कोरबा : आपने धार्मिक ग्रंथ से लेकर इतिहास और गणित विज्ञान की मोटी-मोटी किताबें तो देखी होंगी, जिन्हें सहेजने के लिए बड़े-बड़े रैक और आलमारियों की भी जरूरत पड़ती है. लेकिन कभी ऐसा ग्रंथ देखा है जिसे अगर एक टेबल पर रख दिया जाए तो पंखे की हवा से उड़ कर गुम हो सकता है. छत्तीसगढ़ के कोरबा संग्रहालय में ऐसा ही एक ग्रंथ मौजूद है.
कोरबा के संग्रहालय में 30 साल पुराना पवित्र ग्रंथ कुरान-ए-शरीफ मौजूद है, जो इतना छोटा है कि आप इसे अपनी ताबीज या अंगूठी की डिब्बी में भी रख सकते हैं. यह कुरान शहर के संग्रहालय में पिछले पांच साल से मौजूद है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
गीतांजलि भवन में संग्रहित था यह कुरान
शहर के घंटाघर ओपन थिएटर मैदान स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय में इस कुरान को रखा गया है. संग्रहालय के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्रिय ने बताया कि यह कुरान पिछले 25 साल तक शहर के ही गीतांजलि भवन में नगर निगम की लाइब्रेरी में संग्रहित था, जो पिछले पांच सालों से संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है. अगर कुरान की बनावट पर गौर करें तो -
- लंबाई 2 सेंटीमीटर
- चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर
- मोटाई महज 0.5 सेंटीमीटर है.
अरबी में लिखी है यह कुरान
हरि सिंह क्षत्रिय ने बताया कि नगर निगम के सार्वजनिक वाचनालय के रिटायर्ड ग्रंथपाल शिरीन लाखे को उनके दिल्ली में रहने वाले एक पुस्तक व्यवसाई मित्र ने यह छोटी कुरान तोहफे में दी थी. तब से यह छोटी सी डिबिया में लाइब्रेरी में संग्रहित थी.
अरबी में लिखे इन अक्षरों को खुली आंखों से पढ़ पाना लगभग नामुमकिन है. अंगूठे के नाखून के बराबर इस कुरान में भी 114 अध्याय और 236 आयतें लिखी हुई हैं.
अरबी लिखावट का यह एक प्रिंटेड ग्रंथ है, जिसे पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास यानी लेंस की जरूरत पड़ती है.