हैदराबाद : अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारियां चरम पर हैं. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की कई प्रमुख हस्तियों और साधु-संतों के समक्ष भूमि पूजन कर भव्य मंदिर की आधारशिला रखने वाले हैं. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी 15 लाख रुपये से अधिक कीमत की 22.6 किलोग्राम शुद्ध चांदी की ईंट नींव पूजन में रखकर शिलांन्यास करेंगे. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या में इस पल को यादगार बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है, तो वहीं राम भक्तों में भी उत्साह देखते ही बनता है. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडियो को बताया है कि विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता और रामभक्त देशभर से पवित्र नदियों और तीर्थों का जल व मिट्टी राम मंदिर भूमि पूजन के लिए भेज रहे हैं. कोरोना वायरस के कारण वह तमाम भक्त अयोध्या नहीं आ पा रहे हैं, वह तीर्थों का जल व मिट्टी कोरियर से भेज रहे हैं. वहीं सुप्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू ने मंदिर निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये दान करने का एलान किया है. आइए जानते हैं किन राज्यों से अयोध्या भेजा जा रहा है पवित्र जल व मिट्टी....
उत्तराखंड : पवित्र तीर्थों से भव्य राम मंदिर के लिए भेजा जा रहा जल
देवभूमि उत्तराखंड के चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत अन्य मठ-मंदिरों की मिट्टी के साथ ही गंगा-यमुना का पवित्र जल भी अयोध्या भेजा जा रहा है. उत्तराखंड से मठ-मंदिरों की मिट्टी और नदियों का जल भेजने का जिम्मा विश्व हिंदू परिषद ने उठाया है. बदरीनाथ धाम के रावल (पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी व धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने जल एवं मिट्टी देकर दल को आयोध्या के लिए रवाना किया. भूमि पूजन में उत्तराखंड के चारधामों से मिट्टी के साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री से जल भेजा जा रहा है. ऐसे में हमारी परंपरा और आगे बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा होती है और उन्हीं का अवतार भगवान राम हैं. वहीं चमोली से तीन प्रयागों कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग और विष्णुप्रयाग सहित अलकनंदा नदी का जल एवं बदरीनाथ धाम की मिट्टी को अयोध्या तक पहुंचाने की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद की चमोली इकाई ने ली है.
बिहार : विश्व शांति की कामना संग बोधिगया से भेजी मिट्टी
बिहार के भोजपुर की धरती से भगवान राम के मंदिर में लगने के लिए जल और मिट्टी भेजी जा रही है. बता दें कि जिले के बिंदगावां ग्राम में अवस्थित सरयू, गंगा और सोन का संगम स्थल है, जो कि भारत सहित विश्व के किसी भी धर्म क्षेत्र का एकमात्र अति दुर्लभ सम्मान है. इसका वर्णन कई धर्म ग्रंथों में भी उल्लेखित है. स्थानीय लोगों ने बताया कि दुर्लभ संगम की मिट्टी और जल भगवान श्रीराम की कृपा से उनके परमधाम के लिए ही अर्पित किया जा रहा है. वहीं मांझी के सन्त धरणी बाबा मधेश्वरनाथ श्रीराम घाट की मिट्टी सहित पवित्र सरयु नदी का जल अयोध्या भेजा गया है. इसी क्रम में गया स्थित महाबोधि मंदिर से भी मिट्टी और जल लेकर बौद्ध लामा ने विश्व हिंदू परिषद के लोगों को दिया. महाबोधि मंदिर से मिट्टी और जल देने से पहले बौद्ध भिक्षुओं ने बौद्धिक मंत्रोच्चार के साथ ही साथ पूरे विश्व की शांति के लिए पूजा-अर्चना की. छपरा के हरि-हर की पवित्र भूमि हरिहर क्षेत्र से भी जल ले जाया जा रहा है.
दिल्ली : देश की राजधानी के 12 धर्मस्थलों से भेजे रजकण
विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली के 12 धार्मिक स्थानों की मिट्टी भेजी है. विहिप की इकाइयां देश भर के धार्मिक स्थलों से मिट्टी एकत्र कर राम मंदिर के नींव में सम्मिलित करने के लिए भेजने का अभियान चला रही है. इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली के 12 धार्मिक स्थलों और पाक अधिकृत कश्मीर के शारदा पीठ की मिट्टी भी अयोध्या के लिए रवाना की गई है. विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने विगत दिवस मिट्टी से भरे कलश अयोध्या भेजे हैं. कोरोना महामारी के फैलते प्रभाव को देखते हुए राम मंदिर के आधारशिला रखने के कार्यक्रम को सीमित ही रखा गया है. इस कारण बड़ी संख्या में भक्त और विहिप कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे. विहिप का कहना है कि यदि कोरोना संक्रमण का खतरा न होता तो अयोध्या में इस मौके पर देशभर से लाखों लोग एकत्र होते. कोरोना के कारण अब देश के करोड़ों लोग टेलीविजन पर भूमिपूजन का कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे.
