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जमशेदपुर : एनटीटीएफ के छात्रों ने बनाई कम कीमत की थ्रीडी प्रिंटर मशीन

जमशेदपुर में एनटीटीएफ आरडी टाटा तकनीकी शिक्षा संस्थान के 4 विद्यार्थियों ने थ्रीडी प्रिंटर मशीन बनाई है. इसकी हर तरफ तारीफ हो रही है. इस मशीन के जरिए चीन से अच्छे और सस्ते सामान व खिलौने डिजाइन किए जा सकेंगे. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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थ्रीडी प्रिंटर मशीन
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Published : Nov 23, 2020, 10:49 PM IST

जमशेदपुर : देश में कोरोना महामारी को लेकर किए गए लॉकडाउन के दौरान जमशेदपुर के तकनीकी शिक्षण संस्थान के छात्रों की टोली ने आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक नई मशीन बनाई है. इसके जरिए खिलौने व इंटीरियर डेकोरेटिंग की वस्तुओं को अपनी सोच के अनुरूप डिजाइन किया जा सकता है. कम कीमत पर बनने वाले प्रोडक्ट चीन निर्मित वस्तुओं से बेहतर और टिकाऊ भी होंगे.

इसे भी पढे़ं:- सरायकेला-टाटा मुख्य मार्ग पर मौत का खेल, 10 महीने में 80 लोग काल के गाल में समाए

जमशेदपुर के एनटीटीएफ आरडी टाटा तकनीकी शिक्षा संस्थान के 4 विद्यार्थियों ने कम कीमत पर थ्रीडी प्रिंटर मशीन बनाई है. आमतौर पर इस तरह की मशीन की कीमत एक लाख के करीब होती है, लेकिन एनटीटीएफ के छात्रों ने 20 हजार 1 सौ रुपये में इसे बनाई है और यह पूरी तरह से स्वदेशी है.

मशीन चलाने के लिए सिर्फ एक आदमी की जरूरत

बिजली से चलने वाली इस मशीन को ऑपरेट करने लिए सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है. दो सौ डिग्री के तापमान पर रंग बिरंगे फिलामेंट से खिलौने, इंटीरियर डेकोरेटिंग का सामान, दीपक और अन्य चीजों को अपने जरूरत के आधार पर इस मशीन से बनाया जा सकता है.

स्वदेशी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का उद्देश्य

मशीन बनाने वाले छात्र रितिक और अभय ने बताया कि प्रधानमंत्री के स्वदेशी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कम कीमत वाली इस मशीन को बनाया गया है. इस मशीन के जरिए घर बैठे उत्पादन कर आजीविका कमाई जा सकती है. वहीं मशीन बनाने में शामिल छात्र अभय ने बताया कि अपनी सोच की डिजाइन को कम्प्यूटर में डिजाइन करने के बाद मशीन से उसी अनुरूप प्रोडक्ट बनाया जा सकेगा. इस मशीन के जरिए युवा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं.

लोगों को दिया जाएगा निःशुल्क प्रशिक्षण

हेड ऑफ डिपार्टमेंट रमेश राय ने छात्रों के लगन को एक सकारात्मक सोच बताया है. उन्होंने बताया कि इस मशीन से बनी वस्तुएं चीन निर्मित वस्तुओं से काफी मजबूत और कम कीमत वाली होंगी. घर-घर इस मशीन को पहुंचा दिया जाए तो देश की उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी और स्वरोजगार की दिशा में भी सकारात्मक नतीजे मिलेंगे. उन्होंने बताया कि कम पढ़े लिखे लोग भी इस मशीन को ऑपरेट कर उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए जल्द ही निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

मेडिकल क्षेत्र में भी इस्तेमाल की जा सकेगी

एनटीटीएफ के प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रों ने लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कर नई टेक्नोलॉजी से इस मशीन को बनाया है. मशीन को एनजीओ व महिला समूहों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मशीन के जरिए बिजनेस मॉडल बनाया जा सकता है. इस मशीन का मेडिकल और अन्य क्षेत्रों में कैसे इस्तेमाल किया जा सके, इस दिशा में काम किया जाएगा.

