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आंध्र प्रदेश हत्याकांड : दो बेटियों की हत्या करने वाले मां-पिता ने बताई चौंकाने वाली बात - रिश्तेदारों में भी मानसिक बीमारी के लक्षण

दो बेटियों के हत्यारोपी पिता पुरुषोत्तम नायडू ने कहा कि मेरी पत्नी पद्मजा जो खुद को कालिका समझती थी, ने बड़ी बेटी अलेख्या की जीभ काट दी और उसे मारने के बाद खा लिया. अलेख्या कहा करती थी कि वह अपने वंश में अर्जुन थी. हालांकि, रिपोर्ट के आधार पर इस पर स्पष्टीकरण की संभावना है.

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Published : Jan 30, 2021, 3:29 PM IST

अमरावती : 25 जनवरी को मदनपल्ली में दंपती द्वारा 20 से 25 साल की उम्र की अपनी दो बेटियों की कथित 'हत्या' करने के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. पुलिस के अनुसार हत्यारोपी पुरुषोत्तम नायडू ने पूछताछ में बताया कि बेटी अलेख्या ने उन्हें कहा कि कॉलेज में पढ़ाना तुम्हारा पेशा नहीं है. आपको युद्ध की भावना जारी रखनी चाहिए, जिसकी अगुआई अर्जुन ने पांडवों की ओर से की थी.

पुलिस की जांच में आरोपी मां ने आरओ को बताया कि कलियुग खत्म हो चुका है. सतयुग अभी आना बाकी है. कोरोना को इस बात का सूचक भी कहा जाता है. पुलिस के अनुसार पुरुषोत्तम और पद्मजा दोनों में मानसिक विकारों के लक्षण हैं. मौजूदा हालात में इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए. यही कारण है कि हमने विशाखापत्तनम में सरकारी मनोरोग केंद्र की सिफारिश की है. तिरुपति आरयूए अस्पताल के मनोचिकित्सक ने कहा कि दोनों को शुक्रवार सुबह मदनपल्ले उप-जेल से तिरुपति रुआ अस्पताल के मनोरोग वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया. बताया कि पद्मजा मंत्र का जाप कर रही है और यह भी कह रही है कि 'मेरे बच्चे वापस आ रहे हैं. मुझे घर जाना होगा'. वहीं पुरुषोत्तम नायडू रोए और डॉक्टरों से बात की.

रिश्तेदारों में भी मानसिक बीमारी के लक्षण

पद्मजा के सबसे करीबी व्यक्तियों की मनोचिकित्सकों द्वारा जांच की गई और यह पता चला था कि उनके पिता भी 20 वर्षों से मानसिक समस्याओं से पीड़ित थे. मनोचिकित्सकों का मानना ​​है कि पद्मजा के चाचा को भी ऐसी ही समस्या थी और हो सकता है कि पद्मजा की बेटी अलेख्या को विरासत में मिली हो. अलेख्या के फेसबुक अकाउंट को शुक्रवार को ब्लॉक कर दिया गया था. इंस्टाग्राम अकाउंट अभी भी सक्रिय है.

क्या इसका कारण उपदेशकों का ज्ञान है

बड़ी बहन ने प्रोत्साहित किया और छोटी बहन साईं दिव्या ने कहा कि वह मरना चाहती है. माता-पिता जिन्होंने शुरू में अपने बच्चों को कहा कि ऐसा विचार गलत है और अंततः वे उसी अंधविश्वास के चक्कर में चले गए. आखिरकार हत्या के दोषी ठहराए गए. भोपाल में अध्ययन करते समय अलेख्या वहां के कई प्रचारकों के उपदेशों और लेखन से मंत्रमुग्ध हो गई थी. अलेख्या सोचती थी कि यह दुर्लभ है. उसने अपने माता-पिता में समान विश्वास जगाने की कोशिश की. आंखों को लाल कर दिया और तुरंत उन्हें सामान्य रंग में परिवर्तित कर दिया. यह भी पता चला कि अतीत में अलेख्या ने एक कुत्ते को मार डाला था.

