ETV Bharat / bharat

प्रेरक : इस विद्यालय में छात्र करते हैं खेती, खाद्य अपशिष्ट से तैयार होती है खाद

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हिल पैराडाइज सोसाइटी ने बेसहारा बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित किया है, डिजिटल कक्षाओं, विशाल खेल के मैदान और अन्य कुछ सुविधाओं से लैस इस स्कूल की खास बात यह है कि स्कूल परिसर के अंदर ही पांच एकड़ की भूमि में बच्चों को खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. पढ़ें विस्तार से...

students-turn-farmers-in-this-school
इस विद्यालय में छात्र करते हैं खेती
author img

By

Published : Dec 25, 2019, 8:54 PM IST

Updated : Dec 25, 2019, 11:54 PM IST

अमरावती : स्कूल सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा केंद्र होता है, जो बच्चों के जीवन को आकार देता है. बात करें आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक ऐसे स्कूल की जो अपने छात्रों को पर्यावरण और स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान प्रदान कर रहा है. खास बात यह है कि यहां के विद्यार्थी रसोई के कचरे से जैविक खाद बना रहे हैं.

हालांकि भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया लेकिन मानवता ने इन बेसहारा बच्चों को अपने पंखों तले ले लिया है.

इस विद्यालय में छात्र करते हैं खेती

वरदान साबित हो रहा स्कूल
गौरतलब है कि थोटापल्ली में हिल पैराडाइज सोसाइटी ने बेसहारा बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित किए हैं. डिजिटल कक्षाओं, विशाल खेल के मैदान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लैस यह स्कूल छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

बच्चों को प्रोत्साहित कर रहा स्कूल
छात्रों को बुनियादी सुविधाएं देने के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन ने उन्हें परिसर के अंदर ही पांच एकड़ खुली भूमि में सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है.

खाद्य पदार्थ के कचरे से खाद बनने तक
आपको बता दें कि बच्चे खाद्य पदार्थों का कचरा इकट्ठा कर इसे जैविक खाद में परिवर्तित करते हैं. सबसे पहले गीले कचरे को नारियल कॉयर और माइक्रोन तरल से मिलाया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद इस मिश्रण को खाद में डालने के लिए धूप सुखाया जाता है.

पढ़ें : इंटरनेट पर वीडियो देख इस झारखंड वासी को मिली मोती बोने की प्रेरणा

स्कूल के साथ-साथ किसानों को भी मिल रहा लाभ
बता दें इस खाद का उपयोग न केवर स्कूल के सब्जी फार्म के लिए किया जाता है बल्कि आसपास के क्षेत्रों में इससे किसानों को भी आपूर्ति की जाती है.

पानी की भी होती है रीसाइक्लिंग
इतना ही नहीं हिल पैराडाइज सोसाइटी के यह छात्र पानी की भी रीसाइक्लिंग कर रहे हैं. इसके लिए एक सीवेज प्लांट का उपयोग किया जाता है, जिससे इस्तेमाल में लाए गए पानी का तीन चरणों में पुनर्चक्रण किया जाता है, जिसके बाद इस पानी को खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है.

स्कूल और विद्यार्थी हैं प्रेरणास्त्रोत
इस तरह इस स्कूल में बच्चों द्वारा सभी संसाधनों का एकदम सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है. यह स्कूल प्रशासन और यहां के विद्यार्थी अपने काम के लिए सभी के लिए एक प्रेरणा साबित हो रहे हैं.

अमरावती : स्कूल सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा केंद्र होता है, जो बच्चों के जीवन को आकार देता है. बात करें आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक ऐसे स्कूल की जो अपने छात्रों को पर्यावरण और स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान प्रदान कर रहा है. खास बात यह है कि यहां के विद्यार्थी रसोई के कचरे से जैविक खाद बना रहे हैं.

हालांकि भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया लेकिन मानवता ने इन बेसहारा बच्चों को अपने पंखों तले ले लिया है.

इस विद्यालय में छात्र करते हैं खेती

वरदान साबित हो रहा स्कूल
गौरतलब है कि थोटापल्ली में हिल पैराडाइज सोसाइटी ने बेसहारा बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित किए हैं. डिजिटल कक्षाओं, विशाल खेल के मैदान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लैस यह स्कूल छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

बच्चों को प्रोत्साहित कर रहा स्कूल
छात्रों को बुनियादी सुविधाएं देने के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन ने उन्हें परिसर के अंदर ही पांच एकड़ खुली भूमि में सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है.

खाद्य पदार्थ के कचरे से खाद बनने तक
आपको बता दें कि बच्चे खाद्य पदार्थों का कचरा इकट्ठा कर इसे जैविक खाद में परिवर्तित करते हैं. सबसे पहले गीले कचरे को नारियल कॉयर और माइक्रोन तरल से मिलाया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद इस मिश्रण को खाद में डालने के लिए धूप सुखाया जाता है.

पढ़ें : इंटरनेट पर वीडियो देख इस झारखंड वासी को मिली मोती बोने की प्रेरणा

स्कूल के साथ-साथ किसानों को भी मिल रहा लाभ
बता दें इस खाद का उपयोग न केवर स्कूल के सब्जी फार्म के लिए किया जाता है बल्कि आसपास के क्षेत्रों में इससे किसानों को भी आपूर्ति की जाती है.

पानी की भी होती है रीसाइक्लिंग
इतना ही नहीं हिल पैराडाइज सोसाइटी के यह छात्र पानी की भी रीसाइक्लिंग कर रहे हैं. इसके लिए एक सीवेज प्लांट का उपयोग किया जाता है, जिससे इस्तेमाल में लाए गए पानी का तीन चरणों में पुनर्चक्रण किया जाता है, जिसके बाद इस पानी को खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है.

स्कूल और विद्यार्थी हैं प्रेरणास्त्रोत
इस तरह इस स्कूल में बच्चों द्वारा सभी संसाधनों का एकदम सही तरीके से उपयोग किया जा रहा है. यह स्कूल प्रशासन और यहां के विद्यार्थी अपने काम के लिए सभी के लिए एक प्रेरणा साबित हो रहे हैं.

Intro:Body:



School is not just an educational institution but a center that shapes the lives of children. This school is imparting knowledge about environment and health to its students. The pupils here are making organic manures from kitchen waste. 

Though destiny had fooled them, humanity has taken them under its wings. The Hill Paradise Society in Thotapalli of the Krishna district has established residential schools for destitute children. Equipped with digital classrooms, spacious playground and quality education, this school is proving a boon to the students. Along with providing basic amenities to the students, the school management encouraged them to cultivate vegetables in the 5-acre open land within the school premises. The pupils are collecting the food wastes and converting them into organic compost. First, the wet waste is combined with coconut coir and micron liquid and left to decompose for 45 days. This mixture is then dried to powder it into a manure. This manure is not only used for the school vegetable farm but also supplied to farmers in surrounding areas. 

The students of Hill Paradise Society are recycling drained water as well. Using a sewage plant, the used water is recycled in three stages. The recycled water is then used for vegetable cultivation. This way, they are making optimal use of all the available resources. The school management and the pupils are sure an inspiration for others to follow the lead. 


Conclusion:
Last Updated : Dec 25, 2019, 11:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.