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सुंदर लाल बहुगुणा को आज भी याद हैं गांधी की बातें, सपना था 'स्वावलंबी भारत'

इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है. इस अवसर पर ईटीवी भारत दो अक्टूबर तक हर दिन उनके जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रहा है. हम हर दिन एक विशेषज्ञ से उनकी राय शामिल कर रहे हैं. साथ ही प्रतिदिन उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं. प्रस्तुत है आज चौथी कड़ी.

गांधी और बहुगुणा
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Published : Aug 19, 2019, 7:00 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:38 AM IST

देहरादून: महात्मा गांधी वे शख्सियत थे, जिनके विचारों ने ब्रिटिश हुकूमत को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. यही नहीं, अहिंसक आंदोलन ने देश में ऐसी क्रांति ला दी थी कि अंग्रेजों के भी चूल्हे हिल गए थे. गांधी जी के विचारों से कई लोग प्रभावित थे. गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिन्हें लोग आगे बढ़ा रहे हैं. आज हम ऐसे एक प्रख्यात पर्यावरणविद् से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जिन्हें सरकार पद्मविभूषण के सम्मान से नवाज चुकी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावितों में प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा भी एक हैं. जिन्हों पर्यवारण का "गांधी" भी कहा जाता है, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 92 बसंत देख चुके सुंदरलाल बहुगुणा के सामने जब पर्यावरण की बात आती है तो उनकी आंखों में पुरानी चमक लौट आती है. ईटीवी भारत संवाददाता ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर सुंदरलाल बहुगुणा से बात की. इस दरमियान उन्होंने खुलकर अपनी बातों को साझा किया. सुंदरलाल बहुगुणा ने कहा कि हम गांधी जी के सपने का भारत कायम नहीं कर सकें.

गांधी जी का सपना था कि गांव में स्वराज और स्वावलंबी गांव देश की बुनियाद बनें. उन्होंने कहा कि गांधी जी समाज को नशा मुक्ति देखना चाहते थे. लेकिन वर्तमान में हमने नशा पैसा कमाने का हथियार बना दिया है. गांधी जी एक व्यवहारिक क्रांतिकारी थे और वे अपने विचारों को व्यवहार में लाते थे. वे चाहते थे कि गांव-गांव में स्वराज, नशा मुक्ति और गांव विकास के पथ पर आगे बढ़ें. देश की आजादी की बात पर उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देश को रास्ता दिखाया. इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं. हमने केन्द्रीय शासन बनाया.

बहुगुणा बताते हैं कि उनकी एक बार गांधी जी से मुलाकात हुई और उन्होंने गांधी जी को बताया कि वे पर्वतीय अचंलों में स्वराज कायम कर रहे हैं, तो गांधी जी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि हिमालय की जितनी ऊंचाई पर तुम रहते हो तुमने उतना ही ऊंचा काम किया है. साथ ही गांधी जी ने उनसे कहा कि मेरी अहिंसा को धरती पर लाए हों.

सुंदरलाल बहुगुणा बताते हैं कि गांधी जी के ये वचन उनके जीवन में पथ-प्रदर्शिक बन गए. सुंदरलाल बहुगुणा आगे कहते हैं कि गांधी जी ने कहा था कि तुम गुलाम होकर पैदा हुए हो, आजाद होकर मरना, इसका अर्थ ये था कि गांवों को स्वावलंबी बनाना.

उन्होंने कहा कि गांधी जी के सादगी, सदाचार और संयम के विचार से ही हम भारत को महान राष्ट्र बना सकते हैं. जिस पर वे आजीवन आगे बढ़ते रहे, इसी कारण उन्होंने राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. बल्कि स्वतंत्र होकर गांधी जी के रास्ते पर काम करने का प्रण लिया.

उन्होंने कहा कि आज देश को गांधी जी के रास्ते में चलने की जरूरत हैं. आजादी के समय देश कर्जदार नहीं था, लेकिन आज देश कर्जदार बन गया है. उसका कारण ये है कि हर व्यक्ति सरकार की ओर देखता है और सरकार विदेशों से पैसा लेकर विकास करना चाहती है.

पढ़ें: आज भी प्रासंगिक है ग्राम स्वराज पर गांधी का नजरिया

बहुगुणा ने आगे कहा कि गांधी जी ऐसा विकास चाहते थे जो लोग स्वाबलंबी बनें. आज उसकी सख्त जरूरत हैं और देश भारी कर्जे में डूब गया है. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देशवासियों को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दी थी लेकिन आज हम परावलंबी बन गए हैं. वहीं देश के विकास के लिए विदेशों से कर्ज ले रहे हैं गांधी जी देश को स्वावलंबी देखना चाहते थे.

