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कोलकाता : कुम्हारटोली में अब वेश्यालय की मिट्टी से नहीं बनती दुर्गा प्रतिमा

कोलकाता में कुम्हारटोली के मूर्तिकार अब दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करते. हालांकि, पहले अधिकतर कलाकार दुर्गा प्रतिमाओं के निर्माण में वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग करते थे.

वेश्यालय की मिट्टी से नहीं बनेगी दुर्गा प्रतिमा
वेश्यालय की मिट्टी से नहीं बनेगी दुर्गा प्रतिमा
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Published : Jul 8, 2020, 2:00 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 6:14 PM IST

कोलकाता : हिंदू परंपरा के अनुसार देवी दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए चार चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनमें गंगा नदी के किनारे से मिट्टी, गोबर, गोमूत्र और वेश्यालय से ली गई मिट्टी शामिल हैं. इन चीजों के बिना प्रतिमा अधूरी रहती है.

क्या इन चीजों का इस्तेमाल आज भी देवी प्रतिमा बनाने के लिए किया जाता है? इस तथ्य की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम कुम्हारटोली पहुंची. हमारे संवाददाता ने कलाकारों से इस बाबत जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि कुम्हारटोली में समय ने बहुत कुछ बदल दिया है. वे अब मिट्टी लेने वेश्यालय नहीं जाते.

अब दुर्गा प्रतिमा बनाने में नहीं होता वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल.

दुर्गा प्रतिमा वेश्यालय की मिट्टी के बिना क्यों नहीं बनाई जाती? इसकी कई व्याख्याएं हैं, जो प्राचीन काल से चली आ रही हैं. एक व्याख्या के अनुसार, वेश्यालय की मिट्टी पवित्र है. एक और व्याख्या यह है कि शरद ऋतु में देवी को समय से पहले जागृत किया जाता है.

पढ़ें- 75 वर्षीय योग माता शकुंतला देवी 12 सालों से सिखा रही हैं योग

नवरात्र के दौरान महामाया की नौ रूपों में पूजा की जाती है. ये नौ रूप हैं - बिनोदिनी, कपालिनी, धोपनी, नेपतिनी, ब्राह्मणी, शूद्राणी, गोलिनी, मालिनी और वेश्या. नौवां रूप वेश्यालय का प्रतिनिधित्व करता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार वेश्या देवताओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली थी. यह निर्विवाद है कि मां दुर्गा की श्वेत प्रतिमा के निर्माण और पूजा के लिए तथाकथित 'अशुद्ध' स्थान की मिट्टी ली जाती है.

कोलकाता : हिंदू परंपरा के अनुसार देवी दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए चार चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं. इनमें गंगा नदी के किनारे से मिट्टी, गोबर, गोमूत्र और वेश्यालय से ली गई मिट्टी शामिल हैं. इन चीजों के बिना प्रतिमा अधूरी रहती है.

क्या इन चीजों का इस्तेमाल आज भी देवी प्रतिमा बनाने के लिए किया जाता है? इस तथ्य की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम कुम्हारटोली पहुंची. हमारे संवाददाता ने कलाकारों से इस बाबत जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि कुम्हारटोली में समय ने बहुत कुछ बदल दिया है. वे अब मिट्टी लेने वेश्यालय नहीं जाते.

अब दुर्गा प्रतिमा बनाने में नहीं होता वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल.

दुर्गा प्रतिमा वेश्यालय की मिट्टी के बिना क्यों नहीं बनाई जाती? इसकी कई व्याख्याएं हैं, जो प्राचीन काल से चली आ रही हैं. एक व्याख्या के अनुसार, वेश्यालय की मिट्टी पवित्र है. एक और व्याख्या यह है कि शरद ऋतु में देवी को समय से पहले जागृत किया जाता है.

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नवरात्र के दौरान महामाया की नौ रूपों में पूजा की जाती है. ये नौ रूप हैं - बिनोदिनी, कपालिनी, धोपनी, नेपतिनी, ब्राह्मणी, शूद्राणी, गोलिनी, मालिनी और वेश्या. नौवां रूप वेश्यालय का प्रतिनिधित्व करता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार वेश्या देवताओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली थी. यह निर्विवाद है कि मां दुर्गा की श्वेत प्रतिमा के निर्माण और पूजा के लिए तथाकथित 'अशुद्ध' स्थान की मिट्टी ली जाती है.

Last Updated : Jul 8, 2020, 6:14 PM IST
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