नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट फैकल्टी में लगी वीर सावरकर, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की मूर्तियों को रातों-रात हटा लिया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन यह तीनों मूर्तियां आर्ट फैकल्टी में स्थापित कराई थी. जिसको लेकर एनएसयूआई और आईसा समेत तमाम संगठनों ने इसका विरोध किया था.
डीयू की आर्ट फैकल्टी में शहीद भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के साथ वीर सावरकर की मूर्ति को लगाने से बवाल बहुत बढ़ गया था. नौबत यहां तक आ गई थी कि एनएसयूआई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने सावरकर की मूर्ति पर कालिख तक पोत दी थी. साथ ही उन्हें देशद्रोही भी करार दे दिया था. जिसके बाद एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच तनातनी और बढ़ गई थी और पुलिस थाने में भी शिकायतों का दौर जारी हो गया था.
एबीवीपी ने हटाई मूर्तियां
एबीवीपी द्वारा यह तीनों मूर्तियां रातों-रात आर्ट फैकल्टी से हटा ली गई. इसको लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि वह नहीं चाहते कि स्वतंत्रता सेनानियों के नाम को लेकर राजनीति हो, इसलिए उन्होंने मूर्तियां हटा ली है. साथ ही कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि छात्र संघ चुनाव होने के बाद यह मूर्तियां पूरी प्रक्रिया के साथ वापस स्थापित कर दी जाएंगी.
एनएसयूआई पर साधा निशाना
एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों का इस तरह से अपमान करके एनएसयूआई ने अपनी विकृत मानसिकता को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों से जुड़े होने के चलते उन्होंने वीरों को भी नहीं बख्शा और गंदी राजनीति खेल कर उनका अपमान किया है. जिसका खामियाजा उन्हें आगामी चुनाव के नतीजों में जरूर देखने को मिलेगा.
एबीवीपी ने एनएसयूआई द्वारा सावरकर की मूर्ति का अपमान करने की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की निम्न स्तरीय गतिविधियां करके एनएसयूआई ने देश के गौरव इन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अपनी असली सोच को उजागर किया है. जिसका युवा पीढ़ी करारा जवाब देगी. साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से यह मांग की है कि जल्द से जल्द इन मूर्तियों की पुनर्स्थापना कराई जाए साथ ही इस तरह का घृणित कृत्य करने वाले छात्रों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए.
एनएसयूआई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने मूर्ति हटा देने के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि यह एबीवीपी के लिए एक सबक होगा कि वह अपने किसी भी अनुचित मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकते. लाकड़ा का कहना है कि सावरकर कोई देशभक्त नहीं बल्कि देशद्रोही है. ऐसे में उनका सम्मान देश के लिए अपनी जान देने वाले वीरों के बराबर करना केवल छात्रों को भ्रमित करना ही है. उन्होंने कहा कि कि विरोध किए जाने और छात्रों के गुस्से के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को यह मूर्तियां हटानी पड़ी. इसके अलावा उन्होंने ने कहा कि वह इस तरह के छात्र हित में और राष्ट्रहित में आने वाले हर मुद्दे को भविष्य में भी उठाते रहेगा और इससे पीछे नहीं हटेंगे.