देहरादून: महात्मा गांधी वे शख्सियत थे, जिनके विचारों ने ब्रिटिश हुकूमत को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. यही नहीं, अहिंसक आंदोलन ने देश में ऐसी क्रांति ला दी थी कि अंग्रेजों के भी चूल्हे हिल गए थे. गांधी जी के विचारों से कई लोग प्रभावित थे. गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिन्हें लोग आगे बढ़ा रहे हैं. आज हम ऐसे एक प्रख्यात पर्यावरणविद् से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जिन्हें सरकार पद्मविभूषण के सम्मान से नवाज चुकी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावितों में प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा भी एक हैं. जिन्हों पर्यवारण का "गांधी" भी कहा जाता है, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 92 बसंत देख चुके सुंदरलाल बहुगुणा के सामने जब पर्यावरण की बात आती है तो उनकी आंखों में पुरानी चमक लौट आती है. ईटीवी भारत संवाददाता ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर सुंदरलाल बहुगुणा से बात की. इस दरमियान उन्होंने खुलकर अपनी बातों को साझा किया. सुंदरलाल बहुगुणा ने कहा कि हम गांधी जी के सपने का भारत कायम नहीं कर सकें.

गांधी जी का सपना था कि गांव में स्वराज और स्वावलंबी गांव देश की बुनियाद बनें. उन्होंने कहा कि गांधी जी समाज को नशा मुक्ति देखना चाहते थे. लेकिन वर्तमान में हमने नशा पैसा कमाने का हथियार बना दिया है. गांधी जी एक व्यवहारिक क्रांतिकारी थे और वे अपने विचारों को व्यवहार में लाते थे. वे चाहते थे कि गांव-गांव में स्वराज, नशा मुक्ति और गांव विकास के पथ पर आगे बढ़ें. देश की आजादी की बात पर उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देश को रास्ता दिखाया. इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं. हमने केन्द्रीय शासन बनाया.

बहुगुणा बताते हैं कि उनकी एक बार गांधी जी से मुलाकात हुई और उन्होंने गांधी जी को बताया कि वे पर्वतीय अचंलों में स्वराज कायम कर रहे हैं, तो गांधी जी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि हिमालय की जितनी ऊंचाई पर तुम रहते हो तुमने उतना ही ऊंचा काम किया है. साथ ही गांधी जी ने उनसे कहा कि मेरी अहिंसा को धरती पर लाए हों.

सुंदरलाल बहुगुणा बताते हैं कि गांधी जी के ये वचन उनके जीवन में पथ-प्रदर्शिक बन गए. सुंदरलाल बहुगुणा आगे कहते हैं कि गांधी जी ने कहा था कि तुम गुलाम होकर पैदा हुए हो, आजाद होकर मरना, इसका अर्थ ये था कि गांवों को स्वावलंबी बनाना.

उन्होंने कहा कि गांधी जी के सादगी, सदाचार और संयम के विचार से ही हम भारत को महान राष्ट्र बना सकते हैं. जिस पर वे आजीवन आगे बढ़ते रहे, इसी कारण उन्होंने राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. बल्कि स्वतंत्र होकर गांधी जी के रास्ते पर काम करने का प्रण लिया.

उन्होंने कहा कि आज देश को गांधी जी के रास्ते में चलने की जरूरत हैं. आजादी के समय देश कर्जदार नहीं था, लेकिन आज देश कर्जदार बन गया है. उसका कारण ये है कि हर व्यक्ति सरकार की ओर देखता है और सरकार विदेशों से पैसा लेकर विकास करना चाहती है.

पढ़ें: आज भी प्रासंगिक है ग्राम स्वराज पर गांधी का नजरिया

बहुगुणा ने आगे कहा कि गांधी जी ऐसा विकास चाहते थे जो लोग स्वाबलंबी बनें. आज उसकी सख्त जरूरत हैं और देश भारी कर्जे में डूब गया है. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने देशवासियों को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा दी थी लेकिन आज हम परावलंबी बन गए हैं. वहीं देश के विकास के लिए विदेशों से कर्ज ले रहे हैं गांधी जी देश को स्वावलंबी देखना चाहते थे.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 11:38 AM IST
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