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कश्मीर मुद्दे पर बोली कांग्रेस, कहा- बहुमत का फायदा उठा रही BJP

UNSC में कश्‍मीर के मुद्दे को उठाकर इसे अंतरराष्‍ट्रीय रूप देने की चीन और पाकिस्‍तान की साजिश को भारत ने अपने दमदार तर्कों और सबूतों से खारिज कर दिया. लेकिन फिर भी कांग्रेस लगातार भाजपा पर निशाना साध रही है. जानें क्या कहना है APCC अध्यक्ष रिपुन बोरा का......

APCC अध्यक्ष रिपुन बोरा.
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Published : Aug 17, 2019, 6:11 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 7:47 AM IST

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने भले ही जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान और चीन के प्रयासों को खारिज कर दिया है, बावजूद उसके कांग्रेस लगातार भाजपा पर निशाना साधती नजर आ रही है. कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति बद से बदतर होती जाएगी.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा, 'सरकार को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, नागरिक समाज संगठनों सहित सभी हितधारकों से परामर्श करना चाहिए था.'

ईटीवी भारत से बातचीत करते रिपुन बोरा.

APCC के अध्यक्ष बोरा ने कहा कि केंद्र में वर्तमान सरकार के पास बहुमत है इसलिए वे अपने ही मुताबिक फैसले पर फैसला ले रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हाल के घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर में स्थिति को और भड़का सकते हैं.'

बता दें, संयुक्‍त राष्‍ट्र के अंदर जम्‍मू-कश्‍मीर के मुद्दे को उठाकर इस पूरे मामले को अंतरराष्‍ट्रीय रूप देने की चीन और पाकिस्‍तान की नापाक साजिश को शुक्रवार को भारत ने अपने दमदार तर्कों और सबूतों से खारिज कर दिया. भारत की फील्डिंग इतनी शानदार रही कि रूस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र की 'बंद कमरे' में बैठक शुरू होने से पहले ही जम्‍मू-कश्‍मीर को भारत-पाकिस्‍तान का द्विपक्षीय मसला बता दिया.

पढ़ें: कश्मीर मुद्दा : UNSC में भारत का दो टूक जवाब, कहा- ये हमारा आंतरिक मुद्दा

वहीं रूस ने एक बार फिर भारत से दोस्ती निभाते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच का मामला है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है. इसमें बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत ने यह फैसला लिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार धीरे-धीरे पाबंदियां कश्मीर से हटा रही है. अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान जिहाद की बात कर हिंसा फैला रहा है. हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम हैं. हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है. उन्होंने कहा कि बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को रोकना होगा.

दरअसल, हाल ही में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. कश्मीर मुद्दा उसके गले की हड्डी बन गया है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसने यह मुद्दा काफी बार उठाया, लेकिन उसकी एक भी दलील काम नहीं आई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी देशों (चीन को छोड़कर) ने उसे उलटे पांव लौटा दिया. उसका इस मुद्दे पर सिर्फ चीन ही साथ दे रहा है.

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने भले ही जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान और चीन के प्रयासों को खारिज कर दिया है, बावजूद उसके कांग्रेस लगातार भाजपा पर निशाना साधती नजर आ रही है. कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति बद से बदतर होती जाएगी.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा, 'सरकार को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, नागरिक समाज संगठनों सहित सभी हितधारकों से परामर्श करना चाहिए था.'

ईटीवी भारत से बातचीत करते रिपुन बोरा.

APCC के अध्यक्ष बोरा ने कहा कि केंद्र में वर्तमान सरकार के पास बहुमत है इसलिए वे अपने ही मुताबिक फैसले पर फैसला ले रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'हाल के घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर में स्थिति को और भड़का सकते हैं.'

बता दें, संयुक्‍त राष्‍ट्र के अंदर जम्‍मू-कश्‍मीर के मुद्दे को उठाकर इस पूरे मामले को अंतरराष्‍ट्रीय रूप देने की चीन और पाकिस्‍तान की नापाक साजिश को शुक्रवार को भारत ने अपने दमदार तर्कों और सबूतों से खारिज कर दिया. भारत की फील्डिंग इतनी शानदार रही कि रूस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र की 'बंद कमरे' में बैठक शुरू होने से पहले ही जम्‍मू-कश्‍मीर को भारत-पाकिस्‍तान का द्विपक्षीय मसला बता दिया.

पढ़ें: कश्मीर मुद्दा : UNSC में भारत का दो टूक जवाब, कहा- ये हमारा आंतरिक मुद्दा

वहीं रूस ने एक बार फिर भारत से दोस्ती निभाते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच का मामला है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है. इसमें बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत ने यह फैसला लिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार धीरे-धीरे पाबंदियां कश्मीर से हटा रही है. अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान जिहाद की बात कर हिंसा फैला रहा है. हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम हैं. हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है. उन्होंने कहा कि बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को रोकना होगा.

दरअसल, हाल ही में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. कश्मीर मुद्दा उसके गले की हड्डी बन गया है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसने यह मुद्दा काफी बार उठाया, लेकिन उसकी एक भी दलील काम नहीं आई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी देशों (चीन को छोड़कर) ने उसे उलटे पांव लौटा दिया. उसका इस मुद्दे पर सिर्फ चीन ही साथ दे रहा है.

Intro:New Delhi: Even as India has downplayed Pakistan and China's efforts to internationalise J&K issue, Congress on Saturday said that the situation in J&K will turn from bad to worse.


Body:"Government could have at least consult all stakeholders including the national political parties, social organisations, civil society organisations in J&K and come to a national consensus before taking the decision (scrapping of Article 370)...," said Assam Pradesh Congress Committee (APCC) president Ripun Bora to ETV Bharat.

On Friday, India foiled Pakistan and Chaina's efforts to internationalise the J&K issue by raising it in UN Security Council (UNSC). India reiterated that the decision to scrap Article 370 "was country's internal matter."

The APCC president Bora, however, said that the present government at the centre has the majority so they are taking decision at their whims.

"The recent developments may further viciate the situation in J&K," said Bora.



Conclusion:Meanwhile, schools in J&K will be reopened next week after a clourse for more than 13 days.

Officials said that telecom links will also be restored in the next fee days. Restrictions on the public movements will also be gradually lifted.

end.
Last Updated : Sep 27, 2019, 7:47 AM IST
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