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बुढ़ापे में बना मां का सहारा, बेटे ने दी दूसरों को प्रेरणा - बेटा बना मां का सहारा

मां के बुढ़ापे में मल्लेशम दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है. बूढ़ी मां सीधे खड़ी नहीं हो सकती ऐसे में बेटा लकड़ी की गाड़ी में मां को बैठा कर बाहर ले जाता है. उस लकड़ी की गाड़ी को भी वह खुद ही अपने हाथों से खींचता है. पढ़ें पूरी खबर...

Son carrying old mother in wooden car to take pension
बुढ़ापे में बेटा बना मां का सहारा
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Published : Jun 4, 2020, 3:25 AM IST

हैदराबाद : आधुनिक जमाने में लोग अपना स्टेटस बनाए रखने के लिए अपने मां-बाप को घर से निकाल देते हैं. ऐसे लोगों को मल्लेशम से कुछ सीख लेनी चाहिए. जो अपनी मां को लकड़ी की गाड़ी में बैठाकर खुद पेंशन केंद्र ले जाता है. बुजुर्ग पेंशन योजना के सहारे अपना जीवन व्यतीत करते हैं, लेकिन बुढ़ापे के कारण पेंशन राशि प्राप्त करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. एक बूढ़ी मां को पेंशन की राशि प्राप्त कराने के लिए लकड़ी की गाड़ी में उसका बेटा पेंशन केंद्र ले जाता है.

बुढ़ापे में बेटा बना मां का सहारा

तेलंगाना में वारंगल जिले के गांव की रहने वाली इस वृद्धा का नाम राजम्मा है, जो 80 की उम्र को पार कर चुकी है. उम्र बढ़ने के साथ उनके शरीर ने भी साथ छोड़ दिया है. ऐसी नाजुक स्थिति में उनका बेटा ही उनका सहारा बन गया है. जिसका नाम मल्लेशम है. गरीबी के कारण उसे व्हील चेयर तो नसीब होने से रही, इसलिए बेटे ने दूसरा रास्ता निकाल लिया. महीने में एक दिन मल्लेशम लकड़ी की गाड़ी में अपनी मां को पेंशन दिलाने के लिए अधिकारियों के पास ले जाता है. उसे वह खुद ही खींचता है.

हाल ही में मल्लेशम अपनी मां को पेंशन राशि लेने के लिए प्राथमिक विद्यालय ले गया था. वहां जाने के लिए बेटे ने लकड़ी की गाड़ी की व्यवस्था की थी.

पढ़ें- बिहार : पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार दाने-दाने को मोहताज

मां अपने पैरों पर ठीक से नहीं चल पातीं. उसकी स्थिति के बारे में कई बार स्थानीय अधिकारियों को सूचित किया गया. इसके बाद भी घर पर पेंशन प्राप्त करने के लिए उन्होंने कोई सहयोग नहीं किया. राजम्मा सच में बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें मल्लेशम जैसा बेटा मिला. इस वक्त तो बच्चे अपने वृद्ध मां-बाप को घर से बाहर निकाल देते हैं. ऐसे लोगों के लिए मल्लेशम एक प्रेरणा बन गया है.

हैदराबाद : आधुनिक जमाने में लोग अपना स्टेटस बनाए रखने के लिए अपने मां-बाप को घर से निकाल देते हैं. ऐसे लोगों को मल्लेशम से कुछ सीख लेनी चाहिए. जो अपनी मां को लकड़ी की गाड़ी में बैठाकर खुद पेंशन केंद्र ले जाता है. बुजुर्ग पेंशन योजना के सहारे अपना जीवन व्यतीत करते हैं, लेकिन बुढ़ापे के कारण पेंशन राशि प्राप्त करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. एक बूढ़ी मां को पेंशन की राशि प्राप्त कराने के लिए लकड़ी की गाड़ी में उसका बेटा पेंशन केंद्र ले जाता है.

बुढ़ापे में बेटा बना मां का सहारा

तेलंगाना में वारंगल जिले के गांव की रहने वाली इस वृद्धा का नाम राजम्मा है, जो 80 की उम्र को पार कर चुकी है. उम्र बढ़ने के साथ उनके शरीर ने भी साथ छोड़ दिया है. ऐसी नाजुक स्थिति में उनका बेटा ही उनका सहारा बन गया है. जिसका नाम मल्लेशम है. गरीबी के कारण उसे व्हील चेयर तो नसीब होने से रही, इसलिए बेटे ने दूसरा रास्ता निकाल लिया. महीने में एक दिन मल्लेशम लकड़ी की गाड़ी में अपनी मां को पेंशन दिलाने के लिए अधिकारियों के पास ले जाता है. उसे वह खुद ही खींचता है.

हाल ही में मल्लेशम अपनी मां को पेंशन राशि लेने के लिए प्राथमिक विद्यालय ले गया था. वहां जाने के लिए बेटे ने लकड़ी की गाड़ी की व्यवस्था की थी.

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मां अपने पैरों पर ठीक से नहीं चल पातीं. उसकी स्थिति के बारे में कई बार स्थानीय अधिकारियों को सूचित किया गया. इसके बाद भी घर पर पेंशन प्राप्त करने के लिए उन्होंने कोई सहयोग नहीं किया. राजम्मा सच में बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें मल्लेशम जैसा बेटा मिला. इस वक्त तो बच्चे अपने वृद्ध मां-बाप को घर से बाहर निकाल देते हैं. ऐसे लोगों के लिए मल्लेशम एक प्रेरणा बन गया है.

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