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इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील करें तबलीगी जमात के विदेशी सदस्य : सुप्रीम कोर्ट

भारत में फंसे विदेशी तबलीगी जमात के सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिन पर सुनवाई होनी है. इन मामलों की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी तबलीगी जमात के सदस्यों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा है.

TABLIGHI JAMAAT
तबलीगी जमात
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Published : Sep 4, 2020, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को लकर उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों की जमानत की शर्तों को और इस मामले की सुनवाई किसी अदालत में हो तय करेगा.

न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ सरकार द्वारा की गई ब्लैकलिस्टिंग के खिलाफ विदेशी सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

केंद्र ने जमैतियों को माफी मांगने की शर्त पर भारत छोड़ने की अनुमति दी है. कुछ विदेशियों पर देश के विभिन्न हिस्सों में मामले दर्ज है और कार्रवाई की जी रही है.

अदालत ने सुझाव दिया कि प्रत्येक जोन की अदालत उस जोन में आए तबलीगी जमात से जुड़े मामलों की सुनवाई कर सकती है. उदाहरण के लिए, यूपी में 8 जोन हैं, प्रत्येक जोन की एक-एक अदालत सुनवाई कर सकती है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने 2-3 अदालतों में सुनवाई का सुझाव दिया.

अदालत ने कहा, 'हम सुझाव देते हैं कि अभियोजन पक्ष उच्च न्यायालय में एक अर्जी दाखिल करे जिसके बाद यह तय किया जा सके की एक अदालत विभिन्न जोन में विलय करके मामले की सुनवाई करे या विभिन्न जोनों में अलग-अलग अदालतें सुनवाई करें.'

पढ़ें :- भारत में फंसे जमातियों को SC ने वतन लौटने की दिखाई राह, जमाती बोले- माफी नहीं मांगेंगे

तबलीगी जमात से जुड़े मामलों में दिल्ली उच्च न्यायालय लंबित अपीलों के हस्तांतरण पर विचार करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह एक हफ्ते के भीतर इसका फैसला सुनाए. ट्रायल कोर्ट को आठ हफ्तों के भीतर सुनवाई का निष्कर्ष निकालने का निर्देश दिया गया है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को लकर उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों की जमानत की शर्तों को और इस मामले की सुनवाई किसी अदालत में हो तय करेगा.

न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ सरकार द्वारा की गई ब्लैकलिस्टिंग के खिलाफ विदेशी सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

केंद्र ने जमैतियों को माफी मांगने की शर्त पर भारत छोड़ने की अनुमति दी है. कुछ विदेशियों पर देश के विभिन्न हिस्सों में मामले दर्ज है और कार्रवाई की जी रही है.

अदालत ने सुझाव दिया कि प्रत्येक जोन की अदालत उस जोन में आए तबलीगी जमात से जुड़े मामलों की सुनवाई कर सकती है. उदाहरण के लिए, यूपी में 8 जोन हैं, प्रत्येक जोन की एक-एक अदालत सुनवाई कर सकती है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने 2-3 अदालतों में सुनवाई का सुझाव दिया.

अदालत ने कहा, 'हम सुझाव देते हैं कि अभियोजन पक्ष उच्च न्यायालय में एक अर्जी दाखिल करे जिसके बाद यह तय किया जा सके की एक अदालत विभिन्न जोन में विलय करके मामले की सुनवाई करे या विभिन्न जोनों में अलग-अलग अदालतें सुनवाई करें.'

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तबलीगी जमात से जुड़े मामलों में दिल्ली उच्च न्यायालय लंबित अपीलों के हस्तांतरण पर विचार करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह एक हफ्ते के भीतर इसका फैसला सुनाए. ट्रायल कोर्ट को आठ हफ्तों के भीतर सुनवाई का निष्कर्ष निकालने का निर्देश दिया गया है.

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