नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे एजी पेरारीवलन की सजा घटाने संबंधी तमिलनाडु सरकार की 2018 की सिफारिश पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित तीन-चार दिनों में फैसला करेंगे. केंद्र सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को यह सूचना दी.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ दोषी व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने एमडीएमए जांच पूरी होने तक मामले में अपनी उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया है.
पीठ ने विषय की सुनवाई चार हफ्तों के बाद के लिए निर्धारित कर दी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालांकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज इस विषय में केंद्र की ओर से पेश हो रहे हैं, इस बीच उन्हें न्यायालय को यह सूचित करने के लिए निर्देश प्राप्त हुआ कि इस विषय में कोई फैसला (राज्यपाल द्वारा) तीन-चार दिनों में लिया जाएगा.
पीठ ने कहा कि यह अच्छा है कि राज्यपाल इस मुद्दे पर फैसला कर रहे हैं और यदि फैसला अब तक ले लिया गया होता तो इससे न्यायालय का काफी समय बचता.
मेहता ने देर से न्यायालय का रुख करने के लिए खेद प्रकट किया.
इसके बाद पीठ ने पेरारीवलन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण से पूछा कि यह व्यवस्था उन्हें स्वीकार्य है या नहीं.
शंकरनारायण ने कहा कि यह अच्छा है कि सक्षम प्राधिकार कोई फैसला कर रहा है, लेकिन यदि उन्हें फैसला स्वीकार नहीं हो तो उस स्थिति के लिए न्यायालय से याचिका को लंबित रखने का अनुरोध किया.
पढ़ें- राजीव गांधी हत्याकांड : दोषी की क्षमा याचिका लंबित होने पर सुप्रीम कोर्ट नाखुश
राज्य सरकार ने इससे पहले शीर्ष न्यायालय को बताया था कि राज्य मंत्रिमंडल ने नौ सितंबर, 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया था और राज्यपाल से मामले में सभी सातों दोषियों को समय से पहले रिहा करने की सिफारिश की थी.
उम्र कैद की सजा जिन अन्य छह दोषियों को सुनाई गई थी, उनमें नलिनी श्रीहरण, उनके पति मुरूगन के अलावा संतन, जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पयास शामिल हैं.
इन सभी को विशेष टाडा अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 में हत्या करने में भूमिका को लेकर दोषी ठहराया था. सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी. लेकिन बाद में इसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया.