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सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामले लंबित, सुप्रीम कोर्ट हैरान - उम्रकैद से संबंधित मामलें

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा की उम्रकैद से संबंधित मामले 36 साल से लंबित क्यों हैं? सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि जो लंबित मामले हैं वह सांसदों और विधायकों से जुड़े हुए हैं. सबसे पुराना मामला पंजाब का है, जो साल 1983 से अभी तक लंबित है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 10, 2020, 8:28 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ सबसे पुराना आपराधिक मामला पंजाब का है. यह मामला साल 1983 से ही लंबित है. न्यायमूर्ति एन.वी. रमाना, सूर्यकांत और हृषिकेश रॉय की पीठ ने गुरुवार को यह टिप्पणी आपराधिक मामले में दोषी लोगों को चुनाव लड़ने से रोक लगाने वाली जनहित याचिका पर दी.

न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मार्च के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था. न्यायमूर्ति रमाना ने हंसारिया से पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है. वकील ने कहा कि सबसे पुराना मामला 1983 का है और यह पंजाब राज्य से है.

न्यायमूर्ति रमना ने कहा यह आश्चर्यजनक है. उम्रकैद से संबंधित मामला क्यों 36 साल से लंबित है? पंजाब की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह मामले को देखेंगे और अगली सुनवाई में सूचित करेंगे. शीर्ष अदालत ने केंद्र से चुनाव लड़ने से आजीवन पाबंदी पर रोक लगाने पर 6 सप्ताह के अंदर पक्ष स्पष्ट करने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट में सभी हाईकोर्ट के आंकड़े मुहैया कराए गए, जिसमें यह खुलासा हुआ कि विभिन्न अदालतों में वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ 4,442 मामले लंबित हैं. इसमें वो कोर्ट भी शामिल हैं, जिसे इन केसों को निपटाने के लिए अधिकृत किया गया है.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मस्थल खोलने संबंधी याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2,556 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं. भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका के जरिए वर्तमान और पूर्व विधायकों/सांसदों के खिलाफ मामलों को तेजी से निपटाने के लिए कोर्ट को आदेश देने का आग्रह किया था, जिसके बाद यह रिपोर्ट दाखिल की गई है.

इस मामले में शीर्ष अदालत ने सभी विधायकों-सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों के संबंध में सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को रिकॉर्ड पेश करने को कहा था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया है कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ सबसे पुराना आपराधिक मामला पंजाब का है. यह मामला साल 1983 से ही लंबित है. न्यायमूर्ति एन.वी. रमाना, सूर्यकांत और हृषिकेश रॉय की पीठ ने गुरुवार को यह टिप्पणी आपराधिक मामले में दोषी लोगों को चुनाव लड़ने से रोक लगाने वाली जनहित याचिका पर दी.

न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट के पांच मार्च के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था. न्यायमूर्ति रमाना ने हंसारिया से पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है. वकील ने कहा कि सबसे पुराना मामला 1983 का है और यह पंजाब राज्य से है.

न्यायमूर्ति रमना ने कहा यह आश्चर्यजनक है. उम्रकैद से संबंधित मामला क्यों 36 साल से लंबित है? पंजाब की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह मामले को देखेंगे और अगली सुनवाई में सूचित करेंगे. शीर्ष अदालत ने केंद्र से चुनाव लड़ने से आजीवन पाबंदी पर रोक लगाने पर 6 सप्ताह के अंदर पक्ष स्पष्ट करने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट में सभी हाईकोर्ट के आंकड़े मुहैया कराए गए, जिसमें यह खुलासा हुआ कि विभिन्न अदालतों में वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ 4,442 मामले लंबित हैं. इसमें वो कोर्ट भी शामिल हैं, जिसे इन केसों को निपटाने के लिए अधिकृत किया गया है.

पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मस्थल खोलने संबंधी याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब

वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2,556 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं. भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका के जरिए वर्तमान और पूर्व विधायकों/सांसदों के खिलाफ मामलों को तेजी से निपटाने के लिए कोर्ट को आदेश देने का आग्रह किया था, जिसके बाद यह रिपोर्ट दाखिल की गई है.

इस मामले में शीर्ष अदालत ने सभी विधायकों-सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों के संबंध में सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को रिकॉर्ड पेश करने को कहा था.

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