देहरादून : एक समय था जब लोगों को आपस में जोड़ने, सूचना का आदान-प्रदान करने और दिलों से दिलों को जोड़ने का काम चिट्ठियां करती थीं. इस प्रकिया में उस डाकिये की अहम भूमिका हुआ करती थी, जो चिट्ठियों को लेकर घर-घर जाता था. लेकिन बीते कुछ दशकों से जिस तरह से आधुनिकीकरण का विकास होता जा रहा है, वैसे-वैसे डाकियों की भूमिका समाप्त होती जा रही है. आज इस डिजिटाइजेशन के दौर में वो चिट्ठियां कोसों दूर छूट गईं हैं. विश्व डाक दिवस पर देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.
देश के भीतर या बाहर जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान और लोगों को आपस मे जोड़ने का एक बेहतरीन जरिया चिट्ठियां होती थीं. वक्त के साथ-साथ भले ही डाक विभाग का स्वरूप काफी बदल गया हो, लेकिन डाक घर का वर्चस्व बनाये रखने को लेकर हर साल 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद डाक के प्रति लोगों को जागरूक करना और अपनी विभिन्न सेवाओं को बताना है.
बता दें, भारत में लार्ड डलहौजी ने 165 साल पहले 1 अक्टूबर, 1854 को भारतीय डाक विभाग की स्थापना की थी.
डाक के महत्व की वजह से 9 अक्टूबर, 1874 को स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे और यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन हुआ था. इसके बाद साल 1969 में टोक्यो, जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में 9 अक्टूबर के दिन का चयन किया गया था. यही वजह है कि हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है.
हालांकि भारत एक जुलाई 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. यही नहीं भारत एशिया का पहला ऐसा देश है, जो सबसे पहले यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था.
जनसंख्या और अंतरराष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा है. इसके साथ ही भारतीय डाक, देश के उन प्रमुख और पुराने विभागों में शामिल है, जो 18वीं शताब्दी से चली आ रहा है. डाक विभाग पिछले डेढ़ दशक से देश के अंदर ही नहीं, बल्कि एक से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सर्वाधिक विश्वसनीय, सुगम और सबसे सस्ता साधन रहा है.
यही नहीं पत्रों, पार्सलों, निमंत्रण पत्रों और मनीऑर्डर आदि को लोगों के घर-घर पहुंचाना हो, या फिर बाहर से आये हुए पत्र और पार्सल को उस स्थान पर सुरक्षित भेजने की व्यवस्था करनी हो, इस विभाग ने बड़ी जिम्मेदारी के साथ काम किया है, लेकिन कुछ दशकों से डाक के क्षेत्र में प्राइवेट कम्पनियों के पैर पसारने और सूचना तकनीक के कई नये माध्यम आने के कारण डाक विभाग की भूमिका लगातार कम होती गयी है.
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वर्तमान समय में डाक विभाग का एकाधिकार लगभग खत्म हो गया है.अब दुनिया डिजिटल हो गयी है. सारे काम कंप्यूटर से होने लगे हैं और सूचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से होने लगा है. लिहाजा संदेश भेजने के लिए अब लोगों को लंबी- लंबी चिट्ठियां लिखने की जरूरत नहीं है और न ही सही समय और सही जगह पर चिट्ठी पहुंचने का इंतजार करने की जरूरत है.
भले ही डाक समय के साथ पीछे छूटता जा रहा हो, लेकिन आज भी डाक का बहुत महत्व है, क्योंकि आज भी इस आधुनिक दौर में डाक का प्रयोग पत्रों, पार्सलों के लिए उपयोग किया जा रहा है. बस जरूरत है कि डाक को भी अन्य सरकारी विभागों की तरह ही और हाईटेक करने की. जिससे डाक विभाग के अस्तित्व को भविष्य में बरकरार रखा जा सके.