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दिव्यांग वर्ग में अनुचित कटऑफ को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट ने दिया नोटिस

सेंट स्टीफेंस कॉलेज द्वारा छात्रों के दिव्यांग वर्ग के लिए निर्धारित अनुचित कट ऑफ को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायलय ने नोटिस जारी किया है.

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Published : Dec 26, 2020, 5:31 PM IST

supreme court
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज द्वारा दिव्यांग वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित अनुचित कट ऑफ और उनके लिए आरक्षित सीटें, जो खाली पड़ी हैं, उन पर सामान्य ईसाई वर्ग के छात्रों को देने को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमणयम की पीठ ने कॉलेज की प्रोफेसर नंदिता नारायण द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सुनवाई में याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी ने ज्यादा कट ऑफ के बारे में कॉलेज को जानकारी दी थी, जिसके चलते दिव्यांग छात्रों को प्रवेश प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.

पढ़ें :- विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिये सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया, ये लोकोमोटर दृष्टि बाधित छात्र हैं और 87% छात्रों को एडमिशन नहीं दिया गया है. दिव्यांग छात्रों के लिए आरक्षित सीटें सभी खाली पड़ी हैं.

याचिकाकर्ता के अनुसार, कॉलेज ने सीटों की तुलना में प्रवेश और साक्षात्कार के लिए कम छात्रों को बुलाया था, जिसके कारण कई सीटें खाली रह गईं.

वहीं दूसरी ओर, क्रिस्चियन अदर्स वर्ग में आरक्षित सीटों से अधिक छात्रों को बुलाया गया और दिव्यांग कैटेगरी के लिए आरक्षित सीटें इन छात्रों को दे दी गईं.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज द्वारा दिव्यांग वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित अनुचित कट ऑफ और उनके लिए आरक्षित सीटें, जो खाली पड़ी हैं, उन पर सामान्य ईसाई वर्ग के छात्रों को देने को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमणयम की पीठ ने कॉलेज की प्रोफेसर नंदिता नारायण द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सुनवाई में याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी ने ज्यादा कट ऑफ के बारे में कॉलेज को जानकारी दी थी, जिसके चलते दिव्यांग छात्रों को प्रवेश प्राप्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया, ये लोकोमोटर दृष्टि बाधित छात्र हैं और 87% छात्रों को एडमिशन नहीं दिया गया है. दिव्यांग छात्रों के लिए आरक्षित सीटें सभी खाली पड़ी हैं.

याचिकाकर्ता के अनुसार, कॉलेज ने सीटों की तुलना में प्रवेश और साक्षात्कार के लिए कम छात्रों को बुलाया था, जिसके कारण कई सीटें खाली रह गईं.

वहीं दूसरी ओर, क्रिस्चियन अदर्स वर्ग में आरक्षित सीटों से अधिक छात्रों को बुलाया गया और दिव्यांग कैटेगरी के लिए आरक्षित सीटें इन छात्रों को दे दी गईं.

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