हैदराबाद: कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है. इससे उत्पन्न लॉकडाउन का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ा है. हालांकि इस लॉकडाउन में अभिभावकों को अपने बच्चों की अच्छी और बुरी आदतों का पता चला.
एक बच्चे के पिता का कहना है कि उसका बेटा पिछले कुछ दिनों से कुछ छिपा रहा है और वह हर दिन 10 घंटे से ज्यादा सो रहा है. जब पूछताछ की गई, तो उसने अंजान होने का दिखावा किया. उसने इसकी शिकायत भी की है.
दूसरी तरफ, एक हाई स्कूल में पढ़ने वाली लड़की की मां को लड़की के इंस्टाग्राम अकाउंट देखने का मौका मिला. उसे पता चला कि उसकी बेटी अजनबियों के साथ बात करती है. और वह मारिजुआना की आदी हो चुकी है. जब मां ने उससे इस बारे में पूछा तो लड़की ने खाना खाना बंद कर दिया.
एक 18 वर्षीय किशोर जो लॉकडाउन से पहले ठीक था अचानक उसने घर में अजीब व्यवहार करना शुरू कर दिया. जब उसकी मां ने उसके अजीब व्यवहार के बारे में सवाल किया, तो वह फूट-फूटकर रोने लगा और उसने अपनी मारिजुआना (नशे का सामान) की लत के बारे में बताया. परिवार के सदस्यों ने उसे समझाया और उसे मनोचिकित्सक के पास ले गए.
लॉकडाउन को दौरान सिर्फ एक या दो ही नहीं, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां माता-पिता ने अपने बच्चों में व्यवहार संबंधी विरोधाभासों को देखा. माता-पिता का मानना था कि उनके बच्चों को कोई गलत आदत नहीं है लेकिन वे गलत साबित हुए. वे अपने बच्चों की गलत हरकतों से परेशान हो गए. जैसा कि सभी को घर तक ही सीमित कर दिया गया था ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों के अच्छे और बुरे पक्षों को देखने का मौका मिला. अपने बच्चे के दुर्व्यवहार के कारण लॉकडाउन का हवाला देते हुए कुछ माता-पिता ने मनोवैज्ञानिकों से भी संपर्क किया.
लेकिन विशेषज्ञों ने खुलासा किया कि इस तरह के बदलाव बहुत ही आम हैं. उन्होंने कहा कि 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं में ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलते हैं. उन्होंने माता-पिता को आश्वस्त किया कि लॉकडाउन उनके बच्चों के मनोवैज्ञानिक मुद्दों को ठीक करने का एक अच्छा जरिया हो सकता है.
लॉकडाउन के एक हफ्ते बाद तक बच्चों में कई बदलाव नहीं देखे गए. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, युवा मादक पदार्थों का सेवन करने के लिए परेशान होते गए. जो लोग मारिजुआना और सिगरेट के आदी हैं, वे घर पर ड्रग्स लेने लगे. पोर्न देखने के आदी किशोर परिवार के लोगों पर भड़कने लगे क्योंकि उन्हें एकांत नहीं मिल रहा था. केवल 20 प्रतिशत किशोरों ने लॉकडाउन के दौरान पहली बार ड्रग्स और पोर्न का सहारा लिया जबकि शेष 80 प्रतिशत पहले से ही इसके आदी थे.
मनोचिकित्सक डॉ. कल्याण चक्रवर्ती ने कहा कि युवाओं को सुधारने का यह सही समय है. बच्चों के साथ उनके व्यवहार में माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए. किशोरों के साथ जबरदस्ती समस्या को और बढ़ा सकता है. हालात बिगड़ने पर विशेषज्ञ से परामर्श करना बेहतर होता है.
इस भागदौड़ कि जिंदगी माता-पिता के पास बच्चों के लिए समय नहीं जिसकी वजह से बच्चे अकेले पड़ जाते हैं और गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में बच्चों के साथ डांट-डपट करने से उनपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
कई बच्चे अपने माता-पिता और देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति में घर पर अकेले रहने के इतने आदी होते हो जाते हैं कि ऐसे में जब माता-पिता उनके साथ संबंध बनाकर लॉकडाउन का सबसे अच्छा उपयोग करने की कोशिश करते हैं तो वे स्मार्टफोन और गैजेट्स के साथ अपना समय बिताना पसंद कर रहे हैं.