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'कांग्रेस दिशाहीन' की अवधारणा तोड़नी होगी, जल्द बने पूर्णकालिक अध्यक्ष : थरूर

कांग्रेस नेता कहा है कि कांग्रेस को उसके 'दिशाहीन' होने की अवधारणा को तोड़ना होगा. बकौल थरूर, अवधारणा को तोड़ने के लिए कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष खोजने की प्रक्रिया तेज करने की आवश्यकता है.

शशि थरूर
शशि थरूर
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Published : Aug 9, 2020, 2:57 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 9:09 PM IST

नई दिल्ली : केरल के तिरुवनंतपुरम संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चयन को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से अनिश्चितकाल के लिए अंतरिम प्रमुख का बोझ उठाने की उम्मीद करना अनुचित है. थरूर ने कहा है कि कांग्रेस को उसके 'दिशाहीन' होने की अवधारणा को तोड़ना होगा. बकौल थरूर, 'राहुल गांधी के पास एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता, क्षमता और योग्यता है, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो पार्टी को नए प्रमुख का चुनाव करने के लिए कार्रवाई करनी होगी.'

गौरतलब है कि थरूर के द्वारा यह टिपण्णी ऐसे समय में की गई है, जब 10 अगस्त को सोनिया गांधी अंतरिम प्रमुख के रूप में एक वर्ष पूरा होने जा रहा है. एक वर्ष से पार्टी को अभी तक उनका उत्तराधिकारी नहीं मिला पाया है.

थरूर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि हमें अपने नेतृत्व को आगे बढ़ाने के बारे में स्पष्ट होना चाहिए. सोनिया गांधी का पिछले वर्ष अंतरिम अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का स्वागत किया था, लेकिन मुझे लगता है कि उनके लिए यह बोझ अनिश्चित काल तक उठाने की अपेक्षा करना ठीक नहीं है,

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें जनता की इस धारणा को भी रोकने की आवश्यकता है, कि कांग्रेस एक विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की चुनौती लेने में असमर्थ है.

राहुल गांधी की अध्यक्ष के रूप में वापसी को लेकर उठ रहीं आवाजों को लेकर थरूर ने कहा कि बेशक, अगर राहुल गांधी नेतृत्व को फिर से संभालने के लिए तैयार हैं, तो उन्हें बस इतना करना होगा कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. वह दिसंबर, 2022 तक सेवा देने के लिए चुने गए थे और बस फिर से बागडोर उठा सकते हैं, लेकिन अगर वह यह नहीं करते है, तो हमें आगे की कार्रवाई करनी होगी. यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है.

केरल के तिरूवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा एक सहभागी लोकतांत्रिक प्रक्रिया भावी नेतृत्व की विश्वसनीयता और वैधता को मजबूती प्रदान करेगी, जो एक महत्वपूर्ण चीज होगी क्योंकि वह पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार करने के साथ सांगठनिक चुनौतियों से उत्साहपूर्ण तरीके से निपटेगी.

थरूर ने कहा कि व्यापक तर्क किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है, बल्कि एक प्रक्रिया या प्रणाली की हिमायत करने के बारे में है, जिसके जरिए कांग्रेस नेतृत्व के मौजूदा मुद्दे का हल कर सकती है और फिर पार्टी में नयी जान फूंक सकती है तथा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार कर सकती है.

उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान अपनी गतिविधियों के जरिए, चाहे यह कोविड-19 का मुद्दा हो या चीन की घुसपैठ का, राहुल गांधी ने अकेले ही मौजूदा सरकार को उसके कार्यों एवं नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराने का उल्लेखनीय काम किया है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने बेहतरीन दूरदृष्टि भी प्रदर्शित की है, एक रचनात्मक आवाज उठाई है, जिसके जरिए इस चुनौतीपूर्ण समय में लोगों की आकांक्षाओं को सचमुच में समझने की क्षमता दिखाई है.

थरूर ने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि अध्यक्ष के रूप में या फिर अपनी पसंद के किसी अन्य पद पर रहते हुए वह इसे जारी रखेंगे.'

