नई दिल्ली : कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने पर दुख प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी. सोनिया गांधी के इस निर्णय को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ऐतिहासिक करार दिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय शर्मनाक है.
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके लिखा, 'मजबूर मज़दूर, सरकार मगरूर, देश को नही मंजूर. अगर कांग्रेस विपक्ष में रह कर मेहनतकश मज़दूरों व कामगारों की घर वापसी में कंधे से कंधा मिला योगदान कर सकती है तो सत्ता के गलियारों में आसीन मोदी सरकार क्यों नही.'
सुरजेवाला ने एक अन्य ट्वीट कर लिखा, 'जनसेवा कांग्रेस के खून में है. हम जनमानुष को साथ जोड़ मज़दूरों की घर वापसी को जन आंदोलन बनाएंगे. करोड़ों श्रमिक भाईयों के रेल किराए का भुगतान करके कांग्रेस उन्हें सुरक्षित ससम्मान उनके घर पहुंचाएगी.आभार सोनिया जी, संवेदनशील नेत्रत्व के लिए.'
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि एक तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर्स फंड में दान दे रहा है तो दूसरी तरफ मजदूरों से किराया वसूल रहा है.
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है. जरा ये गुत्थी सुलझाइये.
उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब रेल मंत्रालय पीएम केयर्स फंड में 151 करोड़ रुपये का योगदान दे सकता है तो श्रमिकों को बिना किराये के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता.
सोनिया ने एक बयान में कहा, 'श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए.'
उनके मुताबिक 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन.
सोनिया ने कहा, 'उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है?'
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज भी लाखों श्रमिक व कामगार देश के अलग-अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा. दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं.
उन्होंने सवाल किया, 'जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?'
सोनिया ने कहा, 'कांग्रेस ने कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने। इसलिए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी.'
उन्होंने कहा कि मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा.