नई दिल्ली : चंडीगढ़ स्थित पीजीआई अस्पताल के बाहर मरीजों एवं उनके साथ आए लोगों को नि:शुल्क भोजन कराने वाले जगदीश लाल आहूजा, 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले फैजावाद के मोहम्मद शरीफ, मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर और असम में हाथियों के चिकित्सक कुशल कंवर सरमा उन गुमनाम नायकों में शामिल हैं. जिन्हें इस साल पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गई जिनमें जम्मू-कश्मीर के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद टक भी शामिल हैं, जो दो दशक से दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रहे हैं, अनंतनाग एवं पुलवामा के 40 गांवों में 100 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा एवं अन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि औपचारिक शिक्षा नहीं लेने के बावजूद पौधों की विविध किस्मों के विशाल ज्ञान के कारण वन की विश्वकोष उपाधि से जानी जाने वाली कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौडा को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार दशकों से पूर्वोत्तर राज्यों के दूरदराज के इलाकों में शिक्षा एवं पाठन संस्कृति को प्रोत्साहित कर रहे और अंकल मूसा के नाम से विख्यात अरुणाचल प्रदेश के सत्यनारायण मुंदायूर, 1984 भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की खातिर लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बर उर्फ भोपाल की आवाज (मरणोपरांत) और राजस्थान में स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाली दलित सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
इसमें कहा गया है कि सूखाग्रस्त हिवरे बाजार में भूजल में सुधार करने के लिए अहमदनगर (महाराष्ट्र) के प्रख्यात पोपटराव पवार, गरीबों को किफायती शिक्षा देने में मदद करने वाले कर्नाटक के 64 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता हारेकला हाजब्बा, दूरस्थ सुंदरबन में मरीजों का उपचार करने वाले पश्चिम बंगाल के चिकित्सक अरुणोदय मंडल, केवल जैविक तकनीक के प्रयोग से ओडिशा में बंजर भूमि को वन क्षेत्र में तब्दील करने वाले गांधीवादी राधा मोहन एवं उनकी पुत्री साबरमती को भी पद्म श्री से नवाजा गया.
पढ़ें- गणतंत्र दिवस : वीरता पदकों की घोषणा, जम्मू-कश्मीर पुलिस सबसे आगे
हल्दी की खेती संबंधी मुहिम चलाने वाले मेघालय के आदिवासी किसान त्रिनिती साइऊ, असम की बराक घाटी में कैंसर मरीजों का उपचार करने वाले चेन्नई के चिकित्सक रवि कन्नन, तमिलनाडु में चार दशक से अधिक समय से 14,000 से अधिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास में मदद करने वाले दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता एस रामाकृष्णन को भी यह पुरस्कार दिया गया.
इसके अलावा सरकार ने राजस्थान में 50,000 पौधे लगाने वाले 68 वर्षीय पर्यावरणविद् सुंदरम वर्मा, राज्य के मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर, पिछले 35 साल से लोगों का नि:शुल्क उपचार कर रहे उत्तराखंड के 81 वर्षीय चिकित्सक योगी ऐरोन, कृषि-जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वविख्यात आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपेरे को भी पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है.
नई दिल्ली : चंडीगढ़ स्थित पीजीआई अस्पताल के बाहर मरीजों एवं उनके साथ आए लोगों को नि:शुल्क भोजन कराने वाले जगदीश लाल आहूजा, 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले फैजावाद के मोहम्मद शरीफ, मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर और असम में हाथियों के चिकित्सक कुशल कंवर सरमा उन गुमनाम नायकों में शामिल हैं. जिन्हें इस साल पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गई जिनमें जम्मू-कश्मीर के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद टक भी शामिल हैं, जो दो दशक से दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रहे हैं, अनंतनाग एवं पुलवामा के 40 गांवों में 100 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा एवं अन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि औपचारिक शिक्षा नहीं लेने के बावजूद पौधों की विविध किस्मों के विशाल ज्ञान के कारण वन की विश्वकोष उपाधि से जानी जाने वाली कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौडा को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार दशकों से पूर्वोत्तर राज्यों के दूरदराज के इलाकों में शिक्षा एवं पाठन संस्कृति को प्रोत्साहित कर रहे और अंकल मूसा के नाम से विख्यात अरुणाचल प्रदेश के सत्यनारायण मुंदायूर, 1984 भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की खातिर लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बर उर्फ भोपाल की आवाज (मरणोपरांत) और राजस्थान में स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाली दलित सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
इसमें कहा गया है कि सूखाग्रस्त हिवरे बाजार में भूजल में सुधार करने के लिए अहमदनगर (महाराष्ट्र) के प्रख्यात पोपटराव पवार, गरीबों को किफायती शिक्षा देने में मदद करने वाले कर्नाटक के 64 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता हारेकला हाजब्बा, दूरस्थ सुंदरबन में मरीजों का उपचार करने वाले पश्चिम बंगाल के चिकित्सक अरुणोदय मंडल, केवल जैविक तकनीक के प्रयोग से ओडिशा में बंजर भूमि को वन क्षेत्र में तब्दील करने वाले गांधीवादी राधा मोहन एवं उनकी पुत्री साबरमती को भी पद्म श्री से नवाजा गया.
पढ़ें- गणतंत्र दिवस : वीरता पदकों की घोषणा, जम्मू-कश्मीर पुलिस सबसे आगे
हल्दी की खेती संबंधी मुहिम चलाने वाले मेघालय के आदिवासी किसान त्रिनिती साइऊ, असम की बराक घाटी में कैंसर मरीजों का उपचार करने वाले चेन्नई के चिकित्सक रवि कन्नन, तमिलनाडु में चार दशक से अधिक समय से 14,000 से अधिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास में मदद करने वाले दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता एस रामाकृष्णन को भी यह पुरस्कार दिया गया.
इसके अलावा सरकार ने राजस्थान में 50,000 पौधे लगाने वाले 68 वर्षीय पर्यावरणविद् सुंदरम वर्मा, राज्य के मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर, पिछले 35 साल से लोगों का नि:शुल्क उपचार कर रहे उत्तराखंड के 81 वर्षीय चिकित्सक योगी ऐरोन, कृषि-जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वविख्यात आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपेरे को भी पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है.
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मुस्लिम भजन गायक, ‘वनों की विश्वकोश’ पद्मश्री से सम्मानित गुमनाम नायकों में शामिल
नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) चंडीगढ़ स्थित पीजीआई अस्पताल के बाहर मरीजों एवं उनके साथ आए लोगों को नि:शुल्क भोजन कराने वाले जगदीश लाल आहूजा, 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले फैजावाद के मोहम्मद शरीफ, मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर और असम में हाथियों के चिकित्सक कुशल कंवर सरमा उन गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें इस साल पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गई जिनमें जम्मू-कश्मीर के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद टक भी शामिल हैं जो दो दशक से दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रहे हैं, अनंतनाग एवं पुलवामा के 40 गांवों में 100 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा एवं अन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि औपचारिक शिक्षा नहीं लेने के बावजूद पौधों की विविध किस्मों के विशाल ज्ञान के कारण ‘वन की विश्वकोष’ उपाधि से जानी जाने वाली कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौडा को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार दशकों से पूर्वोत्तर राज्यों के दूरदराज के इलाकों में शिक्षा एवं पाठन संस्कृति को प्रोत्साहित कर रहे और ‘अंकल मूसा’ के नाम से विख्यात अरुणाचल प्रदेश के सत्यनारायण मुंदायूर, 1984 भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की खातिर लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बर उर्फ ‘भोपाल की आवाज’ (मरणोपरांत) और राजस्थान में स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाली दलित सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
इसमें कहा गया है कि सूखाग्रस्त हिवरे बाजार में भूजल में सुधार करने के लिए अहमदनगर (महाराष्ट्र) के प्रख्यात पोपटराव पवार, गरीबों को किफायती शिक्षा देने में मदद करने वाले कर्नाटक के 64 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता हारेकला हाजब्बा, दूरस्थ सुंदरबन में मरीजों का उपचार करने वाले पश्चिम बंगाल के चिकित्सक अरुणोदय मंडल, केवल जैविक तकनीक के प्रयोग से ओडिशा में बंजर भूमि को वन क्षेत्र में तब्दील करने वाले गांधीवादी राधा मोहन एवं उनकी पुत्री साबरमती को भी पद्म श्री से नवाजा गया।
हल्दी की खेती संबंधी मुहिम चलाने वाले मेघालय के आदिवासी किसान त्रिनिती साइऊ, असम की बराक घाटी में कैंसर मरीजों का उपचार करने वाले चेन्नई के चिकित्सक रवि कन्नन, तमिलनाडु में चार दशक से अधिक समय से 14,000 से अधिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास में मदद करने वाले दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता एस रामाकृष्णन को भी यह पुरस्कार दिया गया।
इसके अलावा सरकार ने राजस्थान में 50,000 पौधे लगाने वाले 68 वर्षीय पर्यावरणविद् सुंदरम वर्मा, राज्य के मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर, पिछले 35 साल से लोगों का नि:शुल्क उपचार कर रहे उत्तराखंड के 81 वर्षीय चिकित्सक योगी ऐरोन, कृषि-जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वविख्यात आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपेरे को भी पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है।
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सैन्य बलों ने कश्मीर जैश प्रमुख समेत तीन आतंकियों को मार गिराया
श्रीनगर :गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर सहित तीन आतंकवादियों को मार गिराया. यह भारतीय सेना के लिए एक बड़ी सफलता है.