थरूर की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्होंने बयान नहीं देखा है, लेकिन (पार्टी के अंदर) चुनाव के बारे में कांग्रेस संविधान में एक निर्धारित कार्यप्रणाली है.

उन्होंने कहा, 'सोनिया जी (अंतरिम) अध्यक्ष हैं, वह एक उपयुक्त प्रक्रिया के लागू होने तक इस पद पर बनी रहेंगी और इसे भविष्य में बहुत बाद में जाकर लागू नहीं किया जाएगा.'

पार्टी प्रवक्ता ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया का एक साल का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होने के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह कहा.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी ने 10 अगस्त को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली थी.

पढ़ें - रोजगार को लेकर राहुल का हमला, कहा- सरकार को नींद से जगाने की जरूरत

राम मंदिर के मुद्दे पर अपने रुख में कथित बदलाव को लेकर कांग्रेस के विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना किए जाने के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि वह नहीं मानते हैं कि पार्टी ने अपनी धर्मनिरपेक्षता से कोई समझौता किया है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने परंपरागत रूप से धर्मनिरपेक्षता के ब्रांड को आगे बढ़ाया है और भारत की बहुलता को मान्यता दी है। दूसरे शब्दों में पार्टी ने विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाया है.

राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस के कई नेताओं के पार्टी के धर्मनिरपेक्ष रुख से अलग टिप्पणी किए जाने को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि जो लोग कांग्रेस को भाजपा के उदार रूप या हिंदुत्व के सौम्य रूप के तौर पर देख रहे हैं, वे कांग्रेस की इस विशेषता को नहीं देख पा रहे हैं - 'कि यह सभी लोगों की पार्टी बनी हुई है, अल्पसंख्यकों, कमजोर लोगों और हाशिये पर मौजूद लोगों की सुरक्षित शरणस्थली है तथा मूल रूप से धर्मनिरपेक्षता के प्रति कटिबद्ध है.'

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी बड़ी पार्टी है जो यह सब कह सकती है.

थरूर ने कहा कि राहुल खुद ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह हिंदुत्व के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करेंगे, चाहे वह सौम्य हो या फिर कठोर.

नई दिल्ली : केरल के तिरुवनंतपुरम संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चयन को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से अनिश्चितकाल के लिए अंतरिम प्रमुख का बोझ उठाने की उम्मीद करना अनुचित है. थरूर ने कहा है कि कांग्रेस को उसके 'दिशाहीन' होने की अवधारणा को तोड़ना होगा. बकौल थरूर, 'राहुल गांधी के पास एक बार फिर से पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता, क्षमता और योग्यता है, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो पार्टी को नए प्रमुख का चुनाव करने के लिए कार्रवाई करनी होगी.'

गौरतलब है कि थरूर के द्वारा यह टिपण्णी ऐसे समय में की गई है, जब 10 अगस्त को सोनिया गांधी अंतरिम प्रमुख के रूप में एक वर्ष पूरा होने जा रहा है. एक वर्ष से पार्टी को अभी तक उनका उत्तराधिकारी नहीं मिला पाया है.

थरूर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि हमें अपने नेतृत्व को आगे बढ़ाने के बारे में स्पष्ट होना चाहिए. सोनिया गांधी का पिछले वर्ष अंतरिम अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का स्वागत किया था, लेकिन मुझे लगता है कि उनके लिए यह बोझ अनिश्चित काल तक उठाने की अपेक्षा करना ठीक नहीं है,

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें जनता की इस धारणा को भी रोकने की आवश्यकता है, कि कांग्रेस एक विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की चुनौती लेने में असमर्थ है.

राहुल गांधी की अध्यक्ष के रूप में वापसी को लेकर उठ रहीं आवाजों को लेकर थरूर ने कहा कि बेशक, अगर राहुल गांधी नेतृत्व को फिर से संभालने के लिए तैयार हैं, तो उन्हें बस इतना करना होगा कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. वह दिसंबर, 2022 तक सेवा देने के लिए चुने गए थे और बस फिर से बागडोर उठा सकते हैं, लेकिन अगर वह यह नहीं करते है, तो हमें आगे की कार्रवाई करनी होगी. यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है.

