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समस्याओं के समाधान के बजाय एजेंडा लागू करने में व्यस्त मोदी सरकार - coronavirus in india

देश में आज कोरोना के 67,151 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 32 लाख के पार पहुंच गए हैं. भारत कोरोना संक्रमण के मामलों में अमेरिका और ब्राजील से पीछे है. देशभर में आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का छह दिवसीय विरोध प्रदर्शन का समापन हुआ है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने ईटीवी भारत से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा...

सीताराम येचुरी
सीताराम येचुरी
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Published : Aug 26, 2020, 7:52 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. कोरोना संक्रमितों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच गई है. विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रही हैं कि सरकार कोरोना के नियोजन में विफल रही है.

देशभर में आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का 16 मांगों के साथ चल रहा छह दिवसीय विरोध प्रदर्शन का समापन हो गया. दिल्ली में भी आज एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाना था, लेकिन पाबंदियों के कारण कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हो सका.

ईटीवी भारत ने सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया. येचुरी ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने की दिशा में सरकार ने पिछले छह महीनों में उचित कदम नहीं उठाए हैं.

सीताराम येचुरी से खास बातचीत.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से अचानक लॉकडाउन की घोषणा करके मोदी सरकार ने दिक्कतें पैदा की और हम सब ने देखा कि कैसे प्रवासी मजदूरों ने दिक्कतों का सामना किया. देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है, भूखमरी के हालात पैदा हो रहे हैं. इन सब समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार कोई उपाय नहीं कर रही है और इसलिए हम मानते हैं कि सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभा रही है.

येचुरी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में हम लगातार मांग कर रहे हैं कि टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जाए. दुनिया में सबसे कम टेस्टिंग हमारे देश में हो रही है, लेकिन कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ रही है. इसी तरह लॉकडाउन के बाद करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और आज उनके सामने आजीविका का संकट है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए टैक्स के दायरे से बाहर हर व्यक्ति को ₹7500 प्रतिमाह बतौर बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चहिए.

उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों टन अनाज एफसीआई के गोदामों में पड़ा है. लोगों को भूखमरी से बचाने के लिए प्रति परिवार 10 किलो अनाज हर महीने अगले छह महीने तक मुफ्त में दिया जाना चाहिए.

इस तरह की कुल 16 मांगें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार के सामने रखी हैं. सीताराम येचुरी का कहना है कि यह सभी मांगे जनता के लिए जरूरी हैं और देश हित में हैं, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी सरकार इस पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है और इसलिए आज महामारी के हालात में भी उन्हें विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि सीताराम येचुरी समेत सभी वामपंथी दलों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिख कर भी अपनी इन मांगों को पिछले छह महीनों में रखते रहे हैं. येचुरी ने बताया कि उनके एक पत्र का जवाब नहीं मिला है.

येचुरी ने बताया कि पहले पत्र भेजने पर कोई जवाब आता था, लेकिन आज की सरकार राजनीतिक पार्टियों द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझती.

यह भी पढ़ें- थिएटर कमांड जिसके बनते ही भारतीय सेनाएं बन जाएंगी 'बाहुबली'

सीपीएम महासचिव ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह तमाम सावधानियों के साथ विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया. सरकार एक तरफ तो लोगों पर अंकुश लगाती है, लेकिन अपने एजेंडा को चलाने का काम बदस्तूर जारी रखती है.

पीएम केयर्स फंड को प्राइवेट ट्रस्ट बताते हुए येचुरी ने कहा कि सरकार उसका कोई हिसाब नहीं देना चाहती, लेकिन पैसों की कमी का हवाला देती है. राज्यों की चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए उनके पास तमाम संसाधन मौजूद हैं, लेकिन जनता की मदद करने के लिए पैसे नहीं हैं.

सरकारी कि नीतियों के विरोध में वाम दलों ने 20 अगस्त से 26 अगस्त तक देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं.

NEET-JEE की परीक्षाएं आयोजित करना गलत
सीताराम येचुरी ने महामारी के बढ़ते प्रभाव के बीच NEET और JEE की परीक्षाओं को आयोजित करने को गलत करार दिया है. येचुरी ने कहा कि कई राज्य के मुख्यमंत्री भी इसे स्थगित करने की मांग कर चुके हैं और छात्र भी विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांग को अनसुना कर रही है. आज जान बचाना ज्यादा जरूरी है. देश के कई शिक्षाविदों ने वैकल्पिक उपाय भी सुझाए हैं और सरकार को उन पर विचार करना चाहिए.

