नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना में सेवारत महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन बनाने का आदेश दिया है. यह फैसला मंगलवार को जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और अजय रस्तोगी की बेंच ने सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना में सेवारत महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन बनाने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया सकता.
कोर्ट का मानना है कि भारतीय नौसेना में स्थायी कमीशन देने के लिए पुरुष और महिला दोनों अधिकारियों के साथ समान रूप से व्यवहार किया जाना है. कोर्ट ने नौसेना में महिला अधिकारियों को प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए केंद्र द्वारा वैधानिक कदम उठाने को कहा है.
स्थायी कमीशन एक अधिकारी को नौसेना में तब तक सेवा करने का अधिकार देता है, जब तक कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के विपरीत सेवानिवृत्त नहीं हो जाता, जो वर्तमान में 10 साल के लिए है और इसे चार साल या कुल 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है.
स्थायी कमीशन पर मंजूरी मिलने के बाद नौसेना की महिला अधिकारी भी अपने पुरुष साथियों के साथ सेवानिवृत्त होंगी और उन्हें पेंशन आदि का लाभ दिया जाएगा.
बता दें कि यह मामला केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के सितंबर 2015 के फैसले के खिलाफ दायर अपील से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग के लिए विचार करने से रोकने का कोई ठोस कारण नहीं था.
दरअसल, केंद्र ने सितंबर 2008 में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का फैसला किया था, लेकिन यह केवल महिला एसएससी अधिकारियों के लिए ही लागू था. सेवारत महिला अधिकारियों को इस अधिकार से बाहर रखा गया था.
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हाई कोर्ट ने माना था कि स्थायी कमीशन से महिला अधिकारियों की सेवा का बहिष्करण तर्कहीन और मनमाना था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में, भारतीय सेना से संबंधित एक समान मुद्दे में, लिंग समानता के लिए एक झटका देते हुए कहा था कि सेवा में एसएससी महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की हकदार हैं.