हैदराबाद : खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) का खाद्य मूल्य सूचकांक दिसंबर के बाद मई में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का खाद्य मूल्य सूचकांक मई में 162.5 अंक पर आ गया है, जो पिछले महीने के मुकाबले 1.9 प्रतिशत और दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम स्तर है. चौथे महीने में लगातार गिरावट कोविड-19 महामारी के कारण कमजोर मांग दिखाती है.
एफएओ अनाज मूल्य सूचकांक
अनाज के लिए खाद्य मूल्य सूचकांक अप्रैल से 1.0 प्रतिशत घट गया. वहीं चावल का भाव बढ़ने से अंतर्राष्ट्रीय चावल की कीमतों में मामूली उछाल आया है, जबकि गेहूं के निर्यात की कीमतों में गिरावट को दर्ज किया गया. मोटे अनाज की कीमतें और गिर गईं. अमेरिकी मक्का की कीमतें अब मई 2019 के बाद अपने सबसे निचले स्तर से लगभग 16 प्रतिशत नीचे आ गई हैं.
एफएओ वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक
तेल का खाद्य मूल्य सूचकांक 2.8 प्रतिशत गिरकर 10 महीने के निचले स्तर पर आ गया. जबकि ताड़ के तेल (पाम) में वृद्धि और सूरजमुखी और सफेद सरसों (रेपसीड) के तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है. पाम तेल के लिए लगातार चौथे महीने गिरावट आई है, जो प्रमुख निर्यातक देशों में वैश्विक आयात मांग और उच्च उत्पादन में कमी को दर्शाता है.
एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक
डेयरी के खाद्य मूल्य सूचकांक में अप्रैल से मई में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. मौसमी आपूर्ति कारकों और कम आयात की मांग के कारण मक्खन और पनीर में गिरावट को दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19.6 प्रतिशत कम है. हालांकि दूध पाउडर के कोटेशन में मामूली गिरावट आई है, क्योंकि चीन में नई आर्थिक गतिविधियों ने मजबूत खरीद को बढ़ावा दिया है.
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एफएओ मांस मूल्य सूचकांक
खाद्य मूल्य सूचकांक में मई में 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो मई 2019 के मुकाबले 3.6 प्रतिशत कम है. कोविड-19 के कारण उत्पन्न सामाजिक दूरी में छूट के बाद पूर्वी एशिया में आयात की मांग में वृद्धि हुई है. इसके बावजूद भी वैश्विक स्तर पर गिरावट जारी है. हालांकि प्रमुख उत्पादक देशों में उच्च निर्यात उपलब्धता के बावजूद मुर्गी और सुअर के मांस के मांग में गिरावट जारी है.
एफएओ चीनी मूल्य सूचकांक
चीनी के खाद्य मूल्य सूचकांक में पिछले महीने की तुलना में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. अप्रैल में अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने भी भाव बढ़ाया है. बता दें कि भारत और थाईलैंड में क्रमश दुनिया में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक चीनी उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है.