श्रीनगर: कश्मीर में हालात सामान्य होते नजर आ रहे हैं. बुधवार को सड़कों पर बड़ी संख्या में निजी वाहन उतरे, रेहड़ी-पटरी वालों ने भी काम शुरू कर दिया है हालांकि बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे और छात्र भी स्कूल नहीं पहुंचे.
संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को खत्म करने के 45 दिन बाद भी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती अभी भी है, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं अभी शुरू नहीं हुई हैं.
अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कार्यालय खुले लेकिन सार्वजनिक वाहनों की कमी के कारण दफ्तरों में उपस्थिति कम ही रही. जिला मुख्यालय के कार्यालयों में सामान्य उपस्थिति रही.
हाईस्कूल स्तर तक के स्कूलों को खोलने के राज्य सरकार के प्रयास बेकार साबित हुए क्योंकि सुरक्षा की चिंता को देखते हुए अभिभावक अभी भी बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दे रहे.
पूरी घाटी में टेलीफोन की लैंडलाइन सेवा बहाल हो चुकी है लेकिन कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में मोबाइल टेलीफोन सेवा और इंटरनेट सेवा अभी भी ठप है.
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अधिकतर अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है. दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में या नजरबंद रखा गया है.
सरकार ने तीन बार मुख्यमंत्री रहे एवं श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को सख्त जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया है. यह कानून उनके पिता एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के शासनकाल में 1978 में बना था, जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे.