पलक्कड़ : कोरोना काल में सभी लोग मुसीबतों का सामना कर रहे हैं. कमोबेश ऐसा ही कुछ हाल केरल के पलक्कड़ जिले के अट्टापडी गांव का भी है. यहां कोविड-19 के चलते सभी गतिविधियां बंद हैं. राज्य में किंडरगार्टन से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर के सभी बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. सभी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा दिया है, लेकिन अट्टापडी गांव के छात्रों के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई, क्योंकि यहां के छात्रों के पास स्मार्टफोन, कंप्यूटर और टेलीविजन तक की सुविधा नहीं थी.
14 साल की लड़की ने निकाला नया तरीका
यहां की रहने वाली 14 साल की अनामिका सुधीर को यह सब अच्छा नहीं लगा. अनामिका ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर एक नई तरकीब निकाली. उसके पास भी ऑनलाइन पढ़ाई का कोई साधन नहीं था. उसने अपने घर के सामने एक अस्थाई स्कूल खोलने का निश्चय किया. आठवीं कक्षा की छात्रा अनामिका ने अपने जैसे बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक की भूमिका निभाई और आदिवासी कॉलोनियों के बच्चों को पढ़ाया, ताकि वे इंटरनेट न होने के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. बता दें, यूनिवर्सल रिकॉर्ड्स फोरम ने अनामिका को इस वर्ष के 'यूथ आइकन' के रूप में भी चुना है, जिसमें उन्होंने अपने साथी बच्चों की मदद करने के साथ-साथ कई सराहना भी हासिल की है.
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अभी चलता रहेगा उसका स्कूल
अनामिका ने पलक्कड़ जिले के अट्टापडी गांव में कोविड-19 की मार झेल रहे ऐसे बच्चों के लिए एक छोटे से स्कूल की स्थापना की और इसका नाम 'द स्मार्ट स्कूल इन माय विलेज' रखा. अनामिका अपने स्कूल में इंग्लिश, मलयालम और गणित पढ़ाती हैं. बता दें, अनामिका, तिरुवनंतपुरम में जवाहर नवोदय स्कूल की एक छात्र है, उसने वहां पर जर्मन भाषा भी सीखी थी. वर्तमान में, अनामिका एक 'शिक्षक' बन चुकी है, जिसमें पहली से आठवीं कक्षा के 13 छात्र शामिल हैं. अनामिका का कहना है कि उसका स्कूल तब तक जारी रहेगा जब तक कि सारे स्कूल और नियमित कक्षाएं शुरू नहीं हो जाती.