नई दिल्ली: तीन तलाक बिल राज्यसभा में पारित होने को लेकर जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री आपस में भिड़ गए. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला के बीच ट्विटर पर भिड़ंत हुई. दोनों ही नेताओं में तीन तलाक बिल के पास होने को लेकर नाराजगी है, लेकिन इसका जिम्मेदार भी वे एक दूसरे को ही ठहराते नजर आ रहे हैं.
बिल पास होने के बाद महबूबा मुफ्ती का ट्वीट आता है. इस ट्वीट में वे लिखती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है, इसके बाद भी मैं इस बिल को पारित करने की आवश्यकता को समझने में विफल हूं. ये मुसलमानों को दंडित करने के लिए किया जा रहा है. अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, क्या यह प्राथमिकता होनी चाहिए थी?
इस ट्वीट को शेयर करते हुए उमर लिखते हैं कि महबूबा मुफ्ती जी, ये ट्वीट करने से पहले आपको इसपर नजर रखनी चाहिए थी कि आपकी पार्टी के सदस्य इस बिल पर किस तरह से वोट करते. मैं समझता हूं कि उनका राज्यसभा से गायब रहना ही इस बिल के पास होने का असल कारण बना. आप सरकार की इस तरह से मदद कर के ये नहीं कह सकती कि मुझे इस बिल को पास करने की वजह नहीं समझ आती.
इस ट्वीट के बाद आग बबूला हुईं महबूबा ने ट्वीट करते हुए उमर को जवाब दिया. उन्होंने लिखा कि उमर साहब, मैं आपको हिदायत देती हूं कि आप इस तरह नैतिक तौर पर श्रेष्ठ बनने का प्रयास न करें, वो आपकी ही पार्टी थी, जिसने सोज साहब (सैफुद्दीन सोज) को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था क्योंकि उन्होंने 1999 में बीजेपी के पक्ष में वोट नहीं डाला था. आपको बता दूं कि संसद में गैरहाजिर रहने का मतलब वोट देना नहीं है.
ये जुबानी जंग यहां न रुकी आगे उमर अबदुल्ला ने लिखा कि मैडम 20 साल पुरान वाकया याद कर रही हैं. यही सबसे बेहतर तरीका भी है अपनी पार्टी की ओर से सफाई देने का. तो क्या आप मान रही हैं कि आपने अपने सांसदों को गैरमौजूद रहने को कहा. और हां अनुपस्थित रहना पक्ष में वोट देना नहीं, बल्कि इस बार बीजेपी की मदद करना है.
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बता दें, राज्यसभा में कल तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 99 मत रहे, वहीं विपक्ष में 84 वोट पड़े. वोटिंग के दौरान मंगलवार को 20 सांसद गैरहाजिर रहे, जिसके चलते बहुमत का आंकड़ 121 से घट गया. जब ऊपरी सदन में वोटिंग हो रही थी तो गैरहाजिर 20 सांसदों में दो पीडीपी के भी थे. वहीं पांच कांग्रेस के सदस्य, जिसमें से एक संजय सिंह, जो पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. गैरहाजिर रहने वालों में के टी एस तुलसी, जोकि नामित सदस्य है, उनका भी नाम रहा. अन्नाद्रमुक, बसपा और टीआरएस के सदस्य भी सदन से गायब रहे. इन सभी की गैरहाजिरी ही बिल के पास होने का कारण माना जा रहा है.