नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वीवीपैट पर्चियों के क्रमरहित सत्यापन की प्रक्रिया बढ़ाने पर जोर दिया है. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कहा, 'न्यायपालिका सहित किसी भी संस्थान को स्वयं को सुधार से अलग नहीं रखना चाहिए.'
सोमवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या वह आगामी आम चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट के एक एक नमूना सर्वेक्षण की जगह यह संख्या बढ़ा सकता है.
पीठ ने कहा कि यह 'आक्षेप लगाने' का सवाल नहीं है बल्कि यह मतदाताओं की 'संतुष्टि' का मामला है.
पीठ ने निर्वाचन आयोग से इस बारे में जवाब मांगा है कि क्या आगामी आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वीवीपैट का एक एक नमूना सर्वेक्षण करने की बजाय क्या इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है. आयोग को 28 मार्च को शाम चार बजे तक अपना जवाब देना है.
विपक्षी दलों के नेताओं की इस याचिका पर अब एक अप्रैल को आगे सुनवाई की जायेगी.
इस याचिका में इन दलों के नेताओं ने न्यायालय से अगले महीने लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट मशीनों की पर्चियों की क्रमरहित जांच का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
पीठ ने निर्वाचन आयोग को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है कि अपनी इस संतुष्टि की वजहों का जिक्र करें कि चुनावों में पवित्रता बनाये रखे जा सकती है और बनाये रखी जा रही है.
उसने कहा, 'भारत का चुनाव आयोग यह भी बताये कि क्या नमूना सर्वेक्षण को एक उच्च स्तर पर बढ़ाया जा सकता है...हलफनामा 28 मार्च को शाम चार बजे तक दायर किया जाना चाहिए. मामले को एक अप्रैल को अगली सुनवायी के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.'
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन से सवाल किया कि क्या आयोग वीवीपैट की पर्चियों के क्रमरहित सत्यापन की संख्या बढ़ा सकता है जो कि वर्तमान में प्रति विधानसभाक्षेत्र में एक मतदान केन्द्र है.
इस पर जैन ने कहा कि आयोग के पास यह विश्वास करने की पर्याप्त वजह हैं कि ईवीएम के साथ लगी वीवीपैट की पर्चियों के क्रमरहित सत्यापन की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता नहीं है.
पीठ ने इस पर जैन से कहा, 'यह किसी तरह का आक्षेप लगाने का नहीं है बल्कि संतुष्टि का सवाल है. एक से भले दो हैं. आप हमें बतायें कि क्या आप इनकी संख्या बढ़ा सकते हैं. यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो कीजिये अन्यथा हमें इसकी वजह बतायें.'
जैन ने पीठ से कहा कि प्रत्येक विधानसभा चुनावों में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र और लोकसभा चुनाव के लिये प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र पर वीवीपैट की पर्चियों की गणना की व्यवस्था ठीक काम कर रही है परंतु आयोग सुझावों के लिये हमेशा ही तैयार है.
पीठ निर्वाचन आयोग के अधिकारी के इस जवाब से पूरी तरह संतुष्ट नहीं लग रही थी कि वर्तमान व्यवस्था ठीक से काम कर रही है और उसने इसी वजह से आयोग को अपनी संतुष्टि की वजहों को इंगित करते हुये हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुपालन के तहत आयोग 28 मार्च तक हलफनामा दायर करेगा.
पीठ ने विपक्षी नेताओं की याचिका पर 15 मार्च को निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था और इस मामले में मदद करने के लिये किसी सक्षम अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश दिया था.
याचिका दायर करने वालों में छह राष्ट्रीय और 15 क्षेत्रीय दलों के नेताओं का दावा है कि वे देश की 70 से 75 फीसदी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन दलों में कांग्रेस, राकांपा, आम आदमी पार्टी, माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम शामिल हैं.
याचिका में एक विधानसभा क्षेत्र में क्रमरहित जांच करने का निर्वाचन आयोग का निर्देश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के मामले में शीर्ष अदालत के 1975 के फैसले का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है. इसी तरह याचिका में भाजपा नेता सुब्रमणयम स्वामी के मामले में 2013 में शीर्ष अदालत के एक फैसले का भी जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिये ईवीएम में वीवीपैट मशीनें जोड़ना एक 'अनिवार्य आवश्यकता' है.
इन दलों ने फरवरी में आयोग के साथ हुयी बैठक में भी ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर आशंकायें व्यक्त की थीं, हालांकि आयोग ने इन मशीनों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ के आरोपों से इंकार किया था.
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करते हुये कहा था कि प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र के आधार पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की जांच अनिवार्य रूप से की जायेगी.