नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा पाने वाली महिला और उसके प्रेमी की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनाएगा.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में अप्रैल, 2005 में हुई इस सनसनीखेज वारदात में महिला ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने माता-पिता, दो भाईयों, उनकी पत्नियों और 10 महीने के भांजे की गला घोंटकर हत्या कर दी थी.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को दोनों दोषियों के वकीलों ने कहा कि उनके सुधरने की संभावना को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा कम की जाए.
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और मीनाक्षी अरोड़ा से पूछा कि क्या दोषसिद्धि के बाद इन दोषियों के अच्छे व्यवहार पर विचार किया जा सकता है.
पीठ ने टिप्पणी की कि प्रत्येक अपराधी के बारे में कहा जाता है कि वह दिल से निर्दोष है, लेकिन हमें उसके द्वारा किए गए अपराध पर भी गौर करना होगा.
शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल , 2008 को हुए इस अपराध के लिए सलीम और शबनम की मौत की सजा 2015 में बरकरार रखी थी.
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दोनों मुजरिमों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था.
सलीम और शबनम का प्रेम प्रसंग चल रहा था और वह शादी करना चाहते थे, लेकिन महिला का परिवार इसका विरोध कर रहा था.
गौरतलब है कि उप्र के अमरोहा जिले में 15 अप्रैल, 2008 को महिला के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई. प्रारंभिक जांच पड़ताल में महिला ने यही दर्शाया कि अज्ञात हमलावरों ने उसके परिवार पर हमला किया था. लेकिन जांच के दौरान पता चला कि शबनम ने ही सलीम को यह अपराध करने के लिए उकसाया था.
इस अपराध से पहले शबनम ने परिवार के सदस्यों के दूध में नशीला पदार्थ मिला दिया था. इसके बाद खुद उसने अपने नन्हें मासूम भतीजे का गला घोंट दिया था.