मशीन बनाने वाली टीम को मिला स्वर्ण पदक

सीआईआई की ओर से आयोजित ऑनलाइन चौथी राष्ट्रीय प्रतियोगिता ऑन डिजिटाइजेशन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन में एनटीटीएफ के छात्रों के बनाए गए थ्रीडी प्रिंटर मशीन की तकनीक के लिए चार छात्रों को स्वर्ण पदक मिला है. इस प्रतियोगिता में 32 टीमों ने भाग लिया था.

जमशेदपुर : देश में कोरोना महामारी को लेकर किए गए लॉकडाउन के दौरान जमशेदपुर के तकनीकी शिक्षण संस्थान के छात्रों की टोली ने आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक नई मशीन बनाई है. इसके जरिए खिलौने व इंटीरियर डेकोरेटिंग की वस्तुओं को अपनी सोच के अनुरूप डिजाइन किया जा सकता है. कम कीमत पर बनने वाले प्रोडक्ट चीन निर्मित वस्तुओं से बेहतर और टिकाऊ भी होंगे.

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जमशेदपुर के एनटीटीएफ आरडी टाटा तकनीकी शिक्षा संस्थान के 4 विद्यार्थियों ने कम कीमत पर थ्रीडी प्रिंटर मशीन बनाई है. आमतौर पर इस तरह की मशीन की कीमत एक लाख के करीब होती है, लेकिन एनटीटीएफ के छात्रों ने 20 हजार 1 सौ रुपये में इसे बनाई है और यह पूरी तरह से स्वदेशी है.

मशीन चलाने के लिए सिर्फ एक आदमी की जरूरत

बिजली से चलने वाली इस मशीन को ऑपरेट करने लिए सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत है. दो सौ डिग्री के तापमान पर रंग बिरंगे फिलामेंट से खिलौने, इंटीरियर डेकोरेटिंग का सामान, दीपक और अन्य चीजों को अपने जरूरत के आधार पर इस मशीन से बनाया जा सकता है.

स्वदेशी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का उद्देश्य

मशीन बनाने वाले छात्र रितिक और अभय ने बताया कि प्रधानमंत्री के स्वदेशी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कम कीमत वाली इस मशीन को बनाया गया है. इस मशीन के जरिए घर बैठे उत्पादन कर आजीविका कमाई जा सकती है. वहीं मशीन बनाने में शामिल छात्र अभय ने बताया कि अपनी सोच की डिजाइन को कम्प्यूटर में डिजाइन करने के बाद मशीन से उसी अनुरूप प्रोडक्ट बनाया जा सकेगा. इस मशीन के जरिए युवा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं.

लोगों को दिया जाएगा निःशुल्क प्रशिक्षण

हेड ऑफ डिपार्टमेंट रमेश राय ने छात्रों के लगन को एक सकारात्मक सोच बताया है. उन्होंने बताया कि इस मशीन से बनी वस्तुएं चीन निर्मित वस्तुओं से काफी मजबूत और कम कीमत वाली होंगी. घर-घर इस मशीन को पहुंचा दिया जाए तो देश की उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी और स्वरोजगार की दिशा में भी सकारात्मक नतीजे मिलेंगे. उन्होंने बताया कि कम पढ़े लिखे लोग भी इस मशीन को ऑपरेट कर उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए जल्द ही निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

मेडिकल क्षेत्र में भी इस्तेमाल की जा सकेगी

एनटीटीएफ के प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रों ने लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कर नई टेक्नोलॉजी से इस मशीन को बनाया है. मशीन को एनजीओ व महिला समूहों तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मशीन के जरिए बिजनेस मॉडल बनाया जा सकता है. इस मशीन का मेडिकल और अन्य क्षेत्रों में कैसे इस्तेमाल किया जा सके, इस दिशा में काम किया जाएगा.

मशीन बनाने वाली टीम को मिला स्वर्ण पदक

सीआईआई की ओर से आयोजित ऑनलाइन चौथी राष्ट्रीय प्रतियोगिता ऑन डिजिटाइजेशन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन में एनटीटीएफ के छात्रों के बनाए गए थ्रीडी प्रिंटर मशीन की तकनीक के लिए चार छात्रों को स्वर्ण पदक मिला है. इस प्रतियोगिता में 32 टीमों ने भाग लिया था.

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