नई दिल्ली : अयोध्या में रामलला के मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री के कर कमलों से होना ना सिर्फ भाजपा बल्कि देश के तमाम राम भक्तों के लिए एक अलौकिक दृश्य था और इस देश के दृश्य के जहां सामाजिक और धार्मिक महत्व है, वहीं सालों साल तक इसका राजनीतिक महत्व भी इतिहास में दर्ज होगा. जिसका पूरा श्रेय वर्तमान प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाएगा. क्या इससे यह माना जाए कि यह नए भाजपा की शुरुआत है और राम मंदिर का इतिहास भी नए रूप में यहां से गड़े जाने की कोशिश है. यही वजह है कि अयोध्या में तमाम नेताओं और भाजपा के जय हिंदुत्व के पुरोधाओं के कटआउट तो लगे मगर अटल आडवाणी जोशी के कटआउट अयोध्या नगरी में कहीं नजर नहीं आए.
वर्षों से भाजपा के संकल्प पत्र में सजदा चला आ रहा है. जिसमें इस बार राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूरा हो रहा है. यह मुद्दा ऐसा था कि हर बार चुनाव से पहले भाजपा या फिर दूसरी पार्टियां कहीं ना कहीं इसे उठाती थी और इसका राजनीतिक लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलता था, लेकिन तब बात वायदे की थी और अब बात निर्माण तक पहुंच चुकी है. जाहिर सी बात है भाजपा इस मुद्दे को 2024 क्या उसके बाद भी चुनाव में इससे बड़ी उपलब्धि की तरह ले जाएगी. भाजपा अब नए इतिहास करने की कोशिश कर रही है. राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार सरीखे नेताओं को तो आमंत्रण नहीं दिया गया और ना ही स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी के कोई कटआउट दिखे. जबकि कटआउट से भरी पड़ी धर्म नगरी अयोध्या के सरयू तट पर हिंदुत्व के पुरोधा कटआउटस जरूर नजर आए.
क्या यह एक प्रकार से बीजेपी की शुरुआत है? भाजपा यह चाहती है कि राम मंदिर के निर्माण का पूरा श्रेय या राम मंदिर का सिंबॉलिक रूप मात्र वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाते में जाए. मंच से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आडवाणी जी के नाम का जिक्र तो किया, लेकिन साथ ही सफाई भी पेश की जो लोग आ सकते थे उन्हें भुलाया नहीं जा सकता था. आखिर क्यों अगर उम्र के नाते देखा जाए तो मोहन भागवत भी 70 वर्ष से भी अधिक उम्र के हैं और कोरोना में कहीं ना कहीं इस उम्र के व्यक्तियों का भी ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहुंचना उचित नहीं माना जा रहा. तो फिर यह नियम का हवाला दिया जाना सिर्फ पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के लिए ही कि आखिर क्यों ?
मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया का अनुमानित समय जो तीन साल का माना जा रहा है वह भी लगभग भाजपा के कार्यकाल के अंतिम चरण में ही पूरा होने की संभावना है. यानी कि 2024 का एजेंडा भाजपा ने अभी से तय कर दिया है और मंदिर निर्माण का श्रेय पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाते में डालने की भाजपा ने तैयारी कर ली है. क्या यह भाजपा की नई शुरुआत है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से अपने पूरे भाषण में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं का राम मंदिर में सहयोग के तौर पर एक बार भी नाम नहीं लिया जाना अपने आप में यह साफ है कि भाजपा में मोदी शाह के रिजिम की शुरुआत तो काफी पहले से हो चुकी थी मगर जिस तरह से सरकार के कार्यकाल में पार्टी के पुराने मुद्दे एक के बाद एक कार्यान्वित हो रहे हैं उन सब का त्रिपाठी पुराने आंदोलनों को ना देकर पूरी तरह से धानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम डालना चाहती है !
ईटीवी भारत की भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से बात
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने भाजपा के नेता राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा से बात की उनका कहना है कि 'भगवान श्री राम का भव्य मंदिर उसकी भूमि पूजन प्रधानमंत्री के कर कमलों से संपन्न हुआ. यह अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण है सारे भारतवासियों के लिए श्री राम को हम हिंदू भगवान मानते हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों ने जिन्होंने अपना धर्म बदला या जिनका धर्म परिवर्तन हुआ. उनके भी भगवान श्रीराम पूर्वज है. भगवान श्रीराम उन सब से वॉल्यूम और अच्छाइयों को विसर्जन करते हैं. जिसे समाज आगे बढ़ता है. रामराज्य की बात होती है तो कैसे एक अच्छा और गुड गवर्नेंस होना चाहिए इन तमाम चीजों पर बात होती है. बराबरी समानता यह सब बातें हैं. यह भगवान श्री राम के आदर्श में सम्मिलित है. यह कहना कि बीजेपी इसका राजनीतिक फायदा उठाएगा यह अनुचित है. भगवान श्री राम के मंदिर को राजनीति से परे देखना चाहिए. भाजपा वहीं करती है जो भारत की जनता चाहती है और यही होना भी चाहिए. एक मजबूत भारत की कल्पना जहां सेना सशक्त है. जहां पूरे विश्व में हमें अपने सिस्टम की वजह से जाना जाए. उन्होंने कहा कि जहां तक आडवाणी जोशी जी साध्वी रितंभरा इन तमाम लोगों का सहयोग रहा है और आडवाणी की तो उसे आत्मसात करते थे. आडवाणी ने कहा की उनका सपना साकार हुआ यह बात सही है. वह हमेशा से पार्टी का मार्गदर्शक देते रहते हैं. हम सब आडवाणी जी की तरह बहुत आशा से देखते हैं और ऐसी कोई कंट्रोवर्सी नहीं है जिससे भाजपा में इसकी चर्चा करने की कोशिश की जा रही है.
भगवान राम सबके आदर्श : निशंक
वह इस मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि 'भगवान राम सबके आदर्श है. भगवान राम सिर्फ समाज में ही नहीं बल्कि राजनीति में भी एक आदर्श माने जा सकते हैं. कक्षा शासक एक अच्छे पुरुष, एक आदर्श व्यक्ति के रूप में भगवान राम को देखते हैं और जो आज प्रधानमंत्री ने कहा वह तो अद्भुत और अलौकिक था प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को लोगों को अपने जीवन मे उतारना चाहिए. और यह एक ऐतिहासिक चैन है जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ विश्वास की वजह से पूरा हो पाया.