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भारत-सऊदी के बीच बढ़ रही है नजदीकी, कश्मीर पर दिखा इसका असर - modi meets prince salman

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के राजा और क्राउन प्रिंस के बीच रियाद में मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों के बीच कश्मीर मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. कुछ देश कश्मीर पर हस्तक्षेप की कोशिश कर चुके हैं. हालांकि, भारत कश्मीर मुद्दे को आंतरिक मामला बता चुका है. कश्मीर पर सऊदी की चुप्पी का क्या मायने हैं, पढ़ें विस्तार से

पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस.
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Published : Nov 1, 2019, 6:11 PM IST

यह ज्ञात हुआ है कि रियाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के राजा और क्राउन प्रिंस के बीच हुई आधिकारिक बैठकों में व्यापक चर्चा के दौरान कश्मीर मुद्दा कहीं नहीं उठाया गया. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, बिना कश्मीर का जिक्र किये सन्देश दिया गया कि इस मुद्दे पर भारत जो भी कर रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है.

इस तथ्य को और मजबूत करते हुए ये भी देखना होगा कि अनुच्छेद 370 के रद्द किये जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े हुए तनाव के बावजूद सऊदी अरब में भारत के खिलाफ कोई नकारात्मक बात नहीं की है. अधिकारियों के अनुसार इसे सऊदी की 'भारतीय स्थिति की बेहतर राजनीतिक समझ' के रूप में देखा जाना चाहिए. औपचारिक वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की, और देशों के आंतरिक मामलों में सभी प्रकार के हस्तक्षेप की उनकी स्पष्ट अस्वीकृति और उनकी पूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता को दोहराया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को राज्यों की संप्रभुता पर किसी भी हमले को रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री मोदी रियाद में फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम के तीसरे संस्करण में एक मुख्य वक्ता थे, जिसे दावोस इन द डेजर्ट के रूप में जाना जाता है. किंगडम अपने तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहता है. ऐसे में दोनों देश क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे बढ़ने में इच्छुक हैं. साथ ही, सुरक्षा और रक्षा उद्योगों में आपसी सहयोग प्रमुख स्तंभों के रूप में उभरा है. रणनीतिक समझौते की शुरुआत के साथ, अब रणनीतिक भागीदारी परिषद शुरू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

यह इस वर्ष फरवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पहली बार एक रणनीतिक परिषद की स्थापना के विचार को व्यक्त किया था जिसके बाद नई दिल्ली ने एक संरचना तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. एमबीएस, जैसा कि सऊदी क्राउन प्रिंस लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं, किंगडम के रक्षा मंत्री और डिप्टी पीएम और वास्तविक शासक भी हैं. उनके विजन 2030 के तहत, सऊदी आठ देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को अंतिम रूप दे रहा है, जिसमें उसने ब्रिटेन, फ्रांस और चीन सहित चार देशों के साथ समझौते किए हैं.

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पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच आधिकारिक बैठक

भारत चौथा देश है, जिसके साथ साम्राज्य ने यह प्रमुख समझौता किया है. पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस की अध्यक्षता में शुरू किए गए उच्च स्तरीय तंत्र का उद्देश्य दो साल में एक बार शिखर बैठक और एक मंत्रिस्तरीय वार्षिक वार्ता आयोजित करना होगा. परिषद राजनीतिक-सुरक्षा-संस्कृति और दोनों पक्षों पर विदेश मामलों के मंत्रियों की अध्यक्षता वाले समाज सहित दो कार्यक्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी. रक्षा का मुद्दा इस छतरी के नीचे एक उप समूह के तौर पर होगा. अन्य कार्यक्षेत्र में आर्थिक और निवेश पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उनका नेतृत्व भारतीय वाणिज्य मंत्री और सऊदी ऊर्जा मंत्री अपने-अपने पक्ष में करेंगे और इसमें नीति अयोग के सदस्य भी शामिल होंगे.

भारत की रूस, जर्मनी और जापान के साथ उच्चतम स्तर पर ऐसी संस्थागत व्यवस्था है. परिषद की प्राथमिकताओं में साइबर संबंधों को सुधारने और आपसी सहयोग से आतंकवाद का मुकाबला करने, सूचनाओं के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और आर्थिक संबंधों के विस्तार और विविधीकरण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने में सहयोग को मजबूत करने के तरीके शामिल होंगे. मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच हुई चर्चा में आतंकवाद महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहा. जारी किये संयुक्त बयान के अनुसार, 'दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि अतिवाद और आतंकवाद सभी देशों और समाजों के लिए खतरा पैदा करते हैं. उन्होंने इस सार्वभौमिक घटना को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया.'

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पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस.

इसमें आगे कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने सभी आतंकवादी कृत्यों पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की और मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक आतंकवादियों की पहुंच को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई की जा सके.'

इस बयान में किंगडम में नागरिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ 'आतंकवादी कृत्यों' की भारत द्वारा की गयी निंदा का भी उल्लेख किया गया है. सऊदी राज्य के स्वामित्व वाले अरामको रिफाइनरी पर सितंबर के मध्य में एक ड्रोन हमले के बाद, रियाद ने नई दिल्ली को आश्वासन दिया कि तेल आपूर्ति बाधित नहीं होगी, किंगडम द्वारा भारत को लगभग 18 प्रतिशत तेल का आयात और लगभग 30 प्रतिशत एलपीजी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है.

