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ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 लागू न करने वाले राज्यों पर SC ने ठोका जुर्माना - सुप्रीम कोर्ट

ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 सही ढंग से लागू नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाते हुए बुधवार को केंद्रशासित प्रदेश सहित आठ राज्यों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही एक महीने के अंदर ग्राम न्यायालय स्थापित करने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 29, 2020, 8:18 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 10:43 AM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम न्यायलय के गठन में टालमटोल पर सख्त रुख अपनाते हुए एक केंद्रशासित प्रदेश समेत आठ राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है और इन सभी प्रदेशों को एक-एक लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है.

जस्टिस एन.वी. रमना की पीठ ने सुनवाई के दौरान सभी आठ राज्यों को चार हफ्ते के अंदर ग्राम न्यायालय का गठन करने और नोटिफाई करने का आदेश दिया है.

असम, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल पर यह जुर्माना लगाया गया है, साथ ही एक महीने के अंदर इन राज्यों को न्यायालय स्थापित करने का आदेश दिया गया है.

आपको बता दें कि संसद ने 2008 में एक कानून परित किया था, जिसके तहत जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालय बनाने का प्रावधान किया गया था, ताकि लोगों को न्याय मिलने में हो रही देरी को कम किया जा सके. लेकिन कई राज्यों ने इस कानून के क्रियान्वयन में टालमटोल की नीति अपना रखी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.

इससे पहले सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

यह भी पढ़ें- अनुराग व प्रवेश पर ईसी सख्त, कहा- हटाएं स्टार प्रचारकों की सूची से नाम

गौरतलब है कि वर्तमान में कुल 209 ग्राम न्यायालय ही देश में काम कर रहे हैं, जबकि लक्ष्य पांच हजार ग्राम न्यायालय बनाने का था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम न्यायलय के गठन में टालमटोल पर सख्त रुख अपनाते हुए एक केंद्रशासित प्रदेश समेत आठ राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है और इन सभी प्रदेशों को एक-एक लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है.

जस्टिस एन.वी. रमना की पीठ ने सुनवाई के दौरान सभी आठ राज्यों को चार हफ्ते के अंदर ग्राम न्यायालय का गठन करने और नोटिफाई करने का आदेश दिया है.

असम, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल पर यह जुर्माना लगाया गया है, साथ ही एक महीने के अंदर इन राज्यों को न्यायालय स्थापित करने का आदेश दिया गया है.

आपको बता दें कि संसद ने 2008 में एक कानून परित किया था, जिसके तहत जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालय बनाने का प्रावधान किया गया था, ताकि लोगों को न्याय मिलने में हो रही देरी को कम किया जा सके. लेकिन कई राज्यों ने इस कानून के क्रियान्वयन में टालमटोल की नीति अपना रखी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.

इससे पहले सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

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गौरतलब है कि वर्तमान में कुल 209 ग्राम न्यायालय ही देश में काम कर रहे हैं, जबकि लक्ष्य पांच हजार ग्राम न्यायालय बनाने का था.

Intro:The Supreme court bench led by Justice NV Ramana today imposed a cost of Rs 1 lakh each on the states of Assam, Chandigarh, Gujrat, Haryana,Odisha, Punjab, Telangana and West Bengal for not filing their replies or counter affidavits to a PIL seeking setting up of Gram Nyayalays.The court gave 4 weeks of time to the states to notify and set up Gram Nyaylay.


Body:Justice Ramana said that some states have not taken the initiative and no notification has been issued.

The state of Gujrat and Haryana had not filed the response while the state of Odisha did not appear.

Uttar Pradesh has issued notification for setting up of 119 Gram Nyayalay but only 16 out of them are working.

The state of Kerela would file a response today itself and Bihar and Jharkhand has got a different system for Gram Nyayalays so it will be considered later.


Conclusion:National Federation of Societies for Last Justice filed a plea in the Supreme court seeking a direction to the centre and all the states for taking steps to set up 'Gram Nyayalays' under the supervision and monitoring of the apex court.
Last Updated : Feb 28, 2020, 10:43 AM IST
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