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खास मुलाकात : 150 लापता बच्चों के मसीहा बने हरियाणा के एएसआई अमर सिंह

हरियाणा के फरीदाबाद स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआई अमर सिंह डेढ़ साल में 150 से भी  ज्यादा गुमशुदा बच्चों को ढूंढ कर उनके परिवार को सौंप चुके हैं. इन बच्चों में घर से गायब हुए बच्चों के साथ किडनैप हो चुके बच्चे भी शामिल हैं.

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Published : Nov 22, 2020, 8:01 AM IST

हरियाणा पुलिस के 'फाइंडरमैन
हरियाणा पुलिस के 'फाइंडरमैन

चंडीगढ़ : किसी भी परिवार के लिए उनके नन्हें-मुन्हे बच्चे ही सब कुछ होते हैं. बच्चों से ही माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान रहती है, लेकिन जरा सोचिए अगर आपका बच्चा आपसे दूर हो जाए, महीनों तक उसकी आवाज सुनाई ना दे, सालों तक आप उसका चेहरा ना देख सकें तो क्या हालत होगी, हरियाणा पुलिस में तैनात एएसआई अमर सिंह ऐसे ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. जिनके मासूम बच्चे या तो खो जाते हैं या फिर अपहरण कर लिए जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि एएसआई अमर सिंह ने पिछले डेढ़ साल में 150 से भी ज्यादा बच्चों को तलाश कर उनके परिवार को सौंपा है और सैकड़ों माता-पिता के चेहरों पर मुस्कान दी है.

कौन हैं एएसआई अमर सिंह?

एएसआई अमर सिंह ने 2017 में फरीदाबाद में तैनाती संभाली. जिसके बाद उन्होंने स्टेट क्राइम ब्रांच काम करना शुरू किया. वह यहां पर मिसिंग सेल के इंचार्ज हैं. इस सेल का काम होता है कि शहर से जो बच्चे लापता हो जाते हैं, उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करना और उन बच्चों की तलाश करना. शहर के बाकी थानों से भी एएसआई अमर सिंह के सेल में मिसिंग रिपोर्ट भेजी जाती है. उन बच्चों की खोजबीन करना भी एएसआई अमर सिंह का काम है.

ऐसे बनें लापता बच्चों के 'फाइंडरमैन'

एएसआई अमर सिंह बताते हैं शुरुआत में जब उन्होंने स्टेट क्राइम ब्रांच की इस मिसिंग सेल में काम करना शुरू किया तो उन्हें इस काम में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब शुरुआत में उन्होंने कुछ बच्चों को ढूंढ कर निकाला और उनके परिवार से उन बच्चों को मिलाया तो बच्चों के परिवार ने जो प्यार उनको दिया. उस प्यार ने उनको अंदर तक झकझोर कर रख दिया और उसी दिन से उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया. उन्होंने फैसला कर लिया कि वह अपने मां-बाप से अलग हुए जिगर के टुकड़ों को मिलाते रहेंगे. चाहे उसके लिए उन्हें कितनी मेहनत ही क्यों ना करनी पड़े.

किडनैप हुए बच्चों को भी सकुशल बचाया

अमर सिंह ने बताया कि कई बार उनके पास किडनैप होने वाले बच्चों की भी जानकारी आती है. दर्जनों ऐसे केस उन्होंने निपटाए हैं, जिसमें बच्चे का अपहरण कर लिया जाता है. उन्होंने बच्चों को खोजने की बेसिक तकनीक भी साझा कि. अमर सिंह ने बताया कि सबसे पहले किसी भी बच्चे को ढूंढने के लिए यह देखा जाता है कि बच्चे की उम्र कितनी है और बच्चा मां-बाप से बिछड़ गया है या फिर नाराज होकर घर से चला गया है. उन्होंने बताया कि इससे उनको बच्चे के साथ संपर्क करने में मदद मिलती है.

पढ़ें : मामा के घर आया 15 वर्षीय किशोर लापता, परिजनों ने जताई अपहरण की आशंका

सोशल मीडिया का किया सकारात्मक प्रयोग

अमर सिंह का कहना है कि आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने सोशल मीडिया का प्रयोग गुमशुदा हुए बच्चों को ढूंढने के लिए शुरू किया. उन्होंने बताया की करीब ढाई साल पहले उन्होंने फेसबुक पेज, टि्वटर, वॉट्सएप ग्रुप बनाकर चलाने वालों से संपर्क साधना शुरू किया. इस समय में वह हजारों पेज बनाने वालों से संपर्क में आए. कुछ पेज चलाने वाले उनके इस काम में सहयोग करने के लिए आगे आए और आज उसी का नतीजा है कि सोशल मीडिया पर 200 के करीब ऐसे फेसबुक पेज जिनको रोजाना लाखों की संख्या में लोग फॉलो करते हैं. आज उनके नेटवर्क में है और आज उनका नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि वह देश में किसी भी स्थान पर गुमशुदा हुए बच्चे को तलाश कर सकते हैं.

सोशल मीडिया पर करते हैं घर लौटने की अपील

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से वह माता-पिता की अपील जो बेहद भावनात्मक होती है. उसको अपलोड करते हैं. कभी-कभी वह अपील किसी ना किसी माध्यम के द्वारा बच्चों तक पहुंचती है. जिसके बाद खुद बच्चे माता-पिता को फोन करके अपने बारे में बताते हैं. उन्होंने कहा इसके अलावा जो बच्चे उनको मिलते हैं. उन बच्चों की भी इसी तरह की वीडियोस बनाकर वह फेसबुक पेज और दूसरे सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, ताकि जल्द से जल्द बच्चे की पहचान हो सके और इसका फायदा भी उनको हुआ है.

दूसरे राज्यों की पुलिस लेती है मदद

हरियाणा पुलिस के एएसआई अमर सिंह से गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए दूसरे राज्यों की पुलिस भी मदद लेती है. हरियाणा के साथ लगते उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों की पुलिस भी उनसे दर्जनों मामलों में मदद ले चुकी है. जब भी हरियाणा के आसपास के लगते राज्यों से कोई बच्चा गायब होता है तो ज्यादातर मामलों में अमर सिंह से संपर्क दूसरे राज्यों की पुलिस कर्मचारी करते हैं. अमर सिंह भी खुले दिल के साथ दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद करते हैं.

'छोटे बच्चों को खोजना मुश्किल भरा काम होता है'

अमर सिंह बताते हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हालात वहां पर होते हैं जहां पर बच्चे की उम्र कम होती हैं. वह अपने गांव या शहर का पता नहीं बता पाता. ऐसे में उसके परिवार तक बच्चे को पहुंचाना काफी मुश्किल होता है और इस तरह की केसों में वह सोशल मीडिया का साथ लेते हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़े बच्चे मां बाप से नाराज होकर घर छोड़ कर चले जाते हैं. ऐसे में उन बच्चों को भी ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है.

अपने परिवार से रहते हैं दूर

गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में कई बार अमर सिंह अपनी टीम के साथ दूसरे राज्यों में निकल जाते हैं. ऐसे में वह कई सप्ताह तक परिवार से मिल नहीं पाते. केवल फोन के माध्यम से ही परिवार से संपर्क हो पाता है. अमर सिंह बताते हैं कि उनके बच्चों से उनको मोटिवेशन मिलता है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चे उनको खुद बोलते हैं कि पापा दूसरे परिवारों के खुशी लेकर आते हैं और इसी से उनको भी खुशी मिलती है.

चंडीगढ़ : किसी भी परिवार के लिए उनके नन्हें-मुन्हे बच्चे ही सब कुछ होते हैं. बच्चों से ही माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान रहती है, लेकिन जरा सोचिए अगर आपका बच्चा आपसे दूर हो जाए, महीनों तक उसकी आवाज सुनाई ना दे, सालों तक आप उसका चेहरा ना देख सकें तो क्या हालत होगी, हरियाणा पुलिस में तैनात एएसआई अमर सिंह ऐसे ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. जिनके मासूम बच्चे या तो खो जाते हैं या फिर अपहरण कर लिए जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि एएसआई अमर सिंह ने पिछले डेढ़ साल में 150 से भी ज्यादा बच्चों को तलाश कर उनके परिवार को सौंपा है और सैकड़ों माता-पिता के चेहरों पर मुस्कान दी है.

कौन हैं एएसआई अमर सिंह?

एएसआई अमर सिंह ने 2017 में फरीदाबाद में तैनाती संभाली. जिसके बाद उन्होंने स्टेट क्राइम ब्रांच काम करना शुरू किया. वह यहां पर मिसिंग सेल के इंचार्ज हैं. इस सेल का काम होता है कि शहर से जो बच्चे लापता हो जाते हैं, उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करना और उन बच्चों की तलाश करना. शहर के बाकी थानों से भी एएसआई अमर सिंह के सेल में मिसिंग रिपोर्ट भेजी जाती है. उन बच्चों की खोजबीन करना भी एएसआई अमर सिंह का काम है.

ऐसे बनें लापता बच्चों के 'फाइंडरमैन'

एएसआई अमर सिंह बताते हैं शुरुआत में जब उन्होंने स्टेट क्राइम ब्रांच की इस मिसिंग सेल में काम करना शुरू किया तो उन्हें इस काम में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब शुरुआत में उन्होंने कुछ बच्चों को ढूंढ कर निकाला और उनके परिवार से उन बच्चों को मिलाया तो बच्चों के परिवार ने जो प्यार उनको दिया. उस प्यार ने उनको अंदर तक झकझोर कर रख दिया और उसी दिन से उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया. उन्होंने फैसला कर लिया कि वह अपने मां-बाप से अलग हुए जिगर के टुकड़ों को मिलाते रहेंगे. चाहे उसके लिए उन्हें कितनी मेहनत ही क्यों ना करनी पड़े.

किडनैप हुए बच्चों को भी सकुशल बचाया

अमर सिंह ने बताया कि कई बार उनके पास किडनैप होने वाले बच्चों की भी जानकारी आती है. दर्जनों ऐसे केस उन्होंने निपटाए हैं, जिसमें बच्चे का अपहरण कर लिया जाता है. उन्होंने बच्चों को खोजने की बेसिक तकनीक भी साझा कि. अमर सिंह ने बताया कि सबसे पहले किसी भी बच्चे को ढूंढने के लिए यह देखा जाता है कि बच्चे की उम्र कितनी है और बच्चा मां-बाप से बिछड़ गया है या फिर नाराज होकर घर से चला गया है. उन्होंने बताया कि इससे उनको बच्चे के साथ संपर्क करने में मदद मिलती है.

पढ़ें : मामा के घर आया 15 वर्षीय किशोर लापता, परिजनों ने जताई अपहरण की आशंका

सोशल मीडिया का किया सकारात्मक प्रयोग

अमर सिंह का कहना है कि आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने सोशल मीडिया का प्रयोग गुमशुदा हुए बच्चों को ढूंढने के लिए शुरू किया. उन्होंने बताया की करीब ढाई साल पहले उन्होंने फेसबुक पेज, टि्वटर, वॉट्सएप ग्रुप बनाकर चलाने वालों से संपर्क साधना शुरू किया. इस समय में वह हजारों पेज बनाने वालों से संपर्क में आए. कुछ पेज चलाने वाले उनके इस काम में सहयोग करने के लिए आगे आए और आज उसी का नतीजा है कि सोशल मीडिया पर 200 के करीब ऐसे फेसबुक पेज जिनको रोजाना लाखों की संख्या में लोग फॉलो करते हैं. आज उनके नेटवर्क में है और आज उनका नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि वह देश में किसी भी स्थान पर गुमशुदा हुए बच्चे को तलाश कर सकते हैं.

सोशल मीडिया पर करते हैं घर लौटने की अपील

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से वह माता-पिता की अपील जो बेहद भावनात्मक होती है. उसको अपलोड करते हैं. कभी-कभी वह अपील किसी ना किसी माध्यम के द्वारा बच्चों तक पहुंचती है. जिसके बाद खुद बच्चे माता-पिता को फोन करके अपने बारे में बताते हैं. उन्होंने कहा इसके अलावा जो बच्चे उनको मिलते हैं. उन बच्चों की भी इसी तरह की वीडियोस बनाकर वह फेसबुक पेज और दूसरे सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, ताकि जल्द से जल्द बच्चे की पहचान हो सके और इसका फायदा भी उनको हुआ है.

दूसरे राज्यों की पुलिस लेती है मदद

हरियाणा पुलिस के एएसआई अमर सिंह से गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए दूसरे राज्यों की पुलिस भी मदद लेती है. हरियाणा के साथ लगते उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों की पुलिस भी उनसे दर्जनों मामलों में मदद ले चुकी है. जब भी हरियाणा के आसपास के लगते राज्यों से कोई बच्चा गायब होता है तो ज्यादातर मामलों में अमर सिंह से संपर्क दूसरे राज्यों की पुलिस कर्मचारी करते हैं. अमर सिंह भी खुले दिल के साथ दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद करते हैं.

'छोटे बच्चों को खोजना मुश्किल भरा काम होता है'

अमर सिंह बताते हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हालात वहां पर होते हैं जहां पर बच्चे की उम्र कम होती हैं. वह अपने गांव या शहर का पता नहीं बता पाता. ऐसे में उसके परिवार तक बच्चे को पहुंचाना काफी मुश्किल होता है और इस तरह की केसों में वह सोशल मीडिया का साथ लेते हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़े बच्चे मां बाप से नाराज होकर घर छोड़ कर चले जाते हैं. ऐसे में उन बच्चों को भी ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है.

अपने परिवार से रहते हैं दूर

गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में कई बार अमर सिंह अपनी टीम के साथ दूसरे राज्यों में निकल जाते हैं. ऐसे में वह कई सप्ताह तक परिवार से मिल नहीं पाते. केवल फोन के माध्यम से ही परिवार से संपर्क हो पाता है. अमर सिंह बताते हैं कि उनके बच्चों से उनको मोटिवेशन मिलता है. उन्होंने कहा कि उनके बच्चे उनको खुद बोलते हैं कि पापा दूसरे परिवारों के खुशी लेकर आते हैं और इसी से उनको भी खुशी मिलती है.

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