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अन्वय नाईक मामला : 7 जनवरी को अर्नब समेत तीन अन्य की पेशी, कोर्ट से समन जारी - Anvay Naik case

आर्किटेक्ट अन्वय नाईक की मौत के मामले में अर्नब गोस्वामी व तीन अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला कोर्ट में लंबित है. ताजा घटनाक्रम में रायगड के सीजेएम कोर्ट ने अर्नब समेत तीनों लोगों को सात जनवरी को पेश होने के लिए समन जारी किया गया है. इसी केस के एक अन्य घटनाक्रम में बंबई उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में अर्नब गोस्वामी को आरोप पत्र को चुनौती देने की अनुमति प्रदान कर दी. उच्च न्यायालय को बताया गया कि रायगढ़ जिले में एक अदालत ने दस्तावेज का संज्ञान ले लिया है.

Arnab Goswami
अर्नब गोस्वामी
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Published : Dec 17, 2020, 7:40 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 7:50 PM IST

रायगड / मुंबई : अन्वय नाईक मामले में महाराष्ट्र की रायगड पुलिस ने 1800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. बुधवार को इस मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट) सुनैना पिंगले की अदालत में सुनवाई हुई. चार्जशीट में दायर आरोपों को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इसके बाद अर्नब गोस्वामी, नितेश सारडा और फिरोज शेख को कोर्ट में हाजिर रहने के लिए समन जारी किया गया है. तीनों आरोपियों को 7 जनवरी को कोर्ट में पेश रहने को कहा गया है. यह जानकारी विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने दी.

इसी से जुड़े एक अन्य मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को उनके खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को चुनौती देने की बुधवार को अनुमति प्रदान कर दी. इसके पहले, उच्च न्यायालय को बताया गया कि रायगढ़ जिले में मजिस्ट्रेट की एक अदालत ने दस्तावेज का संज्ञान ले लिया है.

गोस्वामी के वकील आबाद पोंडा ने अदालत को बताया कि पड़ोसी जिले अलीबाग में मजिस्ट्रेट की अदालत ने इंटीरियर डिजाइनर से जुड़े आत्महत्या मामले में उनके मुवक्किल तथा दो अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है.

इसके बाद पोंडा ने दो साल से भी पुराने मामले में अलीबाग पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ की याचिका में सुधार के लिए उच्च न्यायालय से वक्त मांगा.

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया और मजिस्ट्रेट की अदालत को गोस्वामी को आरोप पत्र की प्रति अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

यह आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले की अदालत में दाखिल किया गया था. इस मामले में उच्च न्यायालय अब छह जनवरी को आगे सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि आर्कीटेक्ट-इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले में गोस्वामी तथा दो अन्य को अलीबाग पुलिस ने चार नवंबर को गिफ्तार किया था . तीनों की कंपनियों पर नाइक के बकाए का भुगतान नहीं करने के आरोप हैं.

गोस्वामी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया और उस वक्त उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके प्राथमिकी रद्द करने तथा अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था.

उच्च न्यायालय ने नौ नवंबर को गोस्वामी को अंतरित जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बार उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

उच्चतम न्यायालय ने 11 नवंबर को गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी थी.

पुलिस ने इस माह की शुरुआत में गोस्वामी तथा दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद गोस्वामी ने उच्च न्यायालय में एक अर्जी दे कर आरोप पत्र पर संज्ञान नहीं लेने के निर्देश मजिस्ट्रेट को देने का अनुरोध किया था.

पढ़ें-अर्नब की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ी, SC ने कहा- राज्य कानून का दुरुपयोग न करें

पोंडा ने कहा कि चूंकि मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है, इसलिए अब हम याचिका में सुधार करना चाहेंगे और इसे चुनौती देने के लिए आरोप पत्र को रिकॉर्ड में लाना चाहेंगे.

रायगड / मुंबई : अन्वय नाईक मामले में महाराष्ट्र की रायगड पुलिस ने 1800 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है. बुधवार को इस मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट) सुनैना पिंगले की अदालत में सुनवाई हुई. चार्जशीट में दायर आरोपों को कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इसके बाद अर्नब गोस्वामी, नितेश सारडा और फिरोज शेख को कोर्ट में हाजिर रहने के लिए समन जारी किया गया है. तीनों आरोपियों को 7 जनवरी को कोर्ट में पेश रहने को कहा गया है. यह जानकारी विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने दी.

इसी से जुड़े एक अन्य मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी को उनके खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को चुनौती देने की बुधवार को अनुमति प्रदान कर दी. इसके पहले, उच्च न्यायालय को बताया गया कि रायगढ़ जिले में मजिस्ट्रेट की एक अदालत ने दस्तावेज का संज्ञान ले लिया है.

गोस्वामी के वकील आबाद पोंडा ने अदालत को बताया कि पड़ोसी जिले अलीबाग में मजिस्ट्रेट की अदालत ने इंटीरियर डिजाइनर से जुड़े आत्महत्या मामले में उनके मुवक्किल तथा दो अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है.

इसके बाद पोंडा ने दो साल से भी पुराने मामले में अलीबाग पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ की याचिका में सुधार के लिए उच्च न्यायालय से वक्त मांगा.

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया और मजिस्ट्रेट की अदालत को गोस्वामी को आरोप पत्र की प्रति अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

यह आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनयना पिंगले की अदालत में दाखिल किया गया था. इस मामले में उच्च न्यायालय अब छह जनवरी को आगे सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि आर्कीटेक्ट-इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले में गोस्वामी तथा दो अन्य को अलीबाग पुलिस ने चार नवंबर को गिफ्तार किया था . तीनों की कंपनियों पर नाइक के बकाए का भुगतान नहीं करने के आरोप हैं.

गोस्वामी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया और उस वक्त उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके प्राथमिकी रद्द करने तथा अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था.

उच्च न्यायालय ने नौ नवंबर को गोस्वामी को अंतरित जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बार उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

उच्चतम न्यायालय ने 11 नवंबर को गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी थी.

पुलिस ने इस माह की शुरुआत में गोस्वामी तथा दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद गोस्वामी ने उच्च न्यायालय में एक अर्जी दे कर आरोप पत्र पर संज्ञान नहीं लेने के निर्देश मजिस्ट्रेट को देने का अनुरोध किया था.

पढ़ें-अर्नब की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ी, SC ने कहा- राज्य कानून का दुरुपयोग न करें

पोंडा ने कहा कि चूंकि मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है, इसलिए अब हम याचिका में सुधार करना चाहेंगे और इसे चुनौती देने के लिए आरोप पत्र को रिकॉर्ड में लाना चाहेंगे.

Last Updated : Dec 17, 2020, 7:50 PM IST
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