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विशेष लेख : मालदीव की एक कॉल पर मदद को पहुंचा भारत - राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह

मालदीव सरकार के एक अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली ने उसे मीजल्स और रूबेला (एमआर) वैक्सीन की 30,000 खुराकें भेज दीं. नई दिल्ली ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से एमआर वैक्सीन की 30,000 खुराकें खरीदीं. मालदीव की राजधानी माले में खसरे के प्रकोप की आशंका के बाद यह कदम उठाया गया.

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मोदी, इब्राहिम सोलीह
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Published : Jan 24, 2020, 9:04 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 7:06 AM IST

मालदीव सरकार के एक अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली ने उसे मीजल्स और रूबेला (एमआर) वैक्सीन की 30,000 खुराकें भेज दीं. नई दिल्ली ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से एमआर वैक्सीन की 30,000 खुराकें खरीदीं. मालदीव की राजधानी माले में खसरे के प्रकोप की आशंका के बाद यह कदम उठाया गया.

सूत्रों ने कहा कि खसरा मालदीव से समाप्त हो गया है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में वहां चार ऐसे मामले आए, जो इससे प्रभावित थे. इसके बाद संभावित प्रकोप से बचने के लिए मालदीव ने भारत से मदद मांगी. मालदीव ने शुरू में कुछ आपातकालीन आपूर्ति के लिए डेनमार्क और यूनिसेफ की सरकार से संपर्क किया था. लेकिन वहां से दवा आने में चार सप्ताह का समय लगता. भारत ने मालदीव को तुरंत मदद देने का भरोसा दिया.

भारतीय राजदूत संजय सुधीर द्वारा बुधवार को माले में स्वास्थ्य मंत्रालय को टीके सौंपे गए. भारतीय दूतावास ने कहा कि

भारत की तीव्र प्रतिक्रिया यह रेखांकित करती है कि स्वास्थ्य भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय सहयोग के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है. यह हमारी विदेश नीति 'पड़ोसी पहले' के अनुरूप है. इसी तरह से मालदीव के लिए भारत पहले की नीति के यह अनुरूप है.

भारत और मालदीव ने जून 2019 में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों के प्रशिक्षण, रोग निगरानी, ​​मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण, द्वीप में डिजिटल स्वास्थ्य क्षमताओं की स्थापना में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया था. टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर मालदीव के हुलहुमले में 100-बेड का एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल का निर्माण कर रहा है. यह भारत द्वारा प्रस्तावित 800 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की परियोजना के तहत है.

हालांकि भारत और मालदीव के संबंध पिछली यामीन शासन के दौरान निचले स्तर पर चला गया था. लेकिन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह के चुनाव के बाद संबंध फिर से पटरी पर लौट आए हैं. यह पहली बार नहीं है कि भारत मालदीव के लिए मानवीय आपातकाल के समय में सहयोग कर रहा है. 2015 में, राजधानी माले में मुख्य आरओ संयंत्र के टूटने के बाद जल संकट की स्थिति बन गई थई. तब नई दिल्ली ने तुरंत जहाज के जरिए पानी भिजवाया था. एक आरओ प्लांट भी भेजा गया थआ. मालदीव समेत कई देशों में सुनामी की मार के बाद अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई थी. क्योंकि यहां आमदनी का मुख्य जरिया पर्यटन रहा है. 1988 में, ऑपरेशन कैक्टस के माध्यम से राजीव गांधी के अधीन भारत सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के कहने पर मदद की थी. तख्तापलट की कोशिश कर रहे भाड़े के लोगों से देश की रक्षा के लिए आईएल -76 विमान पर पैराट्रूपर्स को भेजा गया था.

( लेखक : स्मिता शर्मा)

मालदीव सरकार के एक अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली ने उसे मीजल्स और रूबेला (एमआर) वैक्सीन की 30,000 खुराकें भेज दीं. नई दिल्ली ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से एमआर वैक्सीन की 30,000 खुराकें खरीदीं. मालदीव की राजधानी माले में खसरे के प्रकोप की आशंका के बाद यह कदम उठाया गया.

सूत्रों ने कहा कि खसरा मालदीव से समाप्त हो गया है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में वहां चार ऐसे मामले आए, जो इससे प्रभावित थे. इसके बाद संभावित प्रकोप से बचने के लिए मालदीव ने भारत से मदद मांगी. मालदीव ने शुरू में कुछ आपातकालीन आपूर्ति के लिए डेनमार्क और यूनिसेफ की सरकार से संपर्क किया था. लेकिन वहां से दवा आने में चार सप्ताह का समय लगता. भारत ने मालदीव को तुरंत मदद देने का भरोसा दिया.

भारतीय राजदूत संजय सुधीर द्वारा बुधवार को माले में स्वास्थ्य मंत्रालय को टीके सौंपे गए. भारतीय दूतावास ने कहा कि

भारत की तीव्र प्रतिक्रिया यह रेखांकित करती है कि स्वास्थ्य भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय सहयोग के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है. यह हमारी विदेश नीति 'पड़ोसी पहले' के अनुरूप है. इसी तरह से मालदीव के लिए भारत पहले की नीति के यह अनुरूप है.