यह भी पढ़ें-NH-24 दोनों तरफ से बंद, गाजीपुर बॉर्डर पर इंटरनेट सेवा बंद, उपवास पर बैठे किसान

हर दिन घर पर प्रार्थनाएं की जाती थीं. यह बताते हुए कि किस दिन प्रार्थना जरूर की जानी चाहिए. अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले ही अलेख्या ने कहा था कि वह मर जाएगी. गौरतलब है कि दंपती ने कथित तौर पर अंधविश्वास के कारण 25 जनवरी को मदनपल्ली में 20 से 25 साल की उम्र की अपनी दो बेटियों की 'हत्या' कर दी थी.

अमरावती : 25 जनवरी को मदनपल्ली में दंपती द्वारा 20 से 25 साल की उम्र की अपनी दो बेटियों की कथित 'हत्या' करने के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. पुलिस के अनुसार हत्यारोपी पुरुषोत्तम नायडू ने पूछताछ में बताया कि बेटी अलेख्या ने उन्हें कहा कि कॉलेज में पढ़ाना तुम्हारा पेशा नहीं है. आपको युद्ध की भावना जारी रखनी चाहिए, जिसकी अगुआई अर्जुन ने पांडवों की ओर से की थी.

पुलिस की जांच में आरोपी मां ने आरओ को बताया कि कलियुग खत्म हो चुका है. सतयुग अभी आना बाकी है. कोरोना को इस बात का सूचक भी कहा जाता है. पुलिस के अनुसार पुरुषोत्तम और पद्मजा दोनों में मानसिक विकारों के लक्षण हैं. मौजूदा हालात में इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए. यही कारण है कि हमने विशाखापत्तनम में सरकारी मनोरोग केंद्र की सिफारिश की है. तिरुपति आरयूए अस्पताल के मनोचिकित्सक ने कहा कि दोनों को शुक्रवार सुबह मदनपल्ले उप-जेल से तिरुपति रुआ अस्पताल के मनोरोग वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया. बताया कि पद्मजा मंत्र का जाप कर रही है और यह भी कह रही है कि 'मेरे बच्चे वापस आ रहे हैं. मुझे घर जाना होगा'. वहीं पुरुषोत्तम नायडू रोए और डॉक्टरों से बात की.

रिश्तेदारों में भी मानसिक बीमारी के लक्षण

पद्मजा के सबसे करीबी व्यक्तियों की मनोचिकित्सकों द्वारा जांच की गई और यह पता चला था कि उनके पिता भी 20 वर्षों से मानसिक समस्याओं से पीड़ित थे. मनोचिकित्सकों का मानना ​​है कि पद्मजा के चाचा को भी ऐसी ही समस्या थी और हो सकता है कि पद्मजा की बेटी अलेख्या को विरासत में मिली हो. अलेख्या के फेसबुक अकाउंट को शुक्रवार को ब्लॉक कर दिया गया था. इंस्टाग्राम अकाउंट अभी भी सक्रिय है.

क्या इसका कारण उपदेशकों का ज्ञान है

बड़ी बहन ने प्रोत्साहित किया और छोटी बहन साईं दिव्या ने कहा कि वह मरना चाहती है. माता-पिता जिन्होंने शुरू में अपने बच्चों को कहा कि ऐसा विचार गलत है और अंततः वे उसी अंधविश्वास के चक्कर में चले गए. आखिरकार हत्या के दोषी ठहराए गए. भोपाल में अध्ययन करते समय अलेख्या वहां के कई प्रचारकों के उपदेशों और लेखन से मंत्रमुग्ध हो गई थी. अलेख्या सोचती थी कि यह दुर्लभ है. उसने अपने माता-पिता में समान विश्वास जगाने की कोशिश की. आंखों को लाल कर दिया और तुरंत उन्हें सामान्य रंग में परिवर्तित कर दिया. यह भी पता चला कि अतीत में अलेख्या ने एक कुत्ते को मार डाला था.

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हर दिन घर पर प्रार्थनाएं की जाती थीं. यह बताते हुए कि किस दिन प्रार्थना जरूर की जानी चाहिए. अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले ही अलेख्या ने कहा था कि वह मर जाएगी. गौरतलब है कि दंपती ने कथित तौर पर अंधविश्वास के कारण 25 जनवरी को मदनपल्ली में 20 से 25 साल की उम्र की अपनी दो बेटियों की 'हत्या' कर दी थी.

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