नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के साथ ही देशव्यापी लॉकडाउन को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है. लॉकडाउन के चौथे चरण की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. इस पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच दिन तक प्रेस कांफ्रेंस कर पैकेज को विस्तार से सबके सामने रखा.
हालांकि विपक्षी पार्टियों ने लगातार सरकार के पैकेज की आलोचना करते हुए इसे धोखा करार दिया है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी सरकार के पैकेज को सिरे से खारिज करते हुए दोबारा बजट पेश किए जाने की मांग की है.
सीताराम येचुरी का कहना है कि मौजूदा पैकेज से आम जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी और केवल विदेशी व देश में मौजूद बड़े बिजनेस घरानों के लिए अधिक मुनाफा कमाने के अवसर पैदा होंगे.
येचुरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ज्यादातर प्रावधान सरकार ने अपने पुराने बजट से उठाए हैं और वास्तविक खर्च मात्र दो-तीन लाख करोड़ ही किया जा रहा है.
कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर येचुरी ने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का 0.7% खर्च किया जाता है जबकि अन्य देश अपने जीडीपी का पांच से दस प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करते हैं. भारत सरकार को इसे कम से कम तीन प्रतिशत करना चाहिए, ताकि हमारे देश में भी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.
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आज देश में कोरोना के जांच के नाम पर प्रति दस लाख लोगों में केवल 1200 लोगों की जांच हो पा रही है. देश में प्रति एक हजार लोगों की जनसंख्या पर केवल 0.8 डॉक्टर हैं और अस्पतालों में प्रति एक हजार लोग केवल 0.7 प्रतिशत बेड उपलब्ध हैं. इस संख्या को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार को निवेश बढ़ाना होगा.
सरकार द्वारा तीन महीने तक पांच किलो मुफ्त राशन दिए जाने की घोषणा पर टिप्पणी करते हुए येचुरी ने कहा है कि आज सरकार के पास गोदामों में आठ करोड़ टन से ज्यादा अनाज उपलब्ध है. ऐसे में सभी को दस किलो प्रति व्यक्ति अनाज अगले छह महीने तक निःशुल्क दिया जाना चाहिए.
मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए पिछले बजट की चर्चा करते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि यह बजट 30 लाख 42 हजार 230 करोड़ का था, अब सरकार को ये स्पष्ट करना चाहिए कि पैकेज के नाम पर वो नया क्या दे रही है और कितना पैसा अतिरिक्त दे रही है.
सरकार की घोषणाओं पर सभी विपक्षी पार्टियों ने असंतोष और असहमति जाहिर की है. वामपंथी पार्टियां अपनी मांगों पर टिकी हुई हैं, लेकिन उनकी शिकायत है कि उनकी वाजिब मांगों को भी मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी पैकेज में कोई जगह नहीं दी गई. ऐसे में सीपीएम नेता ने सभी वामपंथी पार्टियों को एकजुट करने की बात की है और यह भी कहा है कि वह अन्य विपक्षी पार्टियों को भी एकजुट कर सरकार पर दबाव बनाएंगे.
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वामपंथी दलों की मांग में मुख्य रूप से नॉन टैक्स पेयर्स के लिए आय समर्थन, मुफ्त अनाज और मजदूरों को घर पहुंचाने की निःशुल्क व्यवस्था शामिल है. इसके अलावा श्रम कानून में बदलाव का भी विरोध कई विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में किया है.
ऐसे में लॉकडाउन के बावजूद भी आने वाले दिनों में विपक्षी पार्टियां सरकार के विरोध में मोर्चा खोल सकती हैं.