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. कोरोना संक्रमितों की संख्या 32 लाख के पार पहुंच गई है. विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रही हैं कि सरकार कोरोना के नियोजन में विफल रही है.

देशभर में आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का 16 मांगों के साथ चल रहा छह दिवसीय विरोध प्रदर्शन का समापन हो गया. दिल्ली में भी आज एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाना था, लेकिन पाबंदियों के कारण कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हो सका.

ईटीवी भारत ने सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया. येचुरी ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने की दिशा में सरकार ने पिछले छह महीनों में उचित कदम नहीं उठाए हैं.

सीताराम येचुरी से खास बातचीत.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से अचानक लॉकडाउन की घोषणा करके मोदी सरकार ने दिक्कतें पैदा की और हम सब ने देखा कि कैसे प्रवासी मजदूरों ने दिक्कतों का सामना किया. देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है, भूखमरी के हालात पैदा हो रहे हैं. इन सब समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार कोई उपाय नहीं कर रही है और इसलिए हम मानते हैं कि सरकार अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभा रही है.

येचुरी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में हम लगातार मांग कर रहे हैं कि टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जाए. दुनिया में सबसे कम टेस्टिंग हमारे देश में हो रही है, लेकिन कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ रही है. इसी तरह लॉकडाउन के बाद करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और आज उनके सामने आजीविका का संकट है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए टैक्स के दायरे से बाहर हर व्यक्ति को ₹7500 प्रतिमाह बतौर बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चहिए.

उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों टन अनाज एफसीआई के गोदामों में पड़ा है. लोगों को भूखमरी से बचाने के लिए प्रति परिवार 10 किलो अनाज हर महीने अगले छह महीने तक मुफ्त में दिया जाना चाहिए.

इस तरह की कुल 16 मांगें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार के सामने रखी हैं. सीताराम येचुरी का कहना है कि यह सभी मांगे जनता के लिए जरूरी हैं और देश हित में हैं, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी सरकार इस पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है और इसलिए आज महामारी के हालात में भी उन्हें विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि सीताराम येचुरी समेत सभी वामपंथी दलों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिख कर भी अपनी इन मांगों को पिछले छह महीनों में रखते रहे हैं. येचुरी ने बताया कि उनके एक पत्र का जवाब नहीं मिला है.

येचुरी ने बताया कि पहले पत्र भेजने पर कोई जवाब आता था, लेकिन आज की सरकार राजनीतिक पार्टियों द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझती.

यह भी पढ़ें- थिएटर कमांड जिसके बनते ही भारतीय सेनाएं बन जाएंगी 'बाहुबली'

सीपीएम महासचिव ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह तमाम सावधानियों के साथ विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया. सरकार एक तरफ तो लोगों पर अंकुश लगाती है, लेकिन अपने एजेंडा को चलाने का काम बदस्तूर जारी रखती है.

पीएम केयर्स फंड को प्राइवेट ट्रस्ट बताते हुए येचुरी ने कहा कि सरकार उसका कोई हिसाब नहीं देना चाहती, लेकिन पैसों की कमी का हवाला देती है. राज्यों की चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए उनके पास तमाम संसाधन मौजूद हैं, लेकिन जनता की मदद करने के लिए पैसे नहीं हैं.

सरकारी कि नीतियों के विरोध में वाम दलों ने 20 अगस्त से 26 अगस्त तक देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं.

NEET-JEE की परीक्षाएं आयोजित करना गलत
सीताराम येचुरी ने महामारी के बढ़ते प्रभाव के बीच NEET और JEE की परीक्षाओं को आयोजित करने को गलत करार दिया है. येचुरी ने कहा कि कई राज्य के मुख्यमंत्री भी इसे स्थगित करने की मांग कर चुके हैं और छात्र भी विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांग को अनसुना कर रही है. आज जान बचाना ज्यादा जरूरी है. देश के कई शिक्षाविदों ने वैकल्पिक उपाय भी सुझाए हैं और सरकार को उन पर विचार करना चाहिए.

Last Updated : Aug 26, 2020, 7:58 PM IST
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