किंगडम के शीर्ष नेतृत्व ने यह खास ख्याल रखा कि भारत किसी तरह से भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित न हो. रियाद में ऊर्जा मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की, जिसके बाद दोनों पक्षों में घनिष्ठ राजनयिक संपर्क स्थापित हुए. अपनी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सहयोग के लिए सभी को निजी तौर पर धन्यवाद दिया.
(लेखक- वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा)

यह ज्ञात हुआ है कि रियाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के राजा और क्राउन प्रिंस के बीच हुई आधिकारिक बैठकों में व्यापक चर्चा के दौरान कश्मीर मुद्दा कहीं नहीं उठाया गया. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, बिना कश्मीर का जिक्र किये सन्देश दिया गया कि इस मुद्दे पर भारत जो भी कर रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है.

इस तथ्य को और मजबूत करते हुए ये भी देखना होगा कि अनुच्छेद 370 के रद्द किये जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े हुए तनाव के बावजूद सऊदी अरब में भारत के खिलाफ कोई नकारात्मक बात नहीं की है. अधिकारियों के अनुसार इसे सऊदी की 'भारतीय स्थिति की बेहतर राजनीतिक समझ' के रूप में देखा जाना चाहिए. औपचारिक वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की, और देशों के आंतरिक मामलों में सभी प्रकार के हस्तक्षेप की उनकी स्पष्ट अस्वीकृति और उनकी पूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता को दोहराया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को राज्यों की संप्रभुता पर किसी भी हमले को रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री मोदी रियाद में फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम के तीसरे संस्करण में एक मुख्य वक्ता थे, जिसे दावोस इन द डेजर्ट के रूप में जाना जाता है. किंगडम अपने तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाना चाहता है. ऐसे में दोनों देश क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे बढ़ने में इच्छुक हैं. साथ ही, सुरक्षा और रक्षा उद्योगों में आपसी सहयोग प्रमुख स्तंभों के रूप में उभरा है. रणनीतिक समझौते की शुरुआत के साथ, अब रणनीतिक भागीदारी परिषद शुरू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

यह इस वर्ष फरवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पहली बार एक रणनीतिक परिषद की स्थापना के विचार को व्यक्त किया था जिसके बाद नई दिल्ली ने एक संरचना तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. एमबीएस, जैसा कि सऊदी क्राउन प्रिंस लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं, किंगडम के रक्षा मंत्री और डिप्टी पीएम और वास्तविक शासक भी हैं. उनके विजन 2030 के तहत, सऊदी आठ देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को अंतिम रूप दे रहा है, जिसमें उसने ब्रिटेन, फ्रांस और चीन सहित चार देशों के साथ समझौते किए हैं.

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पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच आधिकारिक बैठक

भारत चौथा देश है, जिसके साथ साम्राज्य ने यह प्रमुख समझौता किया है. पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस की अध्यक्षता में शुरू किए गए उच्च स्तरीय तंत्र का उद्देश्य दो साल में एक बार शिखर बैठक और एक मंत्रिस्तरीय वार्षिक वार्ता आयोजित करना होगा. परिषद राजनीतिक-सुरक्षा-संस्कृति और दोनों पक्षों पर विदेश मामलों के मंत्रियों की अध्यक्षता वाले समाज सहित दो कार्यक्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी. रक्षा का मुद्दा इस छतरी के नीचे एक उप समूह के तौर पर होगा. अन्य कार्यक्षेत्र में आर्थिक और निवेश पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उनका नेतृत्व भारतीय वाणिज्य मंत्री और सऊदी ऊर्जा मंत्री अपने-अपने पक्ष में करेंगे और इसमें नीति अयोग के सदस्य भी शामिल होंगे.

भारत की रूस, जर्मनी और जापान के साथ उच्चतम स्तर पर ऐसी संस्थागत व्यवस्था है. परिषद की प्राथमिकताओं में साइबर संबंधों को सुधारने और आपसी सहयोग से आतंकवाद का मुकाबला करने, सूचनाओं के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण और आर्थिक संबंधों के विस्तार और विविधीकरण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने में सहयोग को मजबूत करने के तरीके शामिल होंगे. मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच हुई चर्चा में आतंकवाद महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहा. जारी किये संयुक्त बयान के अनुसार, 'दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि अतिवाद और आतंकवाद सभी देशों और समाजों के लिए खतरा पैदा करते हैं. उन्होंने इस सार्वभौमिक घटना को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया.'

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पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस.

इसमें आगे कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने सभी आतंकवादी कृत्यों पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की और मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक आतंकवादियों की पहुंच को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी कार्रवाई की जा सके.'

इस बयान में किंगडम में नागरिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ 'आतंकवादी कृत्यों' की भारत द्वारा की गयी निंदा का भी उल्लेख किया गया है. सऊदी राज्य के स्वामित्व वाले अरामको रिफाइनरी पर सितंबर के मध्य में एक ड्रोन हमले के बाद, रियाद ने नई दिल्ली को आश्वासन दिया कि तेल आपूर्ति बाधित नहीं होगी, किंगडम द्वारा भारत को लगभग 18 प्रतिशत तेल का आयात और लगभग 30 प्रतिशत एलपीजी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है.

किंगडम के शीर्ष नेतृत्व ने यह खास ख्याल रखा कि भारत किसी तरह से भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित न हो. रियाद में ऊर्जा मंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की, जिसके बाद दोनों पक्षों में घनिष्ठ राजनयिक संपर्क स्थापित हुए. अपनी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सहयोग के लिए सभी को निजी तौर पर धन्यवाद दिया.
(लेखक- वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा)

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