पुलिस और सेना के अधिकारियों ने बताया कि यासिर पिछले साल पुलवामा हमले में शामिल था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे.
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्रीनगर स्थित चिनार कोर के जनरल-ऑफिसर-कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों और पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा कि आतंकवादी समूह गणतंत्र दिवस पर एक बड़े हमले की योजना बना रहा था लेकिन अब वह खतरा टल गया है.
कुमार ने कहा, 'त्राल मुठभेड़ में हमने तीन आतंकवादियों को मार दिया जिसमें जैश ए मोहम्मद के कश्मीर क्षेत्र के स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर शामिल था.
वह पिछले साल फरवरी (आईईडी) विस्फोट और लेथपोरा (आईईडी) विस्फोट में शामिल थे. वह एक आईईडी विशेषज्ञ है और उग्रवादियों की भर्ती के साथ-साथ पाकिस्तान से उन्हें लाने ले जाने में भी शामिल था.'
गोलीबारी में सेना के तीन जवान घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
आईजीपी ने कहा कि पुलिस को श्रीनगर या उसके आसपास आईईडी हमले के बारे में लगातार जानकारी मिल रहे थे.
उन्होंने कहा, 'हमें बुरहान और यासिर के नाम पता थे. उनका एक दोस्त और यासिर का दूसरा कमांडर मूसा भी उसके साथ था. हमें यकीन है कि शवों की पहचान कर लेंगे तो उनमें से एक यासिर होगा. क्योंकि हमारी जानकारी के अनुसार वे वहीं मौजूद थे. यासिर और मूसा पाकिस्तान के हैं जबकि बुरहान स्थानीय निवासी था.'
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लो ने कहा कि तीन आतंकवादियों के मारे जाने के साथ 26 जनवरी को नियोजित एक बड़ा खतरा टल गया है.
उन्होंने कहा, 'कुछ समय से जैश ए मोहम्मद क्षेत्र में सक्रिय होकर गणतंत्र दिवस पर कुछ सनसनीखेज करने की योजना बना रहा था.'
उन्होंने कहा कि अभियान अब भी जारी है.
उन्होंने कहा कि पिछले साल के पुलवामा हमले के बाद सेना ने जैश ए मोहम्मद को निष्क्रिय कर दिया था लेकिन आतंकी समूह खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा था.
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तानी आतंकवादी जैश को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे थे… लेकिन जैश को एक बार फिर से साफ कर दिया गया है. बकौल, एचएम, इसका शीर्ष नेतृत्व भी कश्मीर घाटी में समाप्त हो गया है.
घाटी में अल-बद्र और लश्कर-ए-तैयबा का की उपस्थिति ना के बराबर है. इसलिए पाकिस्तानी आतंकवादियों सहित कश्मीर में आतंकवाद का अधिकांश नेतृत्व कमोबेश समाप्त हो चुका है.”
घाटी में आतंकवादियों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर आईजीपी ने कहा कि घाटी में लगभग 125 आतंकवादी सक्रिय थे, जिनमें ज्यादातर स्थानीय थे.
नियंत्रण रेखा के पास घुसपैठ के बारे में पूछे जाने पर कमांडर ने कहा कि पाकिस्तान और उसकी सेना भारत में अधिक आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रही थी.
Conclusion: