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कोरोना संक्रमण के छह दिन बाद लगभग सभी रोगियों में विकसित होने लगते हैं एंटीबॉडी - प्रोफेसर डॉ मेहुल एस सुथर

कोरोनो वायरस के प्रसार पर बढ़ती चिंताओं के बीच एमोरी विश्वविद्यालय के नए शोध में कहा गया है कि लगभग सभी लोग कोविड-19 से संक्रमित होने संबंधी सकारात्मक परीक्षण के छह दिन के भीतर वायरस को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी विकसित करते हैं.

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Published : May 26, 2020, 2:28 PM IST

हैदराबाद : ऐसे समय में जब दुनिया कोरोनो वायरस संकट से जूझ रही है, एमोरी विश्वविद्यालय के नए शोध में कहा गया है कि कोविड -19 से संक्रमित लगभग सभी लोग सकारात्मक परीक्षण के छह दिन के भीतर वायरस को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी विकसित करने लगते हैं.

एमोरी शोधकर्ताओं ने जो परीक्षण विकसित किया है, उससे काफी मदद मिल सकती है. जैसे कि, क्या COVID-19 से ठीक हो चुके लोगों से मिलने वाला प्लाज्मा दूसरों को प्रतिरक्षा प्रदान कर सकता है और किस दाता के प्लाज्मा का उपयोग किया जाना चाहिए.

एंटीबॉडी रोग से लड़ने की प्रक्रिया में प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए छोटे प्रोटीन होते हैं और किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के कुछ ही दिनों के बाद विकसित हो जाते हैं और संभावित रूप से एक व्यक्ति को पुन: संक्रमित होने से बचाने के लिए प्रतिरक्षा बनाने में मदद कर सकते हैं.

एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और एमोरी वैक्सीन सेंटर के सहायक पीडियाट्रिक्स प्रोफेसर डॉ मेहुल एस सुथर ने कहा कि इन निष्कर्षों में SARS-CoV-2 के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा की समझ एक चिकित्सा के रूप में प्रतिरक्षा प्लाज्मा के उपयोग और बहुत जरूरी टीकों के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्तर छिपे हुए हैं.

सिर्फ कुछ ही रिसर्च टीमों ने वर्तमान में अस्पताल में मौजूद लोगों में एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को बेअसर करने का काम किया है. यह अध्ययन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उसी समय रिकार्ड करेगा जब यह हो रही हो, ना कि लड़ाई समाप्त होने के बाद.

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने देखा कि वायरस के बाहर स्पाइक प्रोटीन के हिस्से पर रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के खिलाफ एंटीबॉडी काम कर रही है.

रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) मानव कोशिकाओं पर पकड़ बनाता है और वायरस को उनके अंदर जाने की अनुमति देता है. शोधकर्ताओं ने आरबीडी के खिलाफ एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि एसएआरएस-सीओवी -2 में आरबीडी का अनुक्रम इसे अन्य कोरोना वायरस से अलग करता है, जो सामान्य सर्दी का कारण बनता है.

पढ़ें-भारत में कोरोना : संक्रमितों की संख्या 1.45 लाख के पार, कुल एक्टिव केस 80,772

एमोरी स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल रोग के सहायक प्रोफेसर व अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक डॉ जेन्स रैमरट ने कहा कि आरबीडी-विशिष्ट एंटीबॉडी के बारे में जानकारी से वैक्सीन के विकास में मदद मिलती है, क्योंकि वैज्ञानिक आरबीडी-विशिष्ट एंटीबॉडी टीके के अध्ययन वाले प्रतिभागियों के रक्त के परीक्षण को अनुमानित प्रभावकारिता कीे तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.

यह COVID-19 से बीमार लोगों के रक्त से कांस्टेलेसेंट प्लाज्मा के संभावित सर्वोत्तम उपयोगों को निर्धारित करने में भी मदद करता है.

इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए शुरुआती 44 मरीजों के रक्त के नमूने एमोरी यूनिवर्सिटी अस्पताल और एमोरी यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के थे.

हैदराबाद : ऐसे समय में जब दुनिया कोरोनो वायरस संकट से जूझ रही है, एमोरी विश्वविद्यालय के नए शोध में कहा गया है कि कोविड -19 से संक्रमित लगभग सभी लोग सकारात्मक परीक्षण के छह दिन के भीतर वायरस को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी विकसित करने लगते हैं.

एमोरी शोधकर्ताओं ने जो परीक्षण विकसित किया है, उससे काफी मदद मिल सकती है. जैसे कि, क्या COVID-19 से ठीक हो चुके लोगों से मिलने वाला प्लाज्मा दूसरों को प्रतिरक्षा प्रदान कर सकता है और किस दाता के प्लाज्मा का उपयोग किया जाना चाहिए.

एंटीबॉडी रोग से लड़ने की प्रक्रिया में प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए गए छोटे प्रोटीन होते हैं और किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के कुछ ही दिनों के बाद विकसित हो जाते हैं और संभावित रूप से एक व्यक्ति को पुन: संक्रमित होने से बचाने के लिए प्रतिरक्षा बनाने में मदद कर सकते हैं.

एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और एमोरी वैक्सीन सेंटर के सहायक पीडियाट्रिक्स प्रोफेसर डॉ मेहुल एस सुथर ने कहा कि इन निष्कर्षों में SARS-CoV-2 के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा की समझ एक चिकित्सा के रूप में प्रतिरक्षा प्लाज्मा के उपयोग और बहुत जरूरी टीकों के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्तर छिपे हुए हैं.

सिर्फ कुछ ही रिसर्च टीमों ने वर्तमान में अस्पताल में मौजूद लोगों में एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को बेअसर करने का काम किया है. यह अध्ययन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उसी समय रिकार्ड करेगा जब यह हो रही हो, ना कि लड़ाई समाप्त होने के बाद.

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने देखा कि वायरस के बाहर स्पाइक प्रोटीन के हिस्से पर रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के खिलाफ एंटीबॉडी काम कर रही है.

रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) मानव कोशिकाओं पर पकड़ बनाता है और वायरस को उनके अंदर जाने की अनुमति देता है. शोधकर्ताओं ने आरबीडी के खिलाफ एंटीबॉडी पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि एसएआरएस-सीओवी -2 में आरबीडी का अनुक्रम इसे अन्य कोरोना वायरस से अलग करता है, जो सामान्य सर्दी का कारण बनता है.

पढ़ें-भारत में कोरोना : संक्रमितों की संख्या 1.45 लाख के पार, कुल एक्टिव केस 80,772

एमोरी स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल रोग के सहायक प्रोफेसर व अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक डॉ जेन्स रैमरट ने कहा कि आरबीडी-विशिष्ट एंटीबॉडी के बारे में जानकारी से वैक्सीन के विकास में मदद मिलती है, क्योंकि वैज्ञानिक आरबीडी-विशिष्ट एंटीबॉडी टीके के अध्ययन वाले प्रतिभागियों के रक्त के परीक्षण को अनुमानित प्रभावकारिता कीे तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.

यह COVID-19 से बीमार लोगों के रक्त से कांस्टेलेसेंट प्लाज्मा के संभावित सर्वोत्तम उपयोगों को निर्धारित करने में भी मदद करता है.

इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए शुरुआती 44 मरीजों के रक्त के नमूने एमोरी यूनिवर्सिटी अस्पताल और एमोरी यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के थे.

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