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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तेलंगाना विधानसभा में प्रस्ताव पारित

चंद्रशेखर राव
चंद्रशेखर राव
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Published : Mar 16, 2020, 2:57 PM IST

Updated : Mar 16, 2020, 7:31 PM IST

14:56 March 16

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तेलंगाना विधानसभा में प्रस्ताव पारित

हैदराबाद : तेलंगाना विधानसभा ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सोमवार को प्रस्ताव पारित किया. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि लाखों लोग हैं, जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं है, इसलिए यहां इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सीएए पर पुनर्विचार करना चाहिए.

सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला तेलंगाना सातवां राज्य है. इसके पूर्व पंजाब, केरल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं.

बता दें कि सीएए को लेकर देशभर में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए.

इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत में शरण लेने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. 

पढ़ें- एमबीए करने वाले व्यक्ति को रेलवे में मिली खलासी की नौकरी : लोकसभा सदस्य

इसके तहत बिना वैध दस्तावेज के भी भारत में रह रहे शरणार्थियों को भारत की स्थायी नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. अब तक भारत की नागरिकता पाने के लिए अन्य देशों से आए लोगों को 12 साल तक भारत में रहना जरूरी था, जिसे बाद में कम करके छह साल कर दिया गया.

14:56 March 16

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तेलंगाना विधानसभा में प्रस्ताव पारित

हैदराबाद : तेलंगाना विधानसभा ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सोमवार को प्रस्ताव पारित किया. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि लाखों लोग हैं, जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं है, इसलिए यहां इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सीएए पर पुनर्विचार करना चाहिए.

सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला तेलंगाना सातवां राज्य है. इसके पूर्व पंजाब, केरल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं.

बता दें कि सीएए को लेकर देशभर में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए.

इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत में शरण लेने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. 

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इसके तहत बिना वैध दस्तावेज के भी भारत में रह रहे शरणार्थियों को भारत की स्थायी नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. अब तक भारत की नागरिकता पाने के लिए अन्य देशों से आए लोगों को 12 साल तक भारत में रहना जरूरी था, जिसे बाद में कम करके छह साल कर दिया गया.

Last Updated : Mar 16, 2020, 7:31 PM IST
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