केरल के तिरूवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा एक सहभागी लोकतांत्रिक प्रक्रिया भावी नेतृत्व की विश्वसनीयता और वैधता को मजबूती प्रदान करेगी, जो एक महत्वपूर्ण चीज होगी क्योंकि वह पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार करने के साथ सांगठनिक चुनौतियों से उत्साहपूर्ण तरीके से निपटेगी.

थरूर ने कहा कि व्यापक तर्क किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है, बल्कि एक प्रक्रिया या प्रणाली की हिमायत करने के बारे में है, जिसके जरिए कांग्रेस नेतृत्व के मौजूदा मुद्दे का हल कर सकती है और फिर पार्टी में नयी जान फूंक सकती है तथा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार कर सकती है.

उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान अपनी गतिविधियों के जरिए, चाहे यह कोविड-19 का मुद्दा हो या चीन की घुसपैठ का, राहुल गांधी ने अकेले ही मौजूदा सरकार को उसके कार्यों एवं नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराने का उल्लेखनीय काम किया है.'

कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने बेहतरीन दूरदृष्टि भी प्रदर्शित की है, एक रचनात्मक आवाज उठाई है, जिसके जरिए इस चुनौतीपूर्ण समय में लोगों की आकांक्षाओं को सचमुच में समझने की क्षमता दिखाई है.

थरूर ने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि अध्यक्ष के रूप में या फिर अपनी पसंद के किसी अन्य पद पर रहते हुए वह इसे जारी रखेंगे.'

थरूर की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्होंने बयान नहीं देखा है, लेकिन (पार्टी के अंदर) चुनाव के बारे में कांग्रेस संविधान में एक निर्धारित कार्यप्रणाली है.

उन्होंने कहा, 'सोनिया जी (अंतरिम) अध्यक्ष हैं, वह एक उपयुक्त प्रक्रिया के लागू होने तक इस पद पर बनी रहेंगी और इसे भविष्य में बहुत बाद में जाकर लागू नहीं किया जाएगा.'

पार्टी प्रवक्ता ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया का एक साल का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होने के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह कहा.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी ने 10 अगस्त को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली थी.

पढ़ें - रोजगार को लेकर राहुल का हमला, कहा- सरकार को नींद से जगाने की जरूरत

राम मंदिर के मुद्दे पर अपने रुख में कथित बदलाव को लेकर कांग्रेस के विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना किए जाने के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि वह नहीं मानते हैं कि पार्टी ने अपनी धर्मनिरपेक्षता से कोई समझौता किया है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने परंपरागत रूप से धर्मनिरपेक्षता के ब्रांड को आगे बढ़ाया है और भारत की बहुलता को मान्यता दी है। दूसरे शब्दों में पार्टी ने विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाया है.

राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस के कई नेताओं के पार्टी के धर्मनिरपेक्ष रुख से अलग टिप्पणी किए जाने को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि जो लोग कांग्रेस को भाजपा के उदार रूप या हिंदुत्व के सौम्य रूप के तौर पर देख रहे हैं, वे कांग्रेस की इस विशेषता को नहीं देख पा रहे हैं - 'कि यह सभी लोगों की पार्टी बनी हुई है, अल्पसंख्यकों, कमजोर लोगों और हाशिये पर मौजूद लोगों की सुरक्षित शरणस्थली है तथा मूल रूप से धर्मनिरपेक्षता के प्रति कटिबद्ध है.'

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी बड़ी पार्टी है जो यह सब कह सकती है.

थरूर ने कहा कि राहुल खुद ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह हिंदुत्व के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करेंगे, चाहे वह सौम्य हो या फिर कठोर.

Last Updated : Aug 9, 2020, 9:09 PM IST
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