झारखंड : दोमुहानी संगमस्थल, दुखहरण नाथ आदि तीर्थों से भेजी मिट्टी
झारखंड के सरना स्थल सहित अन्य तीर्थस्थलों की पवित्र मिट्टी के साथ-साथ नदियों का पवित्र जल राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में भेजा जाएगा. पूर्वी सिंहभूम जिले से भी एक कलश में पांच लीटर जल के साथ मिट्टी अयोध्या भेजी जानी है. जमशेदपुर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सोनारी स्थित स्वर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम स्थल दोमुहानी से जल लिया. इससे पूर्व पंडितों के द्वारा मंत्रोचार कर पूजा पाठ किया गया. वहीं गिरिडीह जिले के धार्मिक स्थलों की मिट्टी और नदियों का जल अयोध्या भेजा गया. इससे पूर्व शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद ने जिले के विभिन्न धार्मिक स्थलों और नदियों से आई मिट्टी और जल को बगोदर स्थित श्री दुर्गा शक्ति मंदिर में संकल्प किया. साथ ही जमुनिया नदी, बराकर नदी, झारखंड धाम, दुखहरण नाथ, सूर्य मंदिर मिर्जागंज, राजदाह धाम, श्री दुर्गा शक्ति मंदिर बगोदर आदि धर्मस्थलों से मिट्टी व जल अयोध्या भेजा गया है.
हरियाणा : सूरजकुंड सहित 101 तीर्थों से भेजा गया पवित्र जल
राज्य के 101 प्रमुख मंदिरों एवं तीर्थ स्थलों के रजकण एकत्रित कर पूजन किया गया. इन रजकणों को अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम मंदिर के लिए 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में इस्तेमाल किया जाएगा. रजकण भेजे जाने को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी जोश और उत्साह देखा गया. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने संतों के आह्वान पर राज्य के सभी प्रमुख मंदिरों एवं पूजा स्थलों की रजकण एकत्रित करने का काम किया है. पांडव कालीन प्राचीन पंचवटी मंदिर के महामंडलेश्वर संत कांमता दास ने बताया कि इन रजकणों को अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में प्रयोग किया जाएगा. यही नहीं सूरज कुंड से भी कई रामभक्तों द्वारा पवित्र जल व तीर्थ की मिट्टी अयोध्या भेजी जा रही है. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने बताया कि राज्य के सभी प्रमुख स्थलों से एकत्र किए रजकण भगवान राम की जन्मस्थली पर बनाए जाने वाले भव्य राम मंदिर की नींव के लिए भेजे गए हैं.
हिमाचल : 'छोटीकाशी' सहित प्रमुख तीर्थों से रवाना की गई श्रद्धा की माटी
राजधानी शिमला सहित राज्यभर के तीर्थों और मंदिरों का जल और मिट्टी आयोध्या के लिए भेजी गई है. शिमला से हनुमान मंदिर जाखू, तारा माता मंदिर, श्यामला माता मंदिर, काली बाड़ी, संकट मोचन मंदिर, कामना देवी मंदिर की पवित्र मिट्टी और भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्न की तपोस्थली तत्तापानी का पवित्र जल अयोध्या के लिए रवाना कर दिया गया है. दूसरी ओर छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी के पवित्र स्थलों से एकत्रित मिट्टी व जल भी अयोध्या भेजे गए हैं. छोटी-काशी मंडी के प्रमुख देवस्थानों शिकारी माता, देव बड़ा कमरुनाग, बूढ़ाकेदार, मुरारी माता व सुखदेव वाटिका के साथ-साथ अन्य प्रमुख देव स्थलों की मिट्टी व जल अयोध्या भेजे गए हैं. विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर निर्माण के लिए सुखदेव वाटिका, मुरारी माता, शिकारी माता बड़ा देव कमरूनाग और अन्य पवित्र स्थलों से मिट्टी और जल अयोध्या भेजे गए हैं, जो राम मंदिर निर्माण में लगाए जाएंगे.
