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SC में नया नियम, अब सिंगल जज की बेंच जमानत-अग्रिम जमानत के मामले देखेगी

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को निपटाने के लिए कोर्ट ने नया नियम बनाया है. सुप्रीम कोर्ट के 69 साल के इतिहास में पहली बार सिंगल जज की दो बेंच बनाई गई हैं. जानें सिंगल बेंच किन मामलों की सुनवाई करेगी.

सीजेआई रंजन गोगोई
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Published : Sep 21, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 10:30 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सिंगल जजों की दो बेंच बनाई गई हैं. यह बेंच जमानत, अग्रिम जमानत और ट्रांसफर (स्थानांतरण) याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में किसी भी मामले की कम से कम दो जजों की बेंच सुनवाई करती थी. कोर्ट ने यह फैसला लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए किया है.

नए नियमों में संशोधन के बाद अब सिंगल जज भी स्थानांतरण याचिकाएं सुनेंगे. नई अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति की मंजूरी से संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट नियम (संशोधित) 2019 लागू किया गया है.

इसके मुताबिक सिंगल जज बेंच विशेष अवकाश याचिका और सीआरपीसी की धारा 437, 438 और 439 के तहत जमानत अर्जी और अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर (जिसमें सात साल तक की सजा प्रावधान है) विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर सकता है.

संशोधित नियमों के मुताबिक सीआरपीसी की धारा 406 के तहत मामलों के हस्तांतरण के लिए आवेदन और सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 25 के तहत मामलों के तत्काल हस्तांतरण का आवेदन भी एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा सुना जाएगा.

पढ़ें-आयोध्या केस : सप्रीम कोर्ट सोमवार से एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई करेगा

अधिसूचना में आगे कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) अन्य मामलों को भी सुनवाई के लिए सिंगल बेंच के पास भेज सकते हैं. इसके लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा सिंगल जज को नामित किया जाएगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के नियमों, 2013 और पुराने नियमों के अनुसार, सीजेआई के पास गर्मी की छुट्टी या सर्दियों की छुट्टियों के दौरान तत्काल मामलों की सुनवाई करने के लिए एक या एक से अधिक न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति थी.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, '1950 के मूल संविधान में सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और 7 उप न्यायाधीशों की परिकल्पना की गई थी-बाद में इस संख्या को बढ़ाने के लिए इसे संसद में छोड़ दिया गया.'

इसमें कहा गया है, 'शुरुआती वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश अपने सामने पेश किए गए मामलों की सुनवाई के लिए एक साथ बैठेते थे. जैसे-जैसे कोर्ट में मामलों की संख्या बढ़ने लगी संसद ने 1950 में न्यायाधीशों की संख्या 8 से बढ़ाकर 1956 में 11 कर दी गई. इसके बाद न्यायाधीशों की संख्या 1960 में 14, 1978 में 18 और 1986 में 26 कर दी गई. इसके बाद जैसे जैसे न्यायाधीशों की संख्या में बढ़ती गई, दो और तीन न्यायाधीशों की बेंच मामलों की सुनवाई करने लगी और किसी भी बड़े मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की बेंच करती थी.'

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में चार नए न्यायाधीशों की नियुक्ति, संख्या बढ़कर 34 हुई

बता दें, सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 कर दी थी. अभी तक कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर 31 जज थे, नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के बाद संख्या पढ़कर 34 हो जाएगी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सिंगल जजों की दो बेंच बनाई गई हैं. यह बेंच जमानत, अग्रिम जमानत और ट्रांसफर (स्थानांतरण) याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में किसी भी मामले की कम से कम दो जजों की बेंच सुनवाई करती थी. कोर्ट ने यह फैसला लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए किया है.

नए नियमों में संशोधन के बाद अब सिंगल जज भी स्थानांतरण याचिकाएं सुनेंगे. नई अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति की मंजूरी से संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट नियम (संशोधित) 2019 लागू किया गया है.

इसके मुताबिक सिंगल जज बेंच विशेष अवकाश याचिका और सीआरपीसी की धारा 437, 438 और 439 के तहत जमानत अर्जी और अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर (जिसमें सात साल तक की सजा प्रावधान है) विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर सकता है.

संशोधित नियमों के मुताबिक सीआरपीसी की धारा 406 के तहत मामलों के हस्तांतरण के लिए आवेदन और सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 25 के तहत मामलों के तत्काल हस्तांतरण का आवेदन भी एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा सुना जाएगा.

पढ़ें-आयोध्या केस : सप्रीम कोर्ट सोमवार से एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई करेगा

अधिसूचना में आगे कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) अन्य मामलों को भी सुनवाई के लिए सिंगल बेंच के पास भेज सकते हैं. इसके लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा सिंगल जज को नामित किया जाएगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के नियमों, 2013 और पुराने नियमों के अनुसार, सीजेआई के पास गर्मी की छुट्टी या सर्दियों की छुट्टियों के दौरान तत्काल मामलों की सुनवाई करने के लिए एक या एक से अधिक न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति थी.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, '1950 के मूल संविधान में सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और 7 उप न्यायाधीशों की परिकल्पना की गई थी-बाद में इस संख्या को बढ़ाने के लिए इसे संसद में छोड़ दिया गया.'

इसमें कहा गया है, 'शुरुआती वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश अपने सामने पेश किए गए मामलों की सुनवाई के लिए एक साथ बैठेते थे. जैसे-जैसे कोर्ट में मामलों की संख्या बढ़ने लगी संसद ने 1950 में न्यायाधीशों की संख्या 8 से बढ़ाकर 1956 में 11 कर दी गई. इसके बाद न्यायाधीशों की संख्या 1960 में 14, 1978 में 18 और 1986 में 26 कर दी गई. इसके बाद जैसे जैसे न्यायाधीशों की संख्या में बढ़ती गई, दो और तीन न्यायाधीशों की बेंच मामलों की सुनवाई करने लगी और किसी भी बड़े मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की बेंच करती थी.'

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में चार नए न्यायाधीशों की नियुक्ति, संख्या बढ़कर 34 हुई

बता दें, सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या 31 से बढ़ाकर 34 कर दी थी. अभी तक कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर 31 जज थे, नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के बाद संख्या पढ़कर 34 हो जाएगी.

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SC-SINGLE JUDGE
For first time in SC's history, single judge to decide appeals of bail, anticipatory bails
         New Delhi, Sep 20 (PTI) To reduce the growing backlog of cases, the Supreme Court has for the first time since its inception provided for sitting of a single-judge bench to hear appeals of bail and anticipatory bail in cases related to offences entailing jail term up to seven years.
         As per the rules which have been amended, the single judge would also hear transfer petitions.
         The Supreme Court judges till now normally used to sit in the combination of two. Court number 1, which is presided over by the Chief Justice of India, also sits in the combination of three-judges.
         A gazette notification was issued on September 17, through which the Supreme Court has amended its Supreme Court Rules, 2013.
         It said the following categories of matters may be "heard and disposed of finally by a judge sitting singly nominated by the Chief Justice: Special Leave Petition arising out of grant, dismissal or rejection of bail application or anticipatory bail application in the matters filed against the order passed under section 437, section 438 or section 439 of CrPC involving offences punishable with sentence up to seven years imprisonment".
         The amended rules also stated that the application for transfer of cases under section 406 of CrPC and application of an urgent nature for transfer of cases under section 25 of Code of Civil Procedure (CPC) will also be heard by a single judge bench.
         The notification further said that Chief Justice of India (CJI) may notify any other category of cases time to time, for final disposal by a single judge bench.
         It said that single judge will be nominated by the Chief Justice for disposal of said categories of cases.
         Earlier, as per Supreme Court Rules, 2013 and older rules, the CJI had the power to appoint one or more judges to hear all matters of an urgent nature during summer vacation or winter holidays.
         The Supreme Court website said, "The original Constitution of 1950 envisaged a Supreme Court with a Chief Justice and 7 puisne Judges - leaving it to Parliament to increase this number".
         It said, "In the early years, all the Judges of the Supreme Court sat together to hear the cases presented before them. As the work of the Court increased and arrears of cases began to cumulate, Parliament increased the number of Judges from 8 in 1950 to 11 in 1956, 14 in 1960, 18 in 1978 and 26 in 1986.
         "As the number of the Judges has increased, they sit in smaller Benches of two and three - coming together in larger Benches of 5 and more only when required to do so or to settle a difference of opinion or controversy," the apex court website said.
          Besides, sitting of a single judge, the new amended rules also said that "The Registrar shall call the original record of the case, including the record of the Courts below, in the criminal appeals involving sentence of life imprisonment of death penalty: Provided that such records shall not be requisitioned in other cases, unless specifically ordered by the Court."
         Several others amendments have been made in the earlier rules of the top court to ensure its smooth functioning.
          With a huge backlog of cases in the top court, the government had recently increased the strength of its judges from 31 to 34, including the Chief Justice of India.
          As of today, the apex court has 30 judges. Once the new judges take oath, the strength will go up to 34, the highest ever. PTI MNL ABA SJK RKS
SA
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Last Updated : Oct 1, 2019, 10:30 AM IST
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