भारत और मालदीव ने जून 2019 में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों के प्रशिक्षण, रोग निगरानी, ​​मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण, द्वीप में डिजिटल स्वास्थ्य क्षमताओं की स्थापना में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया था. टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर मालदीव के हुलहुमले में 100-बेड का एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल का निर्माण कर रहा है. यह भारत द्वारा प्रस्तावित 800 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की परियोजना के तहत है.

हालांकि भारत और मालदीव के संबंध पिछली यामीन शासन के दौरान निचले स्तर पर चला गया था. लेकिन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह के चुनाव के बाद संबंध फिर से पटरी पर लौट आए हैं. यह पहली बार नहीं है कि भारत मालदीव के लिए मानवीय आपातकाल के समय में सहयोग कर रहा है. 2015 में, राजधानी माले में मुख्य आरओ संयंत्र के टूटने के बाद जल संकट की स्थिति बन गई थई. तब नई दिल्ली ने तुरंत जहाज के जरिए पानी भिजवाया था. एक आरओ प्लांट भी भेजा गया थआ. मालदीव समेत कई देशों में सुनामी की मार के बाद अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई थी. क्योंकि यहां आमदनी का मुख्य जरिया पर्यटन रहा है. 1988 में, ऑपरेशन कैक्टस के माध्यम से राजीव गांधी के अधीन भारत सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के कहने पर मदद की थी. तख्तापलट की कोशिश कर रहे भाड़े के लोगों से देश की रक्षा के लिए आईएल -76 विमान पर पैराट्रूपर्स को भेजा गया था.

( लेखक : स्मिता शर्मा)

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विशेष लेख : मालदीव की एक कॉल पर मदद को पहुंचा भारत 

मालदीव सरकार के एक अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए नई दिल्ली ने उसे मीजल्स और रूबेला (एमआर) वैक्सीन की 30,000 खुराकें भेज दीं. नई दिल्ली ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से एमआर वैक्सीन की 30,000 खुराकें खरीदीं. मालदीव की राजधानी माले में खसरे के प्रकोप की आशंका के बाद यह कदम उठाया गया. 

सूत्रों ने कहा कि खसरा मालदीव से समाप्त हो गया है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में वहां चार ऐसे मामले आए, जो इससे प्रभावित थे. इसके बाद संभावित प्रकोप से बचने के लिए मालदीव ने भारत से मदद मांगी. मालदीव ने शुरू में कुछ आपातकालीन आपूर्ति के लिए डेनमार्क और यूनिसेफ की सरकार से संपर्क किया था. लेकिन वहां से दवा आने में चार सप्ताह का समय लगता. भारत ने मालदीव को तुरंत मदद देने का भरोसा दिया. 

भारतीय राजदूत संजय सुधीर द्वारा बुधवार को माले में स्वास्थ्य मंत्रालय को टीके सौंपे गए. भारतीय दूतावास ने कहा कि 

भारत की तीव्र प्रतिक्रिया यह रेखांकित करती है कि स्वास्थ्य भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय सहयोग के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है. यह हमारी विदेश नीति 'पड़ोसी पहले' के अनुरूप है. इसी तरह से मालदीव के लिए भारत पहले की नीति के यह अनुरूप है. 

भारत और मालदीव ने जून 2019 में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों के प्रशिक्षण, रोग निगरानी, ​​मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण, द्वीप में डिजिटल स्वास्थ्य क्षमताओं की स्थापना में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया था. टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर मालदीव के हुलहुमले में 100-बेड का एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल का निर्माण कर रहा है. यह भारत द्वारा प्रस्तावित 800 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की परियोजना के तहत है. 

हालांकि भारत और मालदीव के संबंध पिछली यामीन शासन के दौरान निचले स्तर पर चला गया था. लेकिन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह के चुनाव के बाद संबंध फिर से पटरी पर लौट आए हैं. यह पहली बार नहीं है कि भारत मालदीव के लिए मानवीय आपातकाल के समय में सहयोग कर रहा है. 2015 में, राजधानी माले में मुख्य आरओ संयंत्र के टूटने के बाद जल संकट की स्थिति बन गई थई. तब नई दिल्ली ने तुरंत जहाज के जरिए पानी भिजवाया था. एक आरओ प्लांट भी भेजा गया थआ. मालदीव समेत कई देशों में सुनामी की मार के बाद अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई थी. क्योंकि यहां आमदनी का मुख्य जरिया पर्यटन रहा है. 1988 में, ऑपरेशन कैक्टस के माध्यम से राजीव गांधी के अधीन भारत सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के कहने पर मदद की थी. तख्तापलट की कोशिश कर रहे भाड़े के लोगों से देश की रक्षा के लिए आईएल -76 विमान पर पैराट्रूपर्स को भेजा गया था. 

( स्मिता शर्मा) 


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Last Updated : Feb 18, 2020, 7:06 AM IST
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