मध्य प्रदेश : भेजी गई महाकालेश्वर मंदिर से भस्म व शिप्रा का जल
उज्जैन के पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा से महाकाल वन की मिट्टी, विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से भस्मी और शिप्रा नदी का जल अयोध्या भेजा गया है. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंत्रोच्चार के साथ भगवान महाकाल की आरती की भस्म, शिप्रा का जल और उज्जैन की मिट्ठी को एकत्रितकर मंत्र के साथ विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को सौंपा, जो अयोध्या के लिए रवाना हुए. मान्यता है कि भगवान राम उज्जैन आए थे और उन्होंने शिप्रा नदी के घाट पर पूजा-अर्चना की थी. इसके बाद से ही शिप्रा नदी के एक घाट का नाम राम घाट पड़ा है. वहीं बैतूल से ताप्ती नदी का जल और मिट्टी भी आयोध्या भेजी गई है. ताप्ती को सूर्यपुत्री कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने सूर्य कुल में जन्म लिया था. इसलिए भूमि पूजन के मौके पर बैतूल से पूण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती का जल कलश रवाना किया गया. इस कलश में ताप्ती सरोवर और शिवधाम बारह ज्योतिलिंग का जल भी समाहित किया गया है.
राजस्थान : 121 धर्मस्थलों के रजकण लेकर पहुंच रहे हैं प्रभु श्रीराम के भक्त
राज्य के 121 धर्मिक स्थलों से मिट्टी भेजी जा रही है. इस कड़ी में सबसे पहले जयपुर से 51 तीर्थ स्थलों की रज अयोध्या भेजी गई. इसी प्रकार बाकी शहरों से भी रजकणों को पूजनोपरांत भेजा जाएगा. राम मंदिर के निर्माण में छोटी कांशी जयपुर से प्रथम पूज्य मोती डूंगरी गणेश मंदिर और आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर की मिट्टी और सिंदूर अयोध्या भिजवाया जा रहा है. यहां की रज मंदिर की नींव में शामिल करना बेहद शुभ है. रज के साथ सिंदूर और अन्य सामग्री भेजी गई है. ऐसे में जयपुरवासियों के साथ संत-महंतों ने गौरवान्वित होते हुए जल्द से जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने की कामना की है. विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधि मंडल छोटी काशी से विख्यात धार्मिक नगरी जयपुर, जोधपुर और वीरों की भूमि चित्तौड़ जिलों से प्रमुख धार्मिक स्थलों की मिट्टी और जल को अयोध्या लेकर जा रहे हैं. निर्माण को लेकर साधु-संतों व रामभक्तों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश : काशी, गोरखनाथ व नैमिषारण्य से भेजे रजकण व गंगाजल
गोरखपीठ की पावन मिट्टी और जल राम जन्मभूमि के लिए रवाना की जा चुकी है. श्रीराम जन्मभूमि की नींव में देश की सभी सिद्धपीठों की पावन मिट्टी और प्रसिद्ध नदियों का जल डाला जाएगा. श्रीराम मंदिर निर्माण के आंदोलन में गोरक्ष पीठ का बड़ा ही अहम योगदान रहा है. राम जन्मभूमि आंदोलन में गोरक्षा पीठ के ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की अगुवाई की थी. वहीं 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य के पांच प्रमुख तीर्थों का जल और यहां की मिट्टी भी अयोध्या भेजी गई है. इसके अलावा वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर से रजकण व गंगा का पवित्र जल भी अयोध्या भेजा जा रहा है. वहीं विन्ध्याचल से शक्तिपीठ मां विध्यवासिनी के तीर्थस्थल से भी रजकण व गंगाजल श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भेजा जा रहा है. यही नहीं प्रदेश के कई अन्य सिद्ध स्थलों व तीर्थों से रामभक्त व विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता जल व रजकण भेजने का प्रबंध कर रहे हैं.
दक्षिण भारत सहित अन्य राज्यों के तीर्थों से भी भेजा गया पवित्र जल
दक्षिण भारत के प्रमुख तीर्थों से भी विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता व भक्त पवित्र नदियों का जल व मिट्टी प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए भेज रहे हैं. इन मंदिरों में रामेश्वरम, तिरुपति बालाजी मंदिर, श्री रंगनाथास्वामी मंदिर, पद्मनाभास्वामी मंदिर, मीनाक्षी मंदिर, नटराज मंदिर आदि से भी जल व रजकण भेजे जाने की सूचनाएं मिल रही हैं. वहीं पश्चिम बंगाल राज्य के गंगासागर, दख्निनेश्वर, कालीघाट के साथ ही भागीरथी और त्रिवेणी आदि नदियों से जल व मिट्टी नींव पूजन के लिए भेजा जा रहा है. दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चंद्रखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर से मिट्टी लेकर मोहम्मद फैज खान अयोध्या के लिए निकले हैं. मोहम्मद फैज की चाहते हैं कि भगवान राम के ननिहाल की मिट्टी मंदिर की नींव में डाली जाए. गौ सेवक मोहम्मद फैज खान बीते 23 जुलाई को रायपुर के चंद्रखुरी मंदिर से मिट्टी लेकर अयोध्या की पदयात्रा पर निकले हैं. वह पांच अगस्त को अयोध्या पहुंचेंगे.