हैदराबाद : वर्ष 2020 और कोरोना वायरस ने भारत समेत पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. एक तरफ महामारी, तो दूसरी तरफ अपनों से बिछड़ने का गम. आम आदमी से लेकर खास तक इस दर्द से सहम कर रह गया. फिल्मी दुनिया की बात करें, या राजनीति की. हर बड़े क्षेत्र के कुछ नामी गिनामी दिग्गज दुनिया को अलविदा कह गए.
दिग्गज फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. जांच में पाया गया कि अभिनेता अवसाद से जूझ रहे थे, जिसकी वजह से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया. न केवल दिग्गज अभिनेता, आम जन में भी कइयों ने अवसाद के चलते मौत को गले लगा लिया. मुंबई में एक शख्स की कोरोना जांच की गई, रिपोर्ट आने का इंतजार किए बिना अवसाद में शख्स ने बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दे डाली. रिपोर्ट आई, तो पता चला कि वह नेगेटिव था.
हालिया घटनाक्रम कर्नाटक विधान परिषद के डिप्टी चेयरमैन एसएल धर्मेगौड़ा का देखने को मिला है, जिनका रेलवे ट्रैक पर शव मिला. धर्मेगौड़ा ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली.
आत्महत्या की कई वजहें
देश के हर राज्य में काफी बड़ी संख्या में आत्महत्या के मामले देखने को मिले. कइयों ने तनाव के चलते, तो कई कोरोना महामारी के डर या अफवाहों के चलते, पारिवारिक कलह, आंतरिक मामले और भी न जाने कितने कारणों के चलते अपनों को लोग अलविदा कह गए. कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के दौर में भी कई आत्महत्या के मामले देखे गए. लॉकडाउन में जो जहां था, वहीं रह गया. ऐसे में विशेषज्ञों की मानें, तो तनावग्रस्त जीवनशैली और अकेलेपन ने लोगों को अपनी जिंदगी खत्म करने पर मजबूर कर दिया. आइये नजर डालते हैं 2020 में कुछ राज्यों और जिलों में दर्ज हुए आत्महत्याओं के आंकड़ों पर..
शहर और जिले
1 जनवरी से 31 जुलाई तक, महाराष्ट्र के नागपुर जिला पुलिस ने 255 आत्महत्या के मामले दर्ज किए. शहर में 1 से 13 अगस्त के बीच 38 लोगों ने खुद को मौत के घाट उतार दिया.
आंध्र प्रदेश में कुरनूल में जून से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद 17 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज हुए.
जनवरी से सितंबर तक नोएडा जिले में 195 लोगों ने आत्महत्या की और चंडीगढ़ में 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक लॉकडाउन की अवधि के दौरान कम से कम 120 लोगों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर मौत को गले लगा लिया.
2020 में कुल 137 आत्महत्याओं के मामलों में, जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल हैं, 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच दर्ज किए गए. लुधियाना की अगर बात करें, तो अप्रैल से जून में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के समय और 76 मामले दर्ज हुए. 86 मामले ओडिशा के भुवनेश्वर जिले में दर्ज किए गए.
वहीं पंजाब के मोहाली जिले में 57 मामले जून तक दर्ज किए गए. हरिद्वार और ऋषिकेश से जून तक आत्महत्या के 15 मामले सामने आए.
कहते हैं जाने वाला चला जाता है, लेकिन अपने पीछे एक बहुत ही बुरा परिदृश्य छोड़ कर जाता है, जो उसके अपनों और प्रियजनों के लिए जिंदगी भर की सजा बनकर रह जाता है और कई लोगों के लिए यह सजा झेलनी बड़ी मुश्किल होती है.
देश के तमाम राज्यों में 2017 से अब तक कई आत्महत्या के मामले देखने को मिले. कई राज्यों में यह ग्राफ घटता हुआ, तो कहीं बढ़ता हुआ नजर आया.
आइये नजर डालते हैं बीते कुछ वर्षों में आत्महत्या के राज्यवार आंकड़ों पर...