रायगढ़ : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर की दूरी पर माड़ो शिल्ली जलप्रपात स्थित है. यह वाटरफॉल बरमकेला के उपरेंज गोमर्डा अभ्यारण्य के बीचो-बीच मौजूद है. 30 फीट ऊंची पहाड़ी से गिरता पानी वैसे तो बेहद ही खूबसूरत लगता है, लेकिन बारिश के दिनों में इसकी खूबसूरती और भी निखर जाती है. बारिश के वक्त यह झरना लबालब भरा रहता है, जो माड़ो शिल्ली जलप्रपात में चार चांद लगा देता है. यह एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है, जहां अक्सर सैलानियों की भीड़ लगी रहती है.
इस झरने से जुड़ा इतिहास
1901 के दशक में राजा जवाहिर सिंह सारंगढ़ के रूलिंग चीफ थे, उस वक्त जिल्दी हवाई पट्टी तक राजा जवाहिर सिंह जीप से जाया जाते थे. 1901 के समय सिर्फ जानवरों के शिकार करने का मुख्य स्थान माड़ो शिल्ली था. उस वक्त भारत का हर जनरल गवर्नर ने राजा जवाहिर सिंह के साथ शिकार किया था. माड़ो शिल्ली जलप्रपात से दो किलोमीटर की दूरी पर राजा का मचान मौजूद है, जहां राजा और जनरल गवर्नर शिकार करते थे. कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए माड़ो शिल्ली जलप्रपात प्रवेश पर पूर्णता प्रतिबंधित है.
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अलग-अलग प्रांत से आते हैं सैलानी
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, बसना, सरायपाली पूरे छत्तीसगढ़ से लेकर मध्य प्रदेश और झारखंड से भी शैलानी यहां घूमने आते हैं. यह झरना छत्तीसगढ़ तक ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है.
बैठने की व्यवस्था
जलप्रपात गेट प्रवेश करने के दौरान दो बैठक शेड की व्यवस्था उपलब्ध है, जहां बैठकर आप झरने का आंनद ले सकते हैं. यहां रिसॉर्ट की व्यवस्था है, जहां आप रुक सकते हैं. 12 महीने यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. कोरोना के कारण अभी पर्यटकों की भीड़ कम हुई है.
तितली और जानवरों का बसेरा
माड़ो शिल्ली जलप्रपात से कुछ ही दूर पर बटरफ्लाई पार्क मौजूद है, जहां 200 से ज्यादा प्रजाति की तितलियां उड़ती दिखेंगी. वन्य जीव अभ्यारण्य में कई तरह के जानवार विचरण करते दिख जाएंगे. नीलगाय, हिरण, साम्भर, वन भैंस, खरगोश, मयूर, कोटरी, सुअर जैसे जंगली जानवरों विचरण करते दिख जाएंगे. गोमर्डा अभ्यारण्य और माड़ो शिल्ली जल प्रपात सैलानियों की पसंद में से एक है.