मदुरै : तमिलनाडु में थूथुकुडी के पुलिस अधीक्षक ने बीते दिनों पुलिस हिरासत में हुई पिता-पुत्र की मौत के मामले में आज मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए एसपी ने कहा कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, लेकिन कर्फ्यू लागू होने के कारण रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी.
पी. जयराज और उनके बेटे जे. बेनिक्स पर आरोप था कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन में उन्होंने मोबाइल फोन की अपनी दुकान खोल रखी थी, जिसकी वजह से पुलिस ने उनको 21 जून को हिरासत में लेकर कोविलपट्टी उप जेल में डाल दिया था. इनकी दुकान संतनकुलम मेन बाजार में है. उनपर लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू का पालन नहीं करने के लिए मामला दर्ज किया गया था.
पिता-पुत्र को 22 जून को कोविलपट्टी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बेटे की उसी रात मृत्यु हो गई जबकि पिता ने 23 जून की सुबह अंतिम सांस ली.
खबरों के अनुसार, दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि जेल के दो प्रमुख गार्डों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है.
मदुरै बेंच ने मामले का संज्ञान लिया और पुलिस विभाग से पूरी स्थिति की रिपोर्ट दर्ज करने को कहा था.
न्यायाधीशों ने कोविलपट्टी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को उस जेल में जाने का आदेश दिया, जहां घटना हुई थी और मामले से संबंधित प्रशासनिक तस्वीरें, मेडिकल रिकॉर्ड और मामले से संबंधित सभी सीसीटीवी रिकॉर्ड एकत्र करने के निर्देश दिए थे.
इस मामले को सुनवाई के लिए 30 जून के लिए टाल दिया गया.
इस बीच पिता-पुत्र की मौत से तमिलनाडु के कई हिस्सों में विरोध भड़क गया है और न्याय की मांग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी विरोध दर्ज कराया जा रहा है.
डीएमके सांसद कनिमोझी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु के थूथुकुडी में पिता-पुत्र की मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का अनुरोध किया है.
सांसद ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसने जांच की आड़ में पिता-पुत्र के साथ मारपीट की. पुलिस अधिकारियों ने बेटे बेनिक्स के गुप्तांग में बैटन डाल दिया था, जिससे उसे रक्तस्राव होने लगा था. पुलिस अधिकारियों ने पिता जयराज को भी बुरी तरह पीटा था और उसके सीने पर कई बार लात मारी थी.
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यह भी आरोप लगाया गया है कि जिस दिन पिता-पुत्र को हिरासत में लिया गया, उसके 10 घंटे के भीतर ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई
कनिमोझी ने यह भी कहा कि पिछले दो वर्षों में कस्टोडियल मौतों की 15 से अधिक घटनाएं हुई हैं, लेकिन जो अधिकारी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ एक भी आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है. इसलिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस पर विचार करे और आवश्यक दिशानिर्देश जारी करे ताकि पुलिस हिरासत में कोई भी जान न जाए और ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है.