हैं लक्षित
जानें, कैस थ्रीट ग्रुप कोरोना वैक्सीन विकास को कर रहे हैं लक्षित
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Published : Jul 19, 2020, 6:08 PM IST

Updated : Jul 20, 2020, 12:25 PM IST

नई दिल्ली : साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कर्नल इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस समय साइबर हैकर्स द्वारा उन देशों या संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है, जो कोरोना महामारी से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं.

अमेरिका और कनाडा ने हैकिंग समूहों की दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों को सामने लाने के लिए यूके के साथ हाथ मिलाया है.

उन्नत स्थाई खतरा समूह (Advanced Persistent Threat groups ) आमतौर पर राष्ट्र-राज्य या राज्य-प्रायोजित समूह होते हैं, जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से समझौता करने और अन्य देशों से संबंधित नेटवर्क तक पहुंच बनाने के लिए काम करते हैं. कई सक्रिय हैकिंग समूह मौजूद हैं और उनका लक्ष्य आमतौर पर सभी को पता है.

थ्रीट ग्रुप APT29 की शुरुआत 2008 के आसपास हुई थी. वे अपनी हैकिंग हथियारों के साथ-साथ हमले की रणनीतियों और बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार कर रहे हैं. कुछ साइबर सिक्योरिटी शोधकर्ताओं का मानना है कि APT29 FSB या रूसी संघीय सुरक्षा सेवा (Russian Federal Security Service) द्वारा वित्त पोषित और समर्थित है.

मैलवेयर वेलमेस और वेलमेल पहले एपीटी 29 के साथ सार्वजनिक रूप से संबद्ध नहीं थे.

कर्नल इंद्रजीत आगे बताते हैं कि कई साइबर अपराधी कोरोना का उपयोग निम्न-स्तरीय घोटालों या धमकी देने के लिए कर रहे हैं. हालांकि, APT29 का मामला कहीं अधिक दिलचस्प है. कोई अनुमान लगा सकता है कि यह एक रूसी टोही ऑपरेशन है, जो क्रेमलिन द्वारा समर्थित हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता.

-Cyber Security
थ्रीट ग्रुप कोरोना वैक्सीन के विकास को कर रहे लक्षित

पढ़ें : कोविड-19 के बहाने साइबर हमले की चेतावनी के बाद दूरसंचार कंपनियों ने सतर्कता बढ़ाई

APT29 द्वारा कोरोना वैक्सीन अनुसंधान और विकास में शामिल संगठनों को लक्षित किया जा रहा है, ताकि वे महामारी से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्रित कर सकें.

इस समय कोरोना वैक्सीन अगर बन जाती है तो सबसे कीमती वस्तु होगी. एक बार में 7 बिलियन खुराक का उत्पादन करना संभव नहीं होगा.

कर्नल इंद्रजीत का कहना है कि साइबर चोरी को रोकने के लिए लिए बहुकारक प्रमाणीकरण को लागू किया जाना चाहिए. सभी कर्मचारियों को साइबर हमले के खतरे के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा टीमों को किसी भी संदिग्ध फिशिंग हमलों (phishing attacks ) की रिपोर्ट करें. इसके बाद उसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए.

नई दिल्ली : साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कर्नल इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस समय साइबर हैकर्स द्वारा उन देशों या संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है, जो कोरोना महामारी से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हैं.

अमेरिका और कनाडा ने हैकिंग समूहों की दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों को सामने लाने के लिए यूके के साथ हाथ मिलाया है.

उन्नत स्थाई खतरा समूह (Advanced Persistent Threat groups ) आमतौर पर राष्ट्र-राज्य या राज्य-प्रायोजित समूह होते हैं, जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से समझौता करने और अन्य देशों से संबंधित नेटवर्क तक पहुंच बनाने के लिए काम करते हैं. कई सक्रिय हैकिंग समूह मौजूद हैं और उनका लक्ष्य आमतौर पर सभी को पता है.

थ्रीट ग्रुप APT29 की शुरुआत 2008 के आसपास हुई थी. वे अपनी हैकिंग हथियारों के साथ-साथ हमले की रणनीतियों और बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार कर रहे हैं. कुछ साइबर सिक्योरिटी शोधकर्ताओं का मानना है कि APT29 FSB या रूसी संघीय सुरक्षा सेवा (Russian Federal Security Service) द्वारा वित्त पोषित और समर्थित है.

मैलवेयर वेलमेस और वेलमेल पहले एपीटी 29 के साथ सार्वजनिक रूप से संबद्ध नहीं थे.

कर्नल इंद्रजीत आगे बताते हैं कि कई साइबर अपराधी कोरोना का उपयोग निम्न-स्तरीय घोटालों या धमकी देने के लिए कर रहे हैं. हालांकि, APT29 का मामला कहीं अधिक दिलचस्प है. कोई अनुमान लगा सकता है कि यह एक रूसी टोही ऑपरेशन है, जो क्रेमलिन द्वारा समर्थित हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता.

-Cyber Security
थ्रीट ग्रुप कोरोना वैक्सीन के विकास को कर रहे लक्षित

पढ़ें : कोविड-19 के बहाने साइबर हमले की चेतावनी के बाद दूरसंचार कंपनियों ने सतर्कता बढ़ाई

APT29 द्वारा कोरोना वैक्सीन अनुसंधान और विकास में शामिल संगठनों को लक्षित किया जा रहा है, ताकि वे महामारी से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्रित कर सकें.

इस समय कोरोना वैक्सीन अगर बन जाती है तो सबसे कीमती वस्तु होगी. एक बार में 7 बिलियन खुराक का उत्पादन करना संभव नहीं होगा.

कर्नल इंद्रजीत का कहना है कि साइबर चोरी को रोकने के लिए लिए बहुकारक प्रमाणीकरण को लागू किया जाना चाहिए. सभी कर्मचारियों को साइबर हमले के खतरे के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा टीमों को किसी भी संदिग्ध फिशिंग हमलों (phishing attacks ) की रिपोर्ट करें. इसके बाद उसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए.

Last Updated : Jul 20, 2020, 12